
नगर निगम बजट:बजट पर भारी,महापौर की खुमारी






खुलासा न्यूज,बीकानेर। नगर निगम की ओर पिछले डेढ़ वर्ष हुई पहली साधारण सभा में वर्ष 2021-22 का बजट निगम महापौर सुशीला कंवर 377.54 करोड़ रुपए का प्रस्तावित बजट पेश किया। मजे की बात तो यह है कि यह बजट बिना अभिभाषण पूरा हुए,चर्चा के बिना तथा बजट के प्रावधानों की अधूरी जानकारी के ही पास कर दिया गया। सदन की चर्चा खत्म होने तक बजट में प्रस्तावित प्रावधानों की कॉपियों न तो उप महापौर के पास थी और न ही पार्षदों के। ऐसे में हो हल्ले के बीच महापौर ने अपने बजट भाषण को पढ़ दिया। जब उस पर चर्चा का समय आया तो महज 15 से 20 मिनट में कोरोना काल की आड़ लेते हुए आगामी सात दिनों में जबाब मिल जाएगा,कहते हुए सदन की कार्यवाही ही समाप्त कर दी।
दर्शक दीर्घा से मॉनिटरिंग
निगम की ओर से प्रस्तावित बजट की चर्चा के दौरान सारा खेल दर्शक दीर्घा से चल रहा था। यहां खड़े महापौर के प्रतिनिधि विरोध करने वाले पार्षद को फोन करते नजर आएं। इतना ही नहीं दर्शक दीर्घा से एक एक पार्षद की गतिविधि पर निगरानी रखी जा रही थी। बाद में चर्चा खत्म होने पर महापौर प्रतिनिधियों द्वारा रविन्द रंगमंच के बाहर उलहाना देते हुए भी नजर आएं।
कोरोना काल आया आड़े,बचाव में मुद्रा में नजर आई महापौर
जब कांग्रेसी पार्षदों ने पिछले बजट में किये गये प्रावधान की क्रियान्विती नहीं होने और इस बजट में पुन:उसको जोड़ देना। कहां तक उचित है पर महापौर ने पिछले आठ महीने कोरोना काल को आड़े लेते हुए प्रत्येक जबाब को सात दिनों में लिखित रूप से देने की बात कहते हुए कन्नी काट ली।
महापौर के पक्ष की बजाय भाजपा पार्षदों ने साधी चुप्पी
बजट को लेकर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित को विपक्ष के घेरने पर अपने पार्षदों से बचाव की उम्मीद थी। लेकिन भाजपाई पार्षदों ने महापौर के पक्ष में खड़े रहने की बजाय चुप्पी साधना मुनासिब समझा। इससे सदन में यह चर्चा आम हो गई कि भाजपा में अंदर खाने में विरोध के हालात है। केवल एक ही मौके पर भाजपाई विरोध मुद्रा में नजर आएं जब उप महापौर राजेन्द्र पंवार से कांग्रेसी पार्षद शिवश ंकर बिस्सा ने माइक छिना। तब कुछ पंवार समर्थक पार्षद उनकी कुर्सी के पास आ गये और उप महापौर से माइक छिनने पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेसी पार्षदों का विरोध करने लगे। इस दौरान कांग्रेसी पार्षदों व उप महापौर के समर्थक पार्षदों के बीच तीखी नोक-झोंक व धक्का मुक्की भी हुई।
प्लास्टिक में पिलाया पानी
शहरवासियों को प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने का संदेश देने वाली निगम की ओर से बजट सभा में प्लास्टिक की गिलास में पानी पिलाया गया। हालात यह रहे कि कांग्रेसी पार्षदों ने पीने के पानी के लिये जमकर हंगामा किया। न तो कांग्रेसी और न ही भाजपाई पार्षदों को पीने का पानी सुलभता से उपलब्ध हो पाया। यह पहला मौका रहा कि निगम के सदन में पीने के पानी को लेकर जमकर हंगामा हुआ।
न मास्क न सोशल डिस्टेसिंग
पिछले बजट में लिये गये बिन्दुओं की क्रियान्विती नहीं होने पर कोरोना का हवाला देते हुए चर्चा से टलती महापौर के सामने ही भाजपाई और कांग्रेसी पार्षद बिना मास्क के बैठे नजर आएं। मंजर यह रहा कि सदन में खुलकर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ी। दोनों ही दलों के पार्षदों में अधिकांश बिना मास्क के ही बैठे रहे। इतना ही नहीं निगम के अधिकारी व कर्मचारी भी सोशल डिस्टेसिंग में बैठे नहीं थे।
बीच सदन छोड़कर भागी महापौर
बजट चर्चा के दौरान कांग्रेसी पार्षदों द्वारा माईक उपलब्ध कराने और बजट व अभिभाषण की कॉपी देने की बात से बिखरकर महापौर ने एक बारगी सदन छोड़ दिया और जब चर्चा की बात आई तो महज 15 मिनटों तक चर्चा करवाने के बाद राष्ट्रगान शुरू कर सदन की कार्यवाही ही स्थगित कर दिया।
