
शेखावाटी गैंग से लॉरेंस की राजस्थान में एंट्री






जयपुर। जयपुर में बिल्डर निश्चल भंडारी से एक करोड़ की फिरौती मांगने की साजिश का कनेक्शन शेखावाटी गैंग से जुड़ा हुआ है। शेखावाटी के सबसे बड़े बदमाश सुभाष बराल के माध्यम से राजस्थान में फिर से लॉरेंस ने एंट्री कर ली है।
लंबे समय से टूटी हुई आनंदपाल की गैंग फिर सक्रिय हो गई है। यह गैंग अब पुलिस के लिए सिरदर्द बन रही है। यह खुलासा जयपुर में एक बिल्डर से मांगी 1 करोड़ रुपए फिरौती के मामले में हुआ है। पुलिस ने जब कडिय़ां जोड़ी तो सामने आया कि शेखावाटी से ही फिरौती की पूरी प्लानिंग की गई। यह रुपए लॉरेंस के नाम से मांगे गए। मकसद था कि गैंग को दोबारा खड़ा किया जाए और यह बताया जाए कि यह गैंग राजस्थान में अब एक्टिव हो चुकी है।
सुभाष बराल ही वह गैंगस्टर था, जिसने एक अन्य बदमाश आनंद शांडिल्य के साथ मिलकर फिरौती की योजना बनाई थी। वह भी इसलिए क्योंकि जेल से बाहर आने के बाद गैंगस्टर बराल ने एक लग्जरी कार खरीदी, लेकिन इतनी तंगी आ गई थी कि लाखों रुपए की इस महंगी कार में पेट्रोल डलवाने तक के रुपए नहीं थे। इधर, आनंद शांडिल्य भी बराल से 5 लाख रुपए मांग रहा था, लेकिन बराल इतना बेबस था कि वह 5 लाख रुपए भी नहीं दे सका। इसके बाद दोनों ने मिलकर फिरौती का प्लान बनाया। यह रुपए दोनों में आधी-आधी बंटनी थी। इसके लिए दोनों ने लॉरेंस की मदद ली और उसी का नाम लेकर फिरौती मांगी।
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सीकर से बहुत ही पुराना कनेक्शन है। लॉरेंस का दोस्त सुभाष बराल उर्फ सुभाष मूंड सीकर का ही रहने वाला है। दोनों अजमेर की घूघरा घाटी जेल में एक साथ ही बंद थे। लॉरेंस ने सुभाष के कहने पर जेल में बैठकर जुराठड़ा सरपंच सरदार राव की हत्या शूटर भेजकर कराई थी। सुभाष बराल की जुराठड़ा सरपंच से चुनावी रंजिश चल रही थी। बराल ने ही जेल में बंद लॉरेंस से संपर्क किया और लॉरेंस ने संपत नेहरा से बिल्डर निश्चल भंडारी को फोन कर फिरौती मांगने को कहा था।
शेखावटी से रची गई साजिश, तिहाड़ और मंडोली जेल से गया था कॉल
दिल्ली की जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई व संपत नेहरा तक फिरौती मांगने के लिए कॉल पहुंची। दरअसल, आनंदपाल की गैंग को संभाल रहा गैंगस्टर सुभाष बराल इन दिनों जमानत पर बाहर आ चुका था। आनंदपाल के साथ जेल से भागने के बाद उसे कुछ दिन पहले ही जमानत मिली थी। जेल से बाहर आने के बाद सुभाष को खर्च चलाने के लिए दिक्कत होने लगी थी। सुभाष बराल व आनंद शांडिल्य दोनों आनंदपाल गैंग के सक्रिय सदस्य थे।
सुभाष बराल की जमानत कराने के लिए आनंद शांडिल्य ने वकील को 5 लाख रुपए दिए थे। जेल से बाहर निकलने के बाद आनंद रुपए मांग रहा था। सुभाष ने जेल से बाहर आने के बाद एक लग्जरी गाड़ी भी खरीद ली थी। तेल डलवाने के रुपए नहीं होने पर सुभाष बराल ने रुपए कमाने के लिए किसी बिजनेस मैन या फिर बिल्डर का पता लगाया जो आराम से रुपए दे दे। आनंद शांडिल्य की पार्टनरशिप को लेकर निश्चल भंडारी से कुछ अनबन चल रही थी। उसने एक जमीन को लेकर कई बार निश्चल को पार्टनरशिप में काम करने को बोला था। उसने ही सुभाष बराल को निश्चल भंडारी की पूरी कुंडली सुभाष बराल को दे दी।
आनंद डराने के लिए निश्चल को जेल की कहानी सुनाता
आनंद शांडिल्य और निश्चय भंडारी दोनों पहले से अच्छे परिचित थे। आनंद अकसर निश्चल को जेल में बंद आनंदपाल और सुभाष बराल की कहानी सुनाता रहता था। आनंद तब हनीट्रैप के मामले में अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद था। तब लॉरेंस बिश्नोई व सुभाष बराल से उससे अच्छी दोस्ती हो गई थी। पार्टनरशिप नहीं देने से नाराज होकर उसने निश्चल का नाम ही बराल को बता दिया था। यह विश्वास था कि निश्चल आराम से रुपए दे देगा। धमकी का कॉल आने पर वह आनंद को ही बात बताएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। फिरौती का आधा हिस्सा बराल और शांडिल्य के बीच में बंटना था।
लॉरेंस के नाम मांगी थी फिरौती
सुभाष बराल ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई को पूरी बात कहीं। लॉरेंस ने भी संपत नेहरा को एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगने को बोला। संपत ने ही दिल्ली की मंडोली जेल से बिल्डर निश्चल भंडारी को इंटरनेट से वॉटसऐप कॉल कर धमकी दी। उसको दो दिन में एक करोड़ रुपए देने को बोला था। फिरौती देने की बजाय बिल्डर ने जवाहरनगर थाने पहुंच कर रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके बाद पुलिस ने संपत नेहरा, लॉरेंस व आनंद शांडिल्य को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अब सुभाष बराल की तलाश कर रही है।


