
शहर के कई बड़े डॉक्टर्स ने अपने घरों पर खोल रखे है मेडिकल स्टोर, आदेशों की नहीं हो रही पालना






खुलासा न्यूज, बीकानेर। पीबीएम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स द्वारा अपने निजी आवास पर मेडिकल स्टोर खोलने की लगातार शिकायतें एसपी मेडिकल कॉलेज प्रशासन को मिल रही है। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही है। दरअसल 2019 में कॉलेज के प्राचार्य ने एक आदेश जारी ऐसे डॉक्टर्स पर कार्यवाही करने के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक एक भी बड़े डॉक्टर्स के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई है। उस आदेश में कहा गया था कि राजकीय सेवा में कार्यरत चिकित्सकों द्वारा राजकीय सेवा में रहते अपने घर पर दवा की दुकाने खोलने संबंधी शिकायत लगातार मिल रही है। ऐसे में महाविद्यालय एवं अधीनस्थ समस्त चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है कि उनके आवासीय घर पर दवा की दुकान संचालित नहीं की जाए, अगर दवा की दुकान मिली तो संबंधित के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी। इस प्रकार के आदेश एसपी मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा कई बार जारी किये जा चुके है, लेकिन आदेश पर अमल नहीं किया जा रहा। प्रशासन की यही ढिलाई डॉक्टर्स को छूट दे रही है।
दरअसल, पीबीएम व मेडिकल कॉलेज के अधीनस्थ अस्पतालों के बड़े-बड़े डॉक्टर्स ने अपने आवासीय क्लिनीक पर दवा की दुकानें खोल रखी है,जो नियमों के विरुद्ध है। ऐसे होते हुए भी इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही। वहीं, अधिकांश चिकित्सकों ने इसका तोड़ भी निकाल लिया है, जिन्होंने अपने आवास में नहीं, बल्कि आसपास किसी को मेडिकल खुलवा दी, जिससे दवा में मोटा कमीशन डॉक्टर्स द्वारा वसूला जा रहा है। कुछ डॉक्टर्स ने अपने या रिश्तेदार के नाम पर फार्मा कंपनी रजिस्टर्ड करवा रखी है, जिन्होंने अपनी कंपनी की दवा बनवाई जाती है और वही दवा मरीजों को दी जा रही है, जो बाजार में और किसी मेडिकल पर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मजबूरन मरीजों को उसी मेडिकल से दवा लेनी पड़ रही है। इस तरह दवा में बड़ा खेल मरीजों के साथ खेला जा रहा है। केवल दवा ही नहीं, जांचों में भी इसी तरह मरीजों को लूटा जा रहा है। अधिकांश डॉक्टर्स ने अपने आवासीय घर के सामने या आसपास लैब खोल लिये हैं, जिनमें जांच के बदले मोटा कमीशन वसूला जा रहा है। कुछ डॉक्टर्स तो इतने लालची हो गए है वो रेट पर काम करते है ना की कमीशन पर। यानि एक हजार की जांच में सात सौ रुपए डॉक्टर्स के है, बाकी जो बचता है वह लैब संचालक का है। इस मनमर्जी से लैब संचालक भी परेशान व प्रताडि़त है, लेकिन वे मजबूरी में बोल नहीं पा रहे है।


