
महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसी पाबंदी, कल रात 8 बजे से 1 मई तक ब्रेक द चैन अभियान






महाराष्ट्र में बुधवार रात 8 बजे से 1 मई सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी गई हैं। इसे ब्रेक द चैन अभियान का नाम दिया है। पूरे राज्य में धारा 144 लगा दी गई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार शाम इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि हालात काबू में करने के लिए सख्ती करनी होगी। अगर जरूरी न हो तो घर से न निकलें। हर चीज की एक क्षमता होती है। ऐसे ही राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की भी एक क्षमता है, ज्यादा भार पड़ने पर परेशानी आ सकती है।
क्या खुला और क्या बंद रहेगा?
- बिना जरूरी काम के कहीं नहीं जा सकेंगे।
- लोकल ट्रेनें और बसें बंद नहीं होंगी।
- जरूरी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी ही इनमें याता कर पाएंगे।
- एग्रीकल्चर सेवाएं देने वालों के लिए ट्रांसपोर्टेशन चालू रहेगा।
- सभी बैंक खुले रहेंगे।
- ई-कॉमर्स की सेवाएं भी चालू रहेंगी।
- पत्रकारों को आने-जाने की छूट दी गई है।
- रेस्टोरेंट और होटल में बैठकर खाया नहीं जा सकेगा।
- होटल से खाना पैक करवाने की सुविधा रहेगी।
- कंस्ट्रक्शन साइट से जुड़े हुए लोगों को मजदूरों के रहने की व्यवस्था करनी होगी।
लॉकडाउन को लेकर लोगों का अलग-अलग मत
उन्होंने कहा कि हमने 10वीं और 12वीं की परीक्षा भी टाल दी हैं। कोविड-19 खत्म होने के बाद हम फिर परीक्षा करवा सकते हैं। समाज के अलग-अलग घटकों से और अलग-अलग लोगों से बात की जा रही है। लॉकडाउन पर सबका अलग-अलग मत है, लेकिन ये वक्त अगर हाथ से निकल गया तो परेशानी और बढ़ती जाएगी।
बाजार में मिलने लगा है रेमडेसिविर
उद्धव ने कहा कि राज्य में रोज 12 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन हो रहा है। इसमें से एक हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन कोविड-19 में इस्तेमाल किया जा रहा है। बीच में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कम हो गया था, लेकिन अब फिर से वह मिलने लगा है।
ससे पहले उन्होंने रविवार को कोरोना टास्क फोर्स के साथ समीक्षा बैठक की थी। टास्क फोर्स ने कोरोना की चेन तोड़ने के लिए राज्य में 15 दिनों के सख्त लॉकडाउन की वकालत की है। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने 8 दिन के लॉकडाउन का समर्थन किया।
नालासोपारा में ऑक्सीजन खत्म होने से 3 घंटे में 7 मरीजों की मौत
संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच मुंबई से सटे नालासोपारा के विनायक हॉस्पिटल में देर रात सिर्फ 3 घंटे में ICU में एडमिट 7 मरीजों की मौत हुई है। परिवार का आरोप है कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का स्टॉक खत्म हो गया था और इसी वजह से मरीजों की मौत हुई। वहीं हॉस्पिटल की सफाई है कि मृत हुए सभी मरीज अन्य गंभीर बिमारी से ग्रसित थे और जब उन्हें एडमिट करवाया गया था उनमें 30-40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन लेवल था।


