
मुनि ने बच्चे से की अश्लील हरकतें, कपड़े पहनाकर शहर से भगाया






अजमेर। अजमेर के मदार स्थित धर्म विशेष के एक उपासना स्थल पर एक मुनि द्वारा किशोर के साथ दुराचार के प्रयास का मामला सामने आया है। घटना से आक्रोशित समाज के लोगों ने मुनि की पिटाई की ओर उन्हें कपड़े पहनाकर अजमेर से रवाना कर दिया। समाज के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर घटनाक्रम की पुष्टि की है, लेकिन मुनि के खिलाफ पुलिस में न तो पीडि़त और न ही समाज की ओर से ही कोई मामला दर्ज कराया गया है।
जानकारी के अनुसार अजमेर से रवाना करते समय समाज के लोगों द्वारा मुनि से उनकी पिच्छिका और कमंडल छीन लिया गया। उनसे आचार्य पद भी वापस ले लिया गया है। मुनि ने गलती स्वीकार करते हुए लिखित में माफीनामा समाज के पदाधिकारियों को दिया है।
अजमेर स्क्क विकास शर्मा ने बताया कि बुधवार रात को मामले की जानकारी मिली और पीडि़त परिवार से पता किया लेकिन पीडि़त परिवार ने ऐसी घटना से इनकार किया। पीडि़त परिवार या अन्य की ओर से अगर कोई रिपोर्ट मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
घर लौटने पर दी किशोर ने घिनौनी घटना की जानकारी
जानकारी के अनुसार मदार स्थित उपासना स्थल में ये मुनि ठहरे हुए थे। पीडि़त किशोर के परिजन ने 10 अप्रैल को समिति के अध्यक्ष को लिखित शिकायत देकर घटना की जानकारी दी थी। किशोर के पिता ने बताया था कि मुनि के विश्राम गृह में सेवा कार्य के लिए उसने बेटे को भेजा था। बेटे ने बताया कि मुनि ने उससे हाथ-पैर की मालिश कराई और दुराचार की कोशिश की। अध्यक्ष ने मामले में समाज की पंचायत में कार्रवाई का आश्वासन दिया था। दूसरे दिन 11 अप्रैल को कोई कार्रवाई नहीं होने पर किशोर के पिता ने समाज के पदाधिकारियों को मामले से अवगत कराया और कुकर्मी मुनि के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई थी।
प्रमोद सोनी, हेमंत जैन, विजय जैन, कोसिनोक जैन, अजय धनगसिया, प्रदीप पाटनी और अन्य लोगों ने मुनि से घटना के बारे में पूछताछ की। मुनि की ओर से गलती स्वीकार करते ही आक्रोशित लोगों ने उनकी पिटाई कर दी। मुनि ने गिड़गिड़ाते हुए माफी मांगी। समाज के लोगों ने मुनि से आचार्य पद, पिच्छिका कमंडल वापस ले लिया और उन्हें कपड़े पहनाकर अजमेर से रवाना कर दिया।
अपने प्रवचनों में लोगों को बताते थे जीवन कैसे जिएं
करीब डेढ़ महीने से अजमेर में विभिन्न स्थानों पर प्रवचन देने वाले मुनि रोजाना लोगों को उपदेश देते थे कि जीवन किस तरह जीना चाहिए। उनकी धार्मिक सभाओं में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु आ रहे थे। अपने उपदेश में मुनि कहते थे कि विद्यालयों के द्वार के एक छोर पर लिखा रहता है- ज्ञानार्थ प्रवेश और दूसरी छोर पर लिखा होता है सेवार्थ प्रस्थान। इसी तरह मंदिरों, तीर्थों धर्म क्षेत्रों में भी हमारा प्रवेश ज्ञान, विवेक, श्रद्धा और धर्म की वृद्धि के लिए होना चाहिए। कमल और कीड़े का उदाहरण देकर वे बताते थे कि कीड़ा व कमल दोनों कीचड़ में पैदा होते हैं। दोनों का जन्म भले ही एक जगह हुआ हो लेकिन मरण एक सा नहीं होता है। कीड़ा कीचड़ में जन्म लेकर वहीं मर जाता है लेकिन कमल कीचड़ से ऊपर उठकर जीवन जीता है। हमें भी कमल की इस प्रवृत्ति को समझना और अपनाना होगा।
बाल कल्याण समिति करेगी जांच
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अंजलि शर्मा और सदस्य अरविंद मीणा ने इस प्रकरण को लेकर कहा कि किसी नाबालिग के साथ यौन हिंसा हुई तो समिति इसकी जांच करेगी और जरूरत पडऩे पर दोषियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया जाएगा। शर्मा और मीणा ने कहा कि इस घटनाक्रम को लेकर जानकारी छिपाने की बात सामने आ रही है जो पोक्सो के तहत आपराधिक कृत्य है।
किशोर से दुराचार मामले में पकड़ा गया मुनि
नौ साल पहले 2013 में भी बालक से कुकृत्य मामले में उजागर हो चुका था, लेकिन समाज के लोगों ने बदनामी से बचने के लिए उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की थी और समझाईश कर उन्हें कपड़े पहनाकर मुनि पद त्यागने को कहा गया था, लेकिन मुनि ने माफी मांगकर दुबारा मुनि का चेहरा धारण कर लिया था। इस बार समाज के लोगों ने कड़ा रूख अपनाया और मुनि से लिखित में आचार्य पद, पिच्छिका कमंडल का त्याग करने की घोषणा कराई और उन्हें कपड़े पहनाकर अजमेर से रवाना कर दिया।


