
नाबालिग से गैंगरेप के दोषी 2 युवकों को आजीवन कारावास, DNA टेस्ट से हुई पुष्टि, पीड़िता ने दिया था बच्ची को जन्म






खुलासा न्यूज़ । पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट न्यायाधीश मदन गोपाल आर्य ने नाबालिग लड़की से गैंगरेप के मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए दोषी 2 युवकों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माना अदा न करने पर अतिरिक्त कारावास भुगतने के आदेश दिए।
राज्य की ओर से पैरवी विशिष्ट लोक अभियोजक विनोद डूडी और परिवादी पक्ष की ओर से पैरवी अधिवक्ता राजेन्द्र महरोलिया और प्रीतपाल सिंह ने की। प्रकरण के अनुसार 20 अप्रेल 2015 को पीलीबंगा पुलिस थाना में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के आरोप में पांच जनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। अनुसंधान के बाद पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया। अभियोग पक्ष की ओर से कुल 21 गवाह और 42 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए। पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट न्यायाधीश मदन गोपाल आर्य ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद आरोपी संजय उर्फ संदीप पोटलिया और सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरू पुत्र जगदीश निवासी जाखड़ांवाली पीएस पीलीबंगा को दोषी करार दिया। इन्हें पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास और 50 हजार रुपए के आर्थिक जुर्माने से डंडित किया। जुर्माना अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतना होगा। शेष तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
पीड़िता ने दिया था बच्ची को जन्म
अधिवक्ता राजेन्द्र महरोलिया ने बताया कि खास बात यह रही कि इस प्रकरण में दोषी करार दिए गए आरोपी संजय उर्फ संदीप पोटलिया का डीएनए टेस्ट करवाया गया था, क्योंकि पीड़िता गैंगरेप के बाद गर्भवती हो गई। अस्पताल में उसकी डिलीवरी हुई और बच्ची पैदा हुई। इस संबंध में डॉक्यूमेंट भी पत्रावली में शामिल किए। डिलीवरी के दौरान पैदा हुई बच्ची का आज तक न तो जन्म प्रमाण पत्र और न ही आधार कार्ड बन पाया, क्योंकि पिता का नाम नहीं था। इस दौरान पुलिस ने भी डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लेने के लिए संजय उर्फ संदीप पोटलिया को गिरफ्तार करने का काफी प्रयास किया, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त में आने से बचता रहा। इस पर उन्होंने कोर्ट के समक्ष भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 45 के अन्तर्गत प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया।
बच्ची का डीएनए एक आरोपी से मैच
इसके आधार पर कोर्ट ने आदेश दिया। इसके बाद डीएनए सैंपल लिया गया और एफएस में भेजने के बाद पीड़िता व उसकी बच्ची के अलावा आरोपी संजय उर्फ संदीप पोटलिया का डीएनए टेस्ट मैच किया। इसके आधार पर संजय उर्फ संदीप पोटलिया को इस केस में दोष सिद्ध किया गया। अधिवक्ता राजेन्द्र महरोलिया ने बताया कि पीड़िता की बच्ची को भी आज उसके पिता का नाम मिल पाया है। इसलिए यह फैसला समाजहित-न्यायहित में है।


