
बीकानेर: प्रचार-सभाओं को 72 घंटे शेष, अगले 3 दिन कोई सभा नहीं होगी






बीकानेर: प्रचार-सभाओं को 72 घंटे शेष, अगले 3 दिन कोई सभा नहीं होगी
बीकानेर। लोकसभा चुनाव प्रचार और सभाओं के लिए सिर्फ 3 दिन यानी 72 घंटे बचे हैं। रविवार शाम तक दोनों ही पार्टियों की आेर से आने वाले 3 दिनों में किसी बड़े नेता की सभा तय नहीं है। गृहमंत्री का दौरा अब पूरी तरह से कैंसिल हो चुका है। कांग्रेस की तुलना में भाजपा नेताओं ने यहां ज्यादा दौरे किए। दरअसल जिस दिन नामांकन हुआ था उस दिन दोनों ही पार्टियों ने सभा सफल करने में पूरी ताकत लगाई। भाजपा की ओर से बार-बार नेताओं के नाम तय होने के बाद कैंसिल होते रहे और अंत में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी और उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी नामांकन के लिए पहुंचीं। कांग्रेस की और से उसी दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, पूर्व सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पहुंचे। उस दिन तक दोनों ही पार्टियों की शुरूआत अच्छी हुई। देश के रक्षामंत्री और भाजपा में मोदी के बाद दूसरे नंबर के नेता राजनाथ सिंह कोलायत में सभा करके गए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उसी दिन पांचू और मुकाम में सभा की। उसके बाद विदेश मंत्री एस.जयशंकर का बीकानेर दौरा हुआ। उन्होंने जनसंवाद भी किया। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आए। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी समेत कई नेता श्रीडूंगरगढ़ पहुंचे।
कांग्रेस में राहुल की अनूपगढ़ में सभा
राष्ट्रीय नेताओं के नाम पर कांग्रेस की एक ही बड़ी सभा अनूपगढ़ में हुई। वहां पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभा की। अनूपगढ़ विधानसभा लोकसभा के लिहाज से बीकानेर का हिस्सा है लेकिन प्रशासनिक जिला अलग है। ऐसे में कांग्रेस की आेर से पूरी कमान खुद गोविंद राम के पास ही है। हालांकि कांग्रेस की आेर से राहुल कस्वां, हनुमान बेनीवाल का समय लेने की कोशिश की लेकिन अभी तक समय नहीं मिला क्योंकि ये दोनों ही उम्मीदवार हैं और वे अपने प्रचार में व्यस्त हैं। अब सिर्फ 3 दिन शेष हैं। अभी तक दोनों ही पार्टियों की आेर से किसी नेता की सभा तय नहीं है। फिर भी भाजपा के लिए एक राज्यसभा सांसद सोमवार को आ सकते हैं। हैरानी की बात ये है कि राजस्थान में मीडिया आैर आईटी सेंटर से हमला करने के लिए कांग्रेस ने अपनी एक राष्ट्रीय प्रवक्ता को जयपुर बैठा दिया था। उनका एक बार भी बीकानेर दौरा नहीं हुआ। यहां तक कि कांग्रेस की आेर से मीडिया के मार्फत भी भाजपा पर हमले विधानसभा की तुलना में कम हुए।


