विश्वविद्यालयों की लापरवाही से लाखों छात्र भविष्य को लेकर असमंजस में

विश्वविद्यालयों की लापरवाही से लाखों छात्र भविष्य को लेकर असमंजस में

जयपुर। प्रदेश के विश्वविद्यालयों की लापरवाही से लाखों छात्र अपने भविष्य को लेकर असमंजस में है। विश्वविद्यालयों की ओर से अभी तक यह तय ही नहीं हो पाया है कि छात्रों का कोर्स कब पूरा होगा और इनकी परीक्षाएं कब कराई जाएंगी।आपको बता दें कि, सूबे के विश्वविद्यालयों में फरवरी से प्राइवेट स्टूडेंट्स की,मार्च से नियमित यूजी स्टूडेंट्स की व अप्रैल से पीजी स्टूडेंट्स की परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं। लेकिन साल 2020 में सीनियर हायर सैकंडरी के परीक्षा परिणाम भी देरी से आए और इसके बाद विश्वविद्यालयों के यूजी के प्रवेश भी जनवरी माह तक चल रहे थे।
कोरोना काल से पहले विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के परिणाम भी मई अंत तक आना शुरू हो जाते थे और जुलाई के प्रथम सप्ताह में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाता था।
जब इस बारे में सरकार से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि “विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस है, खुद तय करेंगे कि परीक्षाएं कब लेनी है, इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। एकेडमिक कैलेंडर जारी नहीं होने की वजह से प्रदेश के लाखों स्टूडेंट्स में असमंजस की स्थितियां पैदा हो रही है।” तो वहीं, दूसरी तरफ राज्य के विश्वविद्यालय सरकारी आदेशों के इंतजार में बैठे हैं।
गौरतलब है कि, पहले ही कोरोना की वजह सारी शिक्षा व्यवस्था अस्त-व्यस्त पड़ी है। हालात ये है कि सूबे के कई विश्वविद्यालयों में अभी भी पीजी कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया जारी है। ऐसे में यह अभी तक तय नहीं हो पाया है कि परीक्षाएं कब होगी तथा परिणाम कब आएंगे।

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