कोडमदेसर भैरव मेला 4–5 सितंबर को, श्रद्धा के सागर पर भारी अव्यवस्थाओं का बोझ, चारों ओर लगे गंदगी के ढेर, जिम्मेदार नदारद,, देखे वीडियो

कोडमदेसर भैरव मेला 4–5 सितंबर को, श्रद्धा के सागर पर भारी अव्यवस्थाओं का बोझ, चारों ओर लगे गंदगी के ढेर, जिम्मेदार नदारद,, देखे वीडियो

कोडमदेसर भैरव मेला 4–5 सितंबर को, श्रद्धा के सागर पर भारी अव्यवस्थाओं का बोझ, चारों ओर लगे गंदगी के ढेर, जिम्मेदार नदारद,, देखे वीडियो

 

खुलासा न्यूज़, बीकानेर, 3 सितम्बर। बीकानेर से 24 किलोमीटर दूर स्थित ईष्टदेव कोडमदेसर भैरव मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ लोग मन्नतें पूरी होने पर या विशेष दिनों, जैसे अष्टमी, चतुर्दशी, और अमावस्या पर दूर-दूर से पैदल चलकर आते हैं। यह मंदिर महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर की तरह ही एक मुक्त आकाश के नीचे है और इसकी स्थापना बीकानेर की स्थापना से भी पहले की मानी जाती है।  प्रतिवर्ष भादवे महीने मे लगने वाला यह मेला  इस वर्ष 4 और 5 सितंबर को भव्य रूप से मेला भरने जा रहा है। शताब्दियों से चली आ रही इस परंपरा में बारस, तेरस और चौदस की तिथियों पर आस्था की गंगा उमड़ती है और हजारों की संख्या में पदयात्री तथा श्रद्धालु बाबा भैरवनाथ के दरबार में अपनी मनोकामनाएँ लेकर पहुंचते हैं। बीकानेर शहर से ही नहीं, अपितु चहू ओर से बड़ी संख्या में लोग इस मेले में आते हैं। भक्तजन बीकानेर से पैदल यात्र कर कठिन पदयात्रा पूरी कर भक्ति-भाव से बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