प्रावधान करोड़ो का आय कुछ नहीं
नगर निगम की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 के प्रस्तावित बजट में भूमि विक्रय से आय का प्रावधान 10 करोड़ रुपए रखा गया, लेकिन दिसम्बर तक इस मद में आय कुछ नहीं हुई। वहीं नगर विकास न्यास से 5 करोड रुपए की आय होना दर्शाया गया, लेकिन आय एक रुपया भी नहीं हुई। भूमि रूपान्तर मद में 1.50 करोड़ रुपए की आय दर्शाई गई, लेकिन आय महज 1 लाख 32 हजार रुपए हुई। इसी प्रकार नगरीय विकास कर से 5 करोड़ की आय होना प्रस्तावित बजट में दर्शाया गया, लेकिन दिसम्बर तक आय 1.81 करोड़ रुपए हुई।
https://youtu.be/CMyAzJzv6Bo
प्रावधान के बाद भी राशि खर्च नहीं
नगर निगम की ओर से वित्तीय वर्ष 2020- 21 के प्रस्तावित बजट में कई मदों में राशि व्यय करने का प्रावधान रखने के बाद भी उस राशि में से दिसम्बर 2020 तक एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया। नगर निगम कार्यालय भवन के लिए बजट में 5 करोड रुपए की राशि का प्रावधान रखा गया था, लेकिन भवन का कार्य शुरू ही नहीं हुआ। वहीं कर्मचारी खेलकूद मद में 5 लाख रुपए की राशि रखी गई। इस राशि का भी उपयोग नहीं हुआ। प्रशिक्षण मद में 5 लाख, शौचालय और मूत्रालय मद में 20 लाख तथा उद्यान निर्माण मद में 15 लाख रुपए के प्रावधान रखे गए थे, लेकिन इस राशि का उपयोग नहीं किया गया।
2021-22 के बजट में निगम कर्मचारियों के विभिन्न मदों में वेतन भत्तों का खर्च 124 करोड़ 84 लाख 13 लाख रुपए तथा विकास कार्यों पर 127 करोड़ 65 लाख रुपए खर्च करने का प्रावधान रखा गया है। कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि बजट में आय बढ़ाने के केवल आंकड़ें पेश किए हैं। नगरीय विकास कर के सौ करोड़ बकाया हैं। यह निगम की बड़ी आय का जरिया है।
इसकी वसूली के टारगेट हर साल बजट में रखे जाते हैं, लेकिन पूरे नहीं हो पाते। वर्ष 2019-20 में दस करोड़ के लक्ष्य के विपरीत चार करोड़ 21 लाख की ही वसूली हो सकी। उसे देखते हुए वर्ष 2020-21 में पांच करोड़ का ही टारगेट रखा गया, लेकिन अब तक निगम 2 करोड़ का टैक्स ही वसूल पाया है। हालांकि 31 मार्च तक टारगेट पूरा होने की उम्मीद लगाई जा रही है। नए बजट में यूडी टैक्स का टारगेट 10 करोड़ तय किया है।
बजट में आय बढ़ाने के ये सिर्फ आंकड़े हैं
1. साइनेज और विज्ञापन बोर्ड से 2019-20 में चार करोड़ की आय का लक्ष्य था। लेकिन निगम ने डेढ़ करोड़ ही कमाए। वर्ष 2020-21 में एक करोड़ 30 लाख का लक्ष्य रखा था। 50 लाख का आंकड़ा भी निगम नहीं छू पाया है। नए बजट में लक्ष्य डेढ़ करोड़ रखा गया है।
2. वर्ष 2.19-20 में पेयजल कनेक्शन के लिए रोड कटिंग से एक करोड़ 20 लाख की आय के लक्ष्य के विपरीत निगम नौ लाख ही कमा पाया। इस बार 15 लाख का ही लक्ष्य रखा है।
3. मोबाइल टावर लगाने की अनुमति से निगम को 2019-20 में दो करोड़ से अधिक आय हुई थी। उसे देखते हुए 2020-21 में तीन करोड़ का लक्ष्य रखा गया, लेकिन 41 लाख की भी आय नहीं हुई। इस बार फिर तीन करोड़ का लक्ष्य रखा है।
4. समझौता और जुर्माने से इस बार 2 करोड़ 50 लाख की आय का लक्ष्य रखा गया है। जबकि पिछले साल भी इतना ही लक्ष्य था, लेकिन वसूली दस लाख रुपए की भी नहीं हुई। वर्ष 2019-20 में डेढ़ करोड़ की वसूली के लक्ष्य के विपरीत मात्र पांच लाख ही वसूली हो सकी।
5. विद्युत उपकर का दो साल में एक भी पैसा निगम को नहीं मिला, लेकिन बजट में हर बार दो करोड़ का लक्ष्य रखा जाता है।
6. जमीन बेच कर दस करोड़ रुपए कमाने का लक्ष्य तीसरी बार रखा गया है, लेकिन निगम दस लाख भी नहीं कमा पा रहा।
7. बजट में यूआईटी से आय का लक्ष्य सात करोड़ तय किया है। जबकि पिछले दो बजट में पांच करोड़ का लक्ष्य था। लेकिन निगम को यूआईटी से एक पैसा नहीं मिला।


