
बीकानेर का यह विभाग चलाता है मोखराम,मैं क्या करूं,ऊपर से आते है फोन,देखे विडियो






खुलासा न्यूज,बीकानेर। हम क्या करें यह ऑफिस तो मोखराम चलाता है। हम तो मजबूर है। वो ऊपर फोन कर देता है। अब हम दबाव में काम कर रहे है। उसके कहने पर भी मामले दर्ज किये जाते है। यह कहना है उप वन संरक्षक नरेन्द्र चौधरी का। एक अधिकारी के इस बयान के बाद प्रशासनिक हल्कों में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि 10 जुलाई को लूणकरणसर निवासी किरतार नाथ को सांप पकडऩे के आरोप में वन विभाग की ओर से पकड़कर बंद कर दिया गया। जिसको छुड़वाने के लिये उनकी पत्नी रोशनी देवी दो दिनों से वन विभाग का चक्कर काट रही थी। इस दौरान जब अधिकारी व यहां मौजूद गार्र्ड ने उसे न छोडऩे की बात की तो उसने अपनी पीड़ा पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका के कार्यालय पहुंचकर बताई। जिसे सुन रांका अपने उप वन संरक्षक कार्यालय पहुंचे तो यहां मौजूद गार्ड भीमसि ंह मीणा और अधिकारी रांका से उलझ गये।
पीडि़ता ने रूपये मांगने का लगाया आरोप
उधर एसीबी को दी लिखित शिकायत में पीडि़ता रोशनी देवी ने आरोप लगाया है कि उनके पति को छोडऩे के लिये वन अधिकारी और गार्ड ने 80000 रूपये की मांग की और रूपये नहीं देने की स्थिति में तुम्हारे पति को जगह जगह से तोड़ देंगे तथा धक्का देकर भगा दिया। सुनवाई न होने पर पीडि़ता ने रांका के समक्ष गुहार लगाई।
पुलिसकर्मी द्वारा बदसलूकी का आरोप
वहीं इसके पति को छुडवाने की पैरवी करने पहुंचे अधिवक्ता हिम्मत नाथ योगी और महावीर रांका से बदसूलकी की गई। जानकारी मिली है कि किरतारनाथ को पकड़े जाने के 24 घंटे में कानून कोर्ट या नगर दंड नायक के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। किन्तु ऐसा नहीं किया गया। अधिवक्ता योगी ने खुलासा को बताया कि जब वे कानूनन प्रक्रिया के लिये यहां पहुंचे तो यहां मौजूद गार्ड भीमसिंह मीणा ने मुझ पर और रांका से धक्का मुक्की शुरू कर दी और लठ्ठ तक उठा लिया।
आखिर क्या अधिकारी की बात सही है!
वन अधिकारी नरेन्द्र चौधरी के वन विभाग कार्यालय को मोखराम के चलाने के बयान पर अब यह चर्चा आम हो गई है कि क्या वास्तव में अधिकारी सही बात कर रहे है। अगर ऐसा है तो कांग्रेस की पारदर्शी सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे है।
https://youtu.be/lb-JLRCOMIY