पुजारी परिवार के तेजकरण गहलोत ने बताया कि इस अवसर पर मंदिर को विशेष श्रृंगार और सजावट से सुसज्जित किया जाता है। प्रातःकालीन आरती के समय भव्य श्रृंगार, दीप-प्रज्वलन और शंख-घंटी की ध्वनि से सम्पूर्ण परिसर गूंज उठता है। श्रद्धालुओं का स्वागत सिंदूर तिलक लगाकर किया जाता है और प्रसाद वितरण का क्रम निरंतर चलता रहता है। दर्शन के लिए बांस बलियों से लाइनबद्ध व्यवस्था की जाती है जिससे हजारों श्रद्धालु सहज रूप से बाबा के दर्शन कर सकें।
मेले शुरू होने से पूर्व पदयात्रियों के सेवार्थ समाजसेवी और भामाशाहों द्वारा जगह-जगह सेवा शिविर लगाए जाते हैं जिनमें पानी, दूध, चाय, बिस्किट, बूंदी-नमकीन और रात्रिभोज तक की निःशुल्क व्यवस्था होती है। चिकित्सा शिविर और प्राथमिक उपचार की सुविधाएँ भी मौजूद रहती हैं। मेल परिसर के आसपास श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशालाओं के साथ-साथ अस्थाई शिविर भी लगाए जाते हैं।
पुलिस प्रशासन ने भी इस बार विशेष तैयारियाँ की हैं। गजनेर थानाधिकारी सुभाष गोदारा ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु मंदिर परिसर से बाहर बस व बड़े वाहनों के लिए अलग से पार्किंग की व्यवस्था की गई है। मेले में भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष पुलिस बल तैनात रहेगा। गांव में प्रवेश करने वाले सभी भारी वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा और मंदिर से 500 मीटर के दायरे तक दोपहिया व चारपहिया वाहनों की एंट्री पूरी तरह बंद कर दी गई है, केवल पदयात्रियों को प्रवेश मिलेगा। राजमार्गों पर पुलिसकर्मी पदयात्रियों की सहायता और मार्गदर्शन के लिए मौजूद रहेंगे।
तीन दिवसीय मेले के दौरान पुजारी परिवार व  सेवादारों मे छगनलाल, तिलोकचंद, माणकचंद, राजेश गहलोत, गोविंद गहलोत, बाबूलाल, मनोज, विशाल गहलोत, जगदीश गहलोत, साहिल बोंडा सहित अनेक सेवादार  मेल प्रबंधन मे अपनी विशिस्ट भूमिका निभाएंगे।  आस्था, सेवा और संगठन का यह अद्वितीय संगम कोडमदेसर भैरव मेला हर वर्ष बीकानेर की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को जीवंत करता है। बाबा के चरणों में उमड़ती श्रद्धा और भक्तिभाव की यह धारा इस मेला पर्व को सदियों से अमर बनाए हुए है।
श्रद्धा के सागर पर भारी अव्यवस्थाओं का बोझ
बीकानेर, 3 सितम्बर। आस्था और भीड़ का केंद्र होने के बावजूद कोडमदेसर भैरव मेला इस बार भी अव्यवस्थाओं और समस्याओं से जूझ रहा है। आगामी 4 और 5 सितंबर को लगने वाले इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे, लेकिन मंदिर परिसर और आसपास की व्यवस्थाएँ प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल रही हैं।
मंदिर के पुजारी परिवार के रामेश्वर लाल गहलोत ने बताया कि बरसात के चलते मंदिर परिसर और मार्ग कीचड़ से पटे पड़े हैं। श्रद्धालुओं के लिए पैदल चलना भी मुश्किल है, वहीं दोपहिया, तीनपहिया और चारपहिया वाहनों का आवागमन अवरुद्ध हो जाता है। भारी वाहनों के लिए यह मार्ग प्रतिबंधित होने के बावजूद, टोल टैक्स बचाने के लिए ट्रक और ट्रेलर इसी रास्ते से गुजरते हैं जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है।
मंदिर परिसर में चढ़ावे के रूप में आने वाला तेल, सिंदूर और फूल-मालाएँ अगले दिन अपशिष्ट के रूप में निकलते हैं जो प्रतिदिन की स्तिथि रहती और मेले दिन यह स्तिथि कई होती है जिन्हें मंदिर के बाहर कच्ची ज़मीन पर डाल दिया जाता है। प्रशासन की ओर से इनके नियमित निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण तालाब का एक हिस्सा कचरे और गंदगी से भर चुका है। तालाब का कैचमेंट एरिया भी कब्जों की वजह से संकुचित हो गया है, जिससे भरपूर बारिश के बाद भी तालाब आधा खाली रह जाता है और गर्मियों में पूरी तरह सूख जाता है।
मंदिर के आसपास अस्थाई दुकानें पंचायत की अनुमति से इतनी नज़दीक लगा दी जाती हैं कि श्रद्धालुओं के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। संकरे रास्तों पर श्रद्धालुओं, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। पुजारी परिवार का कहना है कि पंचायत द्वारा शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन वे मंदिर से दूर होने के कारण महिलाओं को जानकारी ही नहीं मिल पाती और उन्हें बहुत कठिनाई होती है। गंदगी फैलने से माहौल अस्वच्छ हो जाता है।
इन समस्याओं के बीच पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण को लेकर अपनी योजनाएँ सामने रखी हैं। गजनेर थानाधिकारी सुभाष गोदारा ने बताया कि मंदिर परिसर से बाहर बस और बड़े वाहनों के लिए अलग से पार्किंग बनाई गई है। पूरे गांव में प्रवेश करने वाले भारी वाहनों को पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है। मंदिर परिसर से 500 मीटर दायरे तक किसी भी वाहन का प्रवेश वर्जित रहेगा और केवल पदयात्री ही जा सकेंगे। पुलिस बल लगातार निगरानी रखेगा और राजमार्ग पर पदयात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष गश्त का इंतज़ाम किया गया है।
पुजारी परिवार और श्रद्धालुओं ने जिला प्रशासन से अपील की है कि गंदगी और कीचड़ को तुरंत हटाया जाए, मार्गों पर मिट्टी डाली जाए और अस्थाई दुकानों को थोड़ी दूरी पर स्थापित किया जाए ताकि बाबा भैरव का मेला श्रद्धा और स्वच्छता के साथ संपन्न हो सके। आस्था के इस शताब्दियों पुराने पर्व की गरिमा तभी बनी रह सकती है जब प्रशासन दिखावे की बजाय ज़मीनी स्तर पर ठोस काम करे।
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