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रामलीला में मंथरा कैकई संवाद का मंचन किया

बीकानेर। शहर के नगर सेठ लक्ष्मीनाथ प्रांगण में नवरात्रि के अवसर पर श्रीराम कला मंदिर संस्थान द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। संस्था के सचिव अभिराम दत्त गौड़ ने बताया कि गुरुवार को रामलीला मुख्य अतिथि बीकानेर के संभागीय आयुक्त नीरज के पवन तथा विशिष्ट अतिथि राजेश चुरा समाजसेवी बाल किशन व्यास विमल जी छंगाणी ने आज की लीला का विधिवत शुभारंभ किया। रामलीला में गुरुवार को में कलाकारों ने विभिन्न दृश्यों का मंचन किया। जिसमें कैकई-दशरथ संवाद व राजा दशरथ से रानी कैकई द्वारा मांगे गए वचन की लीला का मंचन किया गया। रामलीला में जब भगवान राम को अयोध्या का राज देने की चर्चाएं आई तो रानी कैकई को उसकी दासी मंथरा ने भडक़ा दिया। मंथरा ने कहा कि राम तो राजा बन जाएंगे। मगर कैकई पुत्र भरत को कुछ नहीं मिलेगा।इसको लेकर रानी कैकई कोप भवन में चली जाती है। और वहां जाकर रूठ कर बैठ जाती है। इस बात का जब राजा दशरथ को पता चलता है तो, राजा कोप भवन में जाकर रानी कैकई से उसका कारण जानते हैं। कैकई राजा दशरथ से अपने वचन मांगती है। इसके तहत कैकई दशरथ से अपने पुत्र भरत को राज गद्दी तथा राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगती है। इसको सुनकर दशरथ बहुत दुखी होते हैं। वो कैकई से कहते हैं कि तुम कुछ भी मांग लो, लेकिन राम को वनवास मत मांगों। इस पर कैकई कहती है कि तुम अपने वचन से मुकर जाओ। इस पर दशरथ कहते हैं कि रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाएं पर वचन जाई। इसके साथ ही श्रीराम, सीता लक्ष्मण सहित वन में प्रस्थान कर जाते है। संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के पवन के कहा कि आज की भागदौड़ की जिंदगी जहां युवाओं को मोबाइल व अन्य चीजों के लिए समय नहीं है वहीं एक युवा वर्ग पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने का कार्य कर बीकानेर का नाम रोशन कर रही है। आज में गदगद हो गया कि बीकानेर शहर में इस तरह के मंचन होते है वो भी इतने शानदार मंच पर भगवान राम के चरित्र को चिरतार्थ करना बड़ा मुश्किल होता है। सभी पात्रों को दिल से बधाई देते हूं कि वो हर साल ऐसे ही रामलीला का आयोजन शहरवासियों की संस्कृति से जोड़े रखें।

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