कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में एफआर लौटाई कार्यवाही के आदेश

कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में एफआर लौटाई कार्यवाही के आदेश

बीाकनेर। पोक्सो कोर्ट ने नाबालिग लड़की के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म मामले में पुलिस की ओर से पेश की गई एफआर को अस्वीकार कर प्रसंज्ञान लिया है। मामले की जांच करने वाले अनुसंधान अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दिए हैं और अभियुक्तों को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है। चार जुलाई, 19 को पीडि़ता के पिता की ओर से सदर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। पुलिस को दी गई िरपोर्ट में बताया गया कि तीन जुलाई को उसकी नाबालिग लड़की घर का सामान लेने के लिए गई थी। भुट्टों के चौराहे पर पहुंची तो इन्द्रा कॉलोनी निवासी राजू और रायसर निवासी प्रेम मेघवाल उसे टैक्सी में भरू गांव की रोही में ले गए और बारी-बारी से दुष्कर्म किया। पुलिस ने अपनी जांच में मामले को झूठा मानते हुए एफआर लगा दी और 28 अगस्त, 19 को कोर्ट में पेश कर दी। पीडि़ता और उसके पिता कोर्ट में पेश हुए और एफआर को गलत बताया। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की ओर से पेश एफआर अस्वीकार की और प्रसंज्ञान लेते हुए दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है। इसके अलावा कोर्ट ने एसपी को लिखा है कि अनुसंधान अधिकारी सदर थाने के एसएचओ के खिलाफ कार्यवाही कर अवगत करवाया जाए। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे गंभीर प्रकृति के अपराध में अनुसंधान अधिकारी ने अपने कर्तव्य के प्रति शिथिलता, उपेक्षा की है। समाज में नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराध सभी के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही गंभीर विषय है। एसएचओ सदर को तहरीर जारी की गई है कि पीडि़ता के चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान संकलित किए गए नमूनों को एफएसएल जांच के लिए भेजा जाए और उसकी रिपोर्ट शीघ्र कोर्ट में पेश करें।
पीडि़ता ने कोर्ट में कहा कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है
पीडि़ता और उसके परिवादी पिता कोर्ट में पेश हुए और कहा कि दुष्कर्म हुआ है। मामले की एफआईआर चार जुलाई, 19 की शाम को 8.53 बजे दर्ज की गई। छह जुलाई, 19 को पीडि़ता के बयान लेखबद्व किए गए, जबकि उसका चिकित्सकीय परीक्षण पांच जुलाई को कराया जा चुका था। बाद में पुलिस ने 12 जुलाई तक पीडि़ता के परिजन या परिवादी के भी बयान लेखबद्व नहीं किए। नाबालिग पीडि़ता के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म कर अपराध घटित होने की सूचना के बावजूद अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं की गई। छह जुलाई से लेकर 12 जुलाई के बीच प्रकरण में क्या प्रभावी अनुसंधान किया गया, पत्रावली पर नहीं है।

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