अर्जुन का अजय रथ आखिर क्या कांग्रेस रोक पाएगी या फिर खुद ही लगा देगी नया पार

अर्जुन का अजय रथ आखिर क्या कांग्रेस रोक पाएगी या फिर खुद ही लगा देगी नया पार

-पत्रकार कुशाल सिंह मेडतियां की रिपोर्ट

बीकानेर। लोकसभा चुनाव को लेकर अब बिगुल बज चूका है। क्योंकि भाजपा की ओर से 195 सीटों पर आचार सहिंता लगने से पहले ही प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। इस सूची में राजस्थान में भाजपा की सबसे सेफ सीट मानी जाने वाली बीकानेर सीट पर भी एक बार फिर अर्जुनराम मेघवाल के नाम पर मुहर लग चुकी है। भाजपा ने यहां से मेघवाल पर लगातार चौथी बार भरोसा जताया है। पिछले चार चुनावों में भाजपा को यहां से बंपर जीत मिली है। जबकि यही सीट कभी कांग्रेस के खाते में जाया करती थी। खास बात यह भी है की जब अर्जुनराम मेघवाल ने पहली बार 2009 में करीब 19 हजार वोटों से चुनाव जीता था, लेकिन 2019 तक पहुंचते- पहुंचते यह आंकड़ा करीब ढाई लाख तक पहुंच गया है। यही वजह रही की अर्जुनराम के अलावा भाजपा में किसी भी प्रत्याशी ने अपनी दावेदारी ही नहीं जताई। कभी इसी सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा करता था और बड़े मार्जन से यहां पर जीत भी मिलती थी। लेकिन इस बार हालात यह है की कोई भी प्रत्याशी अभी तक खुलकर कांग्रेस की ओर से सामने नहीं आया। अगर यही हालात रहे तो यह चुनाव कहीं एकतरफा साबित नहीं हो जाए। हालांकि कांग्रेस आलाकमान इस सीट को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। यही वजह है कि फरवरी में पार्टी के तीन बड़े नेता आकर कार्यकर्ताओं का मन टटोल चुके है। वहीं दूसरी और अर्जुनराम मेघवाल का इस चुनाव में विरोध कम ही नजर आ रहा है। जबकि पिछले चुनाव में बीकानेर के कदावर नेता देवीसिंह भाटी ने खुलकर विरोध किया था। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में भी बीकानेर से भाजपा के खाते में 7 में से 6 सीटें आई थी। लेकिन इसके बावजूद मंत्रिमंडल में बीकानेर को वो जगह नहीं मिल सकी, जितनी उम्मीद की जा रही थी। ऐसे में ब्राह्मण और राजपूत समाज के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही संगठन में भी बीकानेर के किसी नेता को जगह नहीं मिल सकी।

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