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महज हेलमेट चैंकिग फोकस,बेलगाम ओवर स्पीडिंग-स्टाइलिश नंबर

थोड़ा इधर भी ध्यान दो पुलिस कप्तान साहब

खुलासा न्यूज,बीकानेर। जिले में जिम्मेदार अधिकारियों के यातायात नियमों की पालना को लेकर सख्ती नहीं दिखाने से आए दिन हो रहे हादसों से न केवल लोग चोटिल हो रहे हैं। बल्कि कई परिवार भी उजड़ रहे है। शहर में बेलगाम ओवर स्पीडिंग के चलते धीमी गति से चलने वाले वाहन चालकों को भी परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है। स्पीड पर नियंत्रण नहीं होने से हरदम हादसों का डर सताने लगा है। ऐसे में तेज रफ्तार से दौड़ते वाहनों के चलते राहगीरों को भी आए दिन दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कई बार इन्हें टोकने पर लड़ाई-झगड़े की नौबत जाती है। ऐसे में शहर में अगर प्रशासन की ओर से जल्द ठोस कदम उठाकर तेज रफ्तार से वाहन चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई नहीं की गई तो हादसे कम होने की जगह बढ़ेंगे। जिले में पिछले दिनों ऐसे कई हादसे हो चुके है,जो वाहनों की तेजगति के कारण हुए है। पुुलिस महज हेलमेट चैंकिग कर इतिश्री कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर तेजगति से चलने वाले वाहनों और काले शीशे लगे वाहनों को चैक नहीं किया जाता।
वाहनों पर स्टाइलिश नंबरों का भी चलन भी शुरू
इतना ही नहीं वाहनों पर स्टाइलिश नंबरों का चलन और पद नाम की प्लेट का चलन भी शुरू हो गया है। जिस पर भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। शहर में दुपहिया,तिपहिया और चौपहिया वाहनों की भरमार है। जिस पर पदनाम और स्टाइलिश नंबर लिखे देखे जा सकते है। हालात यह है कि पुलिस केवल हेलमेट का चालान करने में ही व्यस्त है। वो भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर नहीं। बल्कि शहर के अन्दुरूनी थाना इलाकों में।
ब्लैक फिल्म लगे वाहनों पर कार्यवाही नहीं
सड़कों पर ब्लैक फिल्म लगी कार सरपट दौड़ती नजर आ रही है। चौक-चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस भी इन कारों पर कार्रवाई करने में रूची नहीं दिख रही है।अधिकारियों का सख्त आदेश है कि ब्लैक फिल्म लगी कार को रोककर कार्रवाई करें। इसके बाद भी पोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मी सुस्त दिख रहे हैं।मालूम हो कि कुछ माह पहले ट्रैफिक पुलिस ने ब्लैक फिल्म लगी कार के प्रति सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई की थी। इसके बाद ब्लैक फिल्म लगी कार सड़कों पर दौडऩे कम हो गए थे। ट्रैफिक पुलिस की सख्ती कम होते ही सड़कों पर ब्लैक फिल्म लगी कारें चलने लगी है। लोग अपनी कारों की कांच पर फिर से ब्लैक फिल्म चढ़ाने शुरू कर दिए हैं। दिल्ली में हुए निर्भया कांड और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने सभी वाहनों से ऐसी फिल्में हटवा दी थी। पुलिस ने कार्रवाई बंद की तो काली फिल्म का काम तेजी से शुरू हो गया। जिन वाहन चालकों ने कुछ समय पहले पुलिस कार्रवाई के डर से ये फिल्में हटा दी थीं, वे वापस लगवा रहे हैं। पुलिस दोपहिया वाहन सवार लोगों को बिना हेलमेट पहने गाड़ी चलाने पर तो कार्रवाई कर रही लेकिन कार या बस वालों को नहीं पकड़ रही है।
कार की कांच पर कुछ भी चिपकाने से मनाही
पहले गाडिय़ों की कांच पर 40 और 60 प्रतिशत पारदर्शिता वाली फिल्म लगाई जाती थी। इसका उल्लंघन कर लोग ब्लैक फिल्म लगवाने लगे। ब्लैक फिल्म लगी कार में जरा भी पारदर्शिता नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा की दृष्टि से कार में किसी प्रकार की फिल्म और मेटेरियल चस्पा नहीं करने का आदेश दिया। ऐसे करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। इसके बाद ही ट्रैफिक पुलिस ने काली फिल्म के खिलाफ अभियान शुरू किया।
प्रतिबंध लगाने की वजह ये है..
दुष्कर्म और अपहरण जैसी घटनाओं में काले कांच वाली कार की ही अक्सर प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा संदेहास्पद लोग इस ब्लैक फिल्म लगी कार का प्रयोग करते हैं, ताकि वे पुलिस से बच सकें। हथियार शराब और अन्य प्रकार के अनापत्तिजनक सामान का एक जगह से दूसरे जगह पर ले जाने के लिए ऐसे कार का प्रयोग किया जाता रहा है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से ब्लैक फिल्म लगी कार की गहनता से जांच होना तथा ऐसे कार सवार लोगों पर कार्रवाई होना अति आवश्यक है।
यह है सुप्रीम कोर्ट का नियम
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 27 अप्रैल 2013 को फोर व्हीलर पर हर तरह की काली फिल्म पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। वाहन निर्माताओं की ओर से लगे कांच को ही मान्य किया। इसके पहले सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट 1989 की धारा 100 (2) के अनुसार, काले वाहनों में सामने और पीछे के शीशे में 70 फीसदी तक और खिड़कियों में 40 फीसदी तक पारदर्शिता होनी चाहिए।
कुछ हादसों पर नजर
पिछले दिनों एक पिकअप गाड़ी ने नोखा रोड पर एक राहगीर को उड़ा दिया। आज तक उस गाड़ी का पता नहीं चला।
जेएनवीसी थाना इलाके में तीन पहले तेज गति की कार ने दो युवकों को काल शिकार बना लिया।
शहर के अनेक स्थानों पर चोपहिया वाहनों में होते अनैतिक कार्य
जमकर झलकते है काले शीशों वाली कारों में जाम

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