
मां-बेटे ने एक साथ पास की 10वीं की परीक्षा, साथ में ही करते थे पढ़ाई






अगर इंसान मन में ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं होता. महाराष्ट्र के बारामती के रहने वाले मां बेटे ने एक साथ दसवीं की परीक्षा में पास होकर इसे साबित कर दिया. मां ने अपने बेटे के साथ पढ़ाई करके दसवीं कक्षा में सफलता हासिल की है. बारामती की रहने वाली बेबी गुरव ने घर का काम और कंपनी में सिलाई का काम करते हुए खुद को साबित किया है, इससे वो एक नजीर बन गई हैं.बेबी गुरव बारामती के टेक्सटाइल पार्क में पायनियर कैलिकोज़ कंपनी में सिलाई का काम करती हैं. पारिवारिक कारणों से 10 वीं पास करने का उनका सपना अधूरा रह गया था. अपनी परिस्थितियों के कारण वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई थीं. कई बार उन्होंने पढ़ाई पूरी करने की सोची, मगर हालात खराब होने के कारण ये मुमकिन नहीं हो पा रहा था. जब उनका लड़का सदानंद दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था, तब उनके मन में पढ़ाई की इच्छा एक बार और बलवती हो गई. इसमें उनके पति प्रदीप ने काफी प्रोत्साहित किया. पति के प्रोत्साहन और बेटे का साथ मिला तो उन्होंने दोबारा किताबें उठाईं और पढ़ाई शुरू कर दी. अपने काम से वक्त निकालकर वो दिन में खाली वक्त पर पढ़ाई करने लगीं. बेबी गुरव ने मैट्रिक परीक्षा देने का फैसला किया और सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए पढ़ाई शुरू की. घर का काम संभालते हुए और कंपनी में सिलाई का काम करते हुए बेबी को जितना भी खाली वक्त मिला, वो तैयारी में लगी रहीं. जब परीक्षा का वक्त आया तो उन्होंने बेटे के साथ अपनी तैयारी और तेज कर दी.
इस तरह उन्होंने अपने बेटे के साथ दसवीं की परीक्षा दी. जब दो दिन पहले दसवी का रिजल्ट सामने आया तो मां और बेटा दोनों ही अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए थे. बेबी गुरव ने बताया कि मेरे बेटे सदानंद ने मुझे कठिन गणित, अंग्रेजी और विज्ञान समझाया. खाना बनाते समय बेटे ने लगातार पढ़ाई में मदद की.
बेबी के पति प्रदीप गुरव ने कहा कि वो अपनी पत्नी पर बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं. किस तरह घर में काम करके और कंपनी में समय पर जाने की मजबूरी भी बेबी को नहीं हरा पाई. उन्हें इतने काम के चलते पढ़ाई में दिक्कत होती थी, लेकिन जब भी टाइम मिलता तो बस स्टॉप या लंच ब्रेक में अपनी दसवी कक्षा की किताब लेकर बैठ जाती थी.


