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लंपी का महाप्रकोप : चारों ओर लाशों के ढेर, गांवों में घी बचा न दूध, आने वाले समय में और बड़े संकट की आहट

– संपादक कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । लंपी स्किन डिजीज का कहर राजस्थान में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इस संक्रामक बीमारी के कारण राजस्थान में अब तक 38000 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। इस खतरनाक वायरस ने पशुपालकों की नींद उड़ा दी है। बीकानेर अभी तक 3000 गायों की मौत हो गई हैं। वहीं, अनगिनत संख्या में गायें बीमार है। प्रदेश में कोरोना काल में जो गांव लोगों के लिए सच्चे देवरे (मंदिर) बने थे। आज ‘लंपी’ के प्रकोप से श्मशान में बदलते जा रहे हैं। किसी घर में दो तो किसी के आंगन में चार-पांच गायों की मौत हो गई। कुछ जगहों पर गायों और बछड़ों का शरीर इतना गल गया है कि वे तड़पते हुए सांस लेने का प्रयास कर रहे हैं। देखने वालों के दिल दहले जा रहे हैं। प्रार्थनाएं की जा रही है कि भगवान इन्हें जल्दी उठा लें। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 2 महीने में राजस्थान में 38 हजार से ज्यादा गौवंश की मौत हो चुकी हैं।

गांधीजी ने कहा था, असली भारत गांवों में बसता है….। और इन गांव वालों का घर इन्हीं गाय- भैंस के घी और और दूध से चलता है। अब गांवों में न घी बचा और न दूध। हालात इतने बुरे हैं कि मासूम बच्चों को पिलाने के लिए थैली बंद दूध भी जुटाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ‘लंपी’ का बीकानेर सहित प्रदेश भर में जिस तरह से प्रकोप फैला है, उसमें अनुमान से प्रतिदिन 8 लाख लीटर की सप्लाई कम हो रही है। साथ ही आने वाले समय में दूध और घी के बड़े संकट की आहट देखी जा रही है। आशंका ये भी है कि इनके दाम भी तेजी से बढ़ेंगे। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में 30-32 प्रतिशत दूध कम आ रहा है। ये भी तब जब इस समय भैंस दूधारू होने लगती है और इनका दूध सबसे ज्यादा आता है।

हाईवे के चारों ओर लाशों का ढेर, गायों की लाशों की दुर्गंध
गोवंश पर आए संकट के बादल और गहरे होते जा रहे हैं। मौत के मुंह में जा रही हैं मृत गोवंश को खुले में डाला जा रहा है जिससे अब दुर्गंध फैल रही हैं और महामारी का भी रूप ले सकती है।
स्थिति यह बनी हुई है की इन दिनों शहर ख़ाली हो गया है , लोग पूनरासर निकल गए है । पूनरासर व रामदेवरा जाने वाले पदयात्रियों का साँस लेना दुर्भर हो रहा है , यह इसलिए की लंपी वायरस से हाईवे पर गायों की लाशों का ढेर लगा हुआ है । फैल रही बदबू से रहे जातरू काफ़ी परेशान है । इसके बावजूद भी सिस्टम मौन है ।

बीकानेर में सरकारी आँकड़ो में गायों की मौत का ग्राफ़ कम दिखाया गया है , लेकिन हक़ीक़त कुछ और है । पशुपालकों का कहना है कि मौतों का असली आंकड़ा कहीं ज्यादा है। हाल यह है की गायों की लाशों के ढेर के टीले बन गए हैं।

 

पशुपालकों को सलाह

बीकानेर शहर में रोज करीब 200 गोवंश की मौत लम्पी से हो रही है। गांव में एक लाख से ज्यादा पशु संक्रमित हैं। एक्स्पर्ट के मुताबिक़ पालतू पशुओं में संक्रमण आवारा पशुओं से फैल रहा है। अभी भी लोग पालतू पशुओं को खुला छोड़ रहे हैं। इससे वे संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में यदि पालतू पशुओं को बचाना है तो रोग खत्म होने तक पशुओं को बांधकर रखना होगा।

 

कलेक्टर ने वीसी से लिया लंपी स्किन रोग की स्थिति का फीडबैक
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को लम्पी स्किन डिजीज के संक्रमण की रोकथाम एवं उपचार के संबंध में ब्लॉक एवं ग्राम पंचायतों के साथ विडियो कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया।
इसमें जिला मुख्यालय से जिला प्रमुख श्री मोडाराम, जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नित्या के., अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशा) ओमप्रकाश तथा पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र नेत्रा जुड़े। वहीं समस्त उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारियों के साथ पंचायत समितियों के प्रधान ब्लॉक स्तर से और सरपंच एवं वार्डपंच आदि ग्राम पंचायत स्तर से उपस्थित रहे।
इस दौरान जिले में लम्पी स्किन डिजीज के नियंत्रण एवं उपचार के संबंध में किए जा रहे प्रयासों की चर्चा की गई।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने रोग के नियंत्रण एवं उपचार के संबंध में पशुपालन विभाग से प्राप्त नए दिशा निर्देशों की जानकारी दी।
जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने राज्य वित्त आयोग, केंद्रीय वित्त आयोग एवं निजी आय में से निर्देशानुसार राशि का उपयोग करते हुए मृत पशुओं के निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा किसी भी स्थिति में मृत पशु खुले में नहीं फेंका जाए।
जिला नोडल अधिकारी तथा अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशा) ने कहा कि वर्तमान में लम्पी स्किन डिजीज के केस तेजी से कम हो रहे हैं। सामूहिक प्रयासों से जल्दी ही यह बीमारी जिले में समाप्ति पर होगी। उन्होने जिले में रोग नियंत्रण हेतु उपलब्ध मानव संसाधन और औषधियों की उपलब्धता की जानकारी दी।
ब्लॉक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, गौशाला संचालकों के साथ चर्चा की गई और लम्पी स्किन डिजीज के संबंध में फीडबेक लिया गया।
जिला प्रमुख महोदय ने रोग पर तेजी से नियंत्रण हेतु सभी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, गौशाला संचालकों को मिलजुल कर कार्य करने का आह्वान किया।
जिला कलक्टर ने कहा कि मृत पशु खुले में नहीं रहे। ग्राम पंचायातें आगे बढ़कर इस रोग के नियंत्रण में अपनी भूमिका निभाए। उन्होंने बताया कि दवाइयों के लिए अब तक जिला स्तर 16 लाख एवं ब्लॉक स्तर पर 14 लाख से अधिक राशि की औषधियाँ भामाशाहों द्वारा उपलब्ध करवाई गई है।

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