एमजीएच में 71 करोड़ रूपय से बनेगी 205 बैड की अलग यूनिट - Khulasa Online एमजीएच में 71 करोड़ रूपय से बनेगी 205 बैड की अलग यूनिट - Khulasa Online

एमजीएच में 71 करोड़ रूपय से बनेगी 205 बैड की अलग यूनिट

भीलवाड़ा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को बजट भाषण में कोरोना के बेहतर प्रबंधन के लिए भीलवाड़ा मॉडल को सराहा। जिले को चिकित्सा क्षेत्र में कई सौगातें दी। एमजीएच अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने बताया, अस्पताल के विस्तार को लेकर भेजे सभी प्रस्तावों को बजट में मंजूरी मिली है। सबसे बड़ी व खास बात है कि 205 बैड की अलग यूनिट बनाई जाएगी। इस पर 71 करोड़ रुपए व्यय होंगे। ये सभी यूनिट एमजीएच के पीछे खाली जमीन पर बनाई जाएगी। पहले चरण में भीलवाड़ा में नर्सिंग कॉलेज खोला जाएगा। यह कॉलेज एमजीएच परिसर में ही खोली जाएगी। 30 बैड का नया आइसीयू बनाया जाएगा। इससे महामारी जैसे समय में मरीजों को परेशानी नहीं होगी। 6 सीएचसी बनेगी मॉडल जिले की एडवांस एंबुलेंस की मांग पूरी हुई। हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मॉडल के रूप में विकसित करने पर एक-एक करोड़ रुपए मिलेंगे। इससे जिले की 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विकास होगा। मरीजो को बेहतर सुविधा मिल सकेगी। शाहपुरा अस्पताल को जिला अस्पताल में क्रमोनत किया जाएगा। इससे एमजीएच जैसी सुविधाएं अब शाहपुरा के सेटेलाइट चिकित्सालय आने वाले मरीजों को भी मिलेगी। 250 बैड का होगा शाहपुरा जिला स्पताल शाहपुरा सैटेलाइट चिकित्सालय क्रमोन्नत करने की घोषणा के बाद अब यह जिला अस्पताल बनेगा। इसमें 250 बैड होंगे जबकि अभी 100 बैड का सामान्य अस्पताल है। वर्ष 1985 में क्रमोन्नत होकर 50 बैड का सैटेलाइट चिकित्सालय बना। इसके बाद वर्ष 2016 में 75 बैड के लिए क्रमोन्नत किया। वर्ष 2017 में इसे 100 बैड के लिए क्रमोन्नत किया। अभी 24 चिकित्सक व 2 दंत चिकित्सक के पद स्वीकृत है। इनमें 11 डॉक्टर कार्यरत है। सर्जरी, एनेस्थिसिया, पैथोलोजिस्ट, रेडियालोजिस्ट, नेत्र व हड्डी रोग विशेषज्ञों सहित 13 चिकित्सकों के मद खाली है। जनरल मेडिसन, शिशु रोग, स्त्री एवं प्रसुती रोग, टीबी एवं चेस्ट विभाग संचालित है। चिकित्सालय में प्रतिदिन 10-15 डिलेवरी होती है। ये मिलेगी सुविधाएं जिला चिकित्सालय बनने से शाहपुरा में चिकित्सक, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ के पद दोगुना हो जाएंगे। 24 घंटे चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध रहेगी। आवासीय क्वार्टर, कॉटेज, आइसीयू वार्ड का निर्माण होगा। ब्लड बैंक की स्थापना होगी। माइक्रोबॉयलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग बनने से कई तरह की जांचे होगी। सोनोग्राफी सुविधा से प्रसुताओं तथा अन्य रोगियों भीलवाड़ा नहीं जाना पड़ेगा। अस्थि रोग का उपचार जांच एवं एक्सरे की सुविधा मिलेगी। ये थी समस्याए 100 बैड का सैटेलाइट चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी के कारण गम्भीर रोगियों को भीलवाड़ा रैफर करना पड़ता है। सर्जन नहीं होने से एक भी सर्जिकल ऑपरेशन नहीं होते है। चिकित्सिकों के आवास सुविधा नहीं होने से आपात काल में चिकित्सकों पहले सूचना की जाती है। चिकित्सक अपने साधन से अस्पताल पहुंचते है। इसमें काफी समय लगता हैं।

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