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बीकाजी नमकीन सहित कई प्रोडक्ट जिनकी कीमत 1 पैसा भी नहीं बढ़ी, लेकिन फिर भी ये हो गए महंगे, जानिए कैसे

पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और नींबू…ये 4 शब्द सुनते ही पांचवां शब्द अपने आप मुंह से निकल जाता है, वो है महंगाई। हाय! महंगाई। बच्चा-बच्चा जानता है कि इन चीजों के दाम रॉकेट की तरह बढ़ रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ डेली यूज प्रोडक्ट्स ऐसे हैं, जिनकी कीमत महंगाई के इस दौर में भी नहीं बढ़ी। फिर भी वे महंगे हो गए हैं।

जी हां बिल्कुल ऐसा ही है, पारले-जी बिस्किट, बीकाजी नमकीन, कोलगेट टूथपेस्ट…और ऐसे ढेरों प्रोडक्ट हैं, जिनकी कीमत 1 पैसा भी नहीं बढ़ी, लेकिन फिर भी ये महंगे हो गए। अर्थशास्त्र में इस तरह बढ़ने वाली महंगाई को अंग्रेजी में शृंकफ्लेशन (Shrinkflation) और हिंदी में सिकुड़न कहते हैं। इसमें प्रोडक्ट की प्राइस बढ़ाने के बजाए क्वांटिटी कम कर दी जाती है। जैसे पारले-जी बिस्किट की कीमत फरवरी में भी 5 रुपए थी और अब भी 5 रुपए ही है, लेकिन वजन 64 ग्राम से घटाकर 55 ग्राम कर दिया।

शृंकफ्लेशन ही नहीं महंगाई बढ़ाने के और भी 3 तरीके हैं। अर्थशास्त्र में तो इनके जटिल नाम हैं, लेकिन आसान भाषा में कहें तो ये हैं कछुआ चाल महंगाई, घोड़ा दौड़ महंगाई और रॉकेट स्पीड महंगाई। दैनिक भास्कर ने छुपी हुई महंगाई से आपको रू-ब-रू करवाने के लिए रिसर्च किया और करीब 20 से ज्यादा ऐसे प्रोडक्ट निकाले, जिन्हें आप मॉल या गली-मोहल्ले की दुकान से उसी दाम में खरीद रहे हैं जो 2021 में थे। इन थैलाभर सामान से छुपी हुई महंगाई आपके किचन तक कैसे पहुंच रही है यह जाना।

 

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