समर्थन मूल्य खरीद व पोषाहार वितरण में डकारे लाखों,आदेश के बाद भी दर्ज नहीं हो रही एफआईआर

समर्थन मूल्य खरीद व पोषाहार वितरण में डकारे लाखों,आदेश के बाद भी दर्ज नहीं हो रही एफआईआर

बीकानेर। राज्य सरकार चाहे किसानों के उत्थान के कितने ही जतन कर लो। लेकिन उनके अधिकारी व कार्मिक ठेका फर्म संचालकों से मिलकर भ्रष्टाचार करना अब आम बात हो गई। हालांकि ऐसे कई मामलों की शिकायतें भी हुई है और कमेटियां बनाकर जांचे भी की गई। किन्तु कमेटियों की रिपोर्ट में दोषी पाएं जाने वालों के खिलाफ आज तक कार्यवाही नहीं हो पा रही है। जबकि विभाग की ओर से अनेक पत्रावलियों और स्थानीय प्रशासन की ओर से अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश भी दिए गये। बीकानेर में श्रीडूंगरगढ़,लूणकरणसर,खाजूवाला,बज्जू,कोलायत सहित अनेक क्रय विक्रय समितियों में समर्थन मूल्य खरीद में करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार हुए है। जिनकी जानकारी उप रजिस्ट्रार समितियों के आंकाओं को भी है। फिर भी दोषियों पर कार्यवाही न होना। कही न कही उप रजिस्ट्रार समितियों के आ ंकाओं की मिलीभगती की ओर इशारा कर रहा है। खुलासा ने पूर्व में भी ऐसे कई मामले उजागर किये है। एक ऐसा ही एक ओर मामला श्रीडूंगरगढ़ में भी प्रकाश में आया है। यहां पब्लिक अगेंस्ट करप्शन सोसायटी राजस्थान की ओर से जिला कलक्टर को एक शिकायती पत्र देकर श्रीडूंगरगढ़ क्रय विक्रय सहकारी समिति लि द्वारा समर्थन मूल्य खरीद व राष्ट्रीय पोषाहार वितरण में लाखों रूपये का घोटाला उजागर की बात कही गई है। जिसकी पुष्टि शिक्षा विभाग की ओर से गठित कमेटी में भी हुई है।
यह है मामला
समर्थन मूल्य मूंगफली खरीद वर्ष 2020-2021 में समिति के मैनेजर पद पर नियुक्त राजेश कुमार खींचड़ व ठेकेदार हेमराज मीणा व फर्म करणी कस्ट्रेक्शन कंपनी लूणकरणसर द्वारा मूंगफली के 13000 बोरी 19 मार्च 20 तक वेयर हाउस में जमा करवानी थी। इस दौरान लॉकडाउन लग गया और कृषि मंडी में भी मूंगफली का कोई भी स्टॉक नहीं था। लेकिन इसके बाद अचानक मूंगफली बोरी वेयर हाउस में जमा बताई जाती है और जिन वाहनों से इसे जमा करवाने के रशीद काटी गई है। वे गाडिय़ां श्रीडूंगरगढ़ कृषि मंडियों में लोड होकर आई तक नहीं। इस समर्थन मूल्य की खरीद का ठेका करणी कस्ट्रेक्शन को दिया गया। यह कंपनी लूणकरणसर में भी भ्रष्टाचार में लिप्त होना पाई गई है। इतना ही नहीं पिछले वर्ष समर्थन मूल्य खरीद में इसी ठेकेदार हेमराज मीणा व मैनेजर द्वारा परिवहन के फर्जी बिल भी उठाएं गये। जिसमें किमी अधिक दर्शाकर लाखों रूपये उठाएं कर राजस्व का चूना लगाया गया। इसकी पुष्टि भी सानिवि की ओर से सोसायटी को उपलब्ध करवाई गई किमी की लिस्ट से हो जाती है।
पोषाहार में भी गबन
जानकारी मिली है कि राष्ट्रीय पोषाहार के वितरण में भी 2000 क्विं गेहूं का गबन भी सामने आया है। जिसकी एक क मेटी से जांच भी करवाई गई। इसमें गबन की सत्यता पर मुहर भी लगने के बाद जिला कलक्टर की ओर से एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए। परन्तु आज तक इस मामले में भी दोषियों के खिलाफ किसी प्रकार का मामला दर्ज नहीं हुआ है। हालांकि मैनेजर को एक दफा एपीओ किया गया था। परन्तु राजनैतिक पहुंच के चलते मैनेजर वापिस उसी पद पर आसीन हो गया।
जांच में दोषी,फिर भी कार्यवाही नहीं
गौर करने वाली बात तो यह है कि कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर गठित की गई कमेटी में स्टाफ कम पाएं जाने पुष्टि हो चुकी है। चार सदस्ययी कमेटी द्वारा क्रय विक्रय सहकारी समिति श्रीडूंगरगढ़ का वर्ष 2011-2017 तक के स्टॅाक रजिस्टर एवं ब्लॉक प्रारंभिक शिक्ष अधिकारी डूंगरगढ़ द्वारा उपलब्ध करवाये गये पोषाहार परिवहन के प्रमाणित खाद्यान विपत्र के अनुसार स्टॉक कम पाया गया। क्रय विक्रय सहकारी समिति के अवशेष से गेहूं 1329.770 की बजाय 575.500 एवं चावल 487.245 में से 336.845 क्वि कम स्टाक था। कार्यालयों के तुलनात्मक अध्ययन बावजूद 13 शालाओं व खाद्यान्न वितरण नहीं किया गया। इस कमेटी में बीईईओ मातुराम,डीईईओ प्राशि कार्यालय शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी शिवशंकर चौधरी,सहायक लेखाधिकारी रामदेव पंवार,एडीईओ अख्तर अली शामिल रहे।

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