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जेल में मोबाइल पहुंचाने के लिए जेलरों को धमकाता लॉरेंस पुलिसकर्मियों के बच्चों को गैंग से जोड़ा

जयपुर। जेल में मोबाइल नहीं देने पर लॉरेंस बिश्नोई जेलर तक को धमकियां देता था। उनके बच्चों को उठवाने और मारपीट का डर दिखाता था। इस बात का खुलासा जयपुर के जी क्लब में हुई फायरिंग से जुड़ी चार्जशीट में हुआ है।
लॉरेंस ने अब अपनी गैंग में पुलिसकर्मियों के बच्चों को ही सॉफ्ट टारगेट करना शुरू कर दिया है। लालच देकर उन्हें क्राइम की दुनिया में शामिल किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात तो ये है कि पुलिसकर्मियों के बच्चों से ही हथियार सप्लाई करवाए जा रहे हैं। लॉरेंस गैंग संभालने वाले रोहित गोदारा के गुर्गों को हथियार सप्लाई करने वाले 5 अपराधी पुलिसकर्मियों के बेटे निकले हैं।
हथियार सप्लाई में च्पुष्पा झुकेगा नहींज् जैसे फिल्मी डायलॉग का कोडवर्ड भी इस्तेमाल किया जाता है। ्र्य-47 जैसे महंगे हाईटेक हथियार डीलरों से किराए पर भी लिए जाते हैं। पूरी डील के लिए लॉरेंस और उससे जुड़े गुर्गों ने सिग्नल ऐप की बजाय भारत में बैन एक नए ऐप का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ताकि कोई बातचीत को रिकॉर्ड या लोकेशन ट्रेस नहीं कर सके।
ने जयपुर के जी-क्लब में हुई फायरिंग मामले से जुड़ी चार्जशीट में लॉरेंस बिश्नोई, रितिक बॉक्सर और रोहित गोदारा सहित 4 बदमाशों को आरोपी बनाया है। इस चार्जशीट में ही लॉरेंस को लेकर कई खुलासे सामने आए हैंज्
15 फरवरी को जयपुर पुलिस लॉरेंस को पंजाब की बठिंडा जेल से जवाहर सर्किल थाने में लेकर आई थी। 16 फरवरी को वीसी के जरिए लॉरेंस को कोर्ट में पेश कर 1 मार्च तक रिमांड पर रखा गया। 2 मार्च से 7 मार्च तक लॉरेंस जयपुर सेंट्रल जेल में रहा।
15 फरवरी को जयपुर पुलिस लॉरेंस को पंजाब की बठिंडा जेल से जवाहर सर्किल थाने में लेकर आई थी। 16 फरवरी को वीसी के जरिए लॉरेंस को कोर्ट में पेश कर 1 मार्च तक रिमांड पर रखा गया। 2 मार्च से 7 मार्च तक लॉरेंस जयपुर सेंट्रल जेल में रहा।
जेल में मोबाइल के लिए जेलर को धमकाता है लॉरेंस
जेल में ही बड़ी आसानी से लॉरेंस गैंग को मोबाइल मिल जाते हैं। हाल ही में लॉरेंस का पंजाब की जेल से हुआ इंटरव्यू इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मोबाइल के लिए लॉरेंस जेलर तक को धमकियां देता है। जो जेलर मोबाइल नहीं देते हैं, उन्हें धमकी देकर मारपीट कर दी जाती है। लॉरेंस अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद था। उसने जेलर से जेल में मोबाइल देने के लिए दबाव बनाया। जेलर ने मोबाइल देने से मना कर दिया तो उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई।
तब जेलर ने अजमेर सिविल लाइन थाने 57/20 एफआईआर नंबर दर्ज कराई थी। इसके बाद लॉरेंस को भरतपुर की सेवर जेल में भेज दिया गया था। वहां भी उसने जेल में मोबाइल देने के लिए दबाव बनाया था। उसने जेलर को मारने की धमकी दी। जेलर ने भी 182/20 नंबर मुकदमा दर्ज कराया था।
तीसरी एफआईआर अजमेर में 321/20 भी जेल में मोबाइल देने का दबाव बनाने और धमकी देने की दर्ज हुई थी। इन तीनों मुकदमों का जिक्र जयपुर के जी-क्लब में हुई फायरिंग से जुड़ी चार्जशीट में भी है, जो मुख्य सबूत है कि जेल में मोबाइल नहीं देने पर गैंगस्टर पुलिसकर्मियों के परिवार को मारने पीटने की धमकी भी देते हैं।

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