
अब नहीं होंगे मांगलिक कार्य:होलिका दहन 7 मार्च और रंगों का पर्व 8 को



बीकानेर।होलिका दहन 7 मार्च को है, जबकि रंगों का पर्व 8 को खेला जाएगा। सोमवार को होलाष्टक शुरू हो गए । इस बार अप्रैल में 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया (आखा तीज) स्वयं सिद्ध अबूझ विवाह मुहूर्त हैं, इसके अलावा अप्रैल महीने में कोई विवाह मुहूर्त नहीं है। गुरु तारे का अस्त होना इसकी प्रमुख वजह है। गुरु तारा 30 मार्च को अस्त होगा,जो 28 अप्रैल को उदित होगा निर्णय सागर पंचांग अनुसार 8, 9 मार्च और 13 मार्च को विवाह मुहूर्त हैं, उसके बाद सीधे 1 मई के बाद विवाह शुरू होंगे।
होलाष्टक में विवाह,नामकरण,जनेऊ संस्कार,नवीन गृह प्रवेश,प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा आदि कार्य नहीं होंगे। ज्योतिषाचार्य राजकुमार शास्त्री गन्हेंदी ने बताया कि होलाष्टक में ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है। इसलिए पूजा-पाठ, फाग उत्सव और खरीद-फरोख्त की जा सकती है, लेकिन मांगलिक कार्य नहीं करते कृती होता लेकिन चौघड़िया देखकर की गई खरीदारी शुभ फलदायी रहेगी। इस दौरान सर्वार्थ और अमृत सिद्धि आदि योग भी रहेंगे।
कुछ पंचांगों में होलाष्टक 28 से शुरू होने का उल्लेख है,लेकिन अधिकांश जानकारों ने इसे 27 से ही माना है। इस अवधि में विवाह के मुहूर्त भले हों, पर अधिकांश लोग विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलाष्टक को 8 दिनों तक मालवा क्षेत्र में अधिक माना जाता है, लेकिन अब पूरे प्रदेश लोक रीति से मान्य करते है लेकिन शास्त्र नीति से होलाष्अक को मान्य नही किया जता है। अधिकांश वर्गों के लोग होलाष्टक में मांगलिक कार्य नहीं करते हैं ज्योतिषाचार्य के अनुसार होलाष्टक में पूजा-पाठ और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है। भगवान का नाम जप करने से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। होलिका रात्रि के दौरान तंत्र,मंत्र एवं यंत्र का प्रयोग करने से उसका प्रभाव एक साल तक रहेगा। वहीं दूसरी ओर घरों में होली को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। बाजारों में भी पिचकारी बिकने लगी हैं।

