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कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर, भाजपा को दक्षिण में चमत्कार की उम्मीद

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद आए ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस को भाजपा पर बढ़त और त्रिशंकु जनादेश की भविष्यवाणी की गई है। हालांकि, राज्य की तीनों मुख्य सियासी ताकतें भाजपा, कांग्रेस और जदएस एग्जिट पोल के अनुमान के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद पाले हुए हैं। राज्य में हुए रिकॉर्ड तोड़ मतदान ने चुनावी तस्वीर को उलझा दिया है। कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर तो भाजपा को दक्षिण कर्नाटक में चमत्कार पर भरोसा है। मतदान से जुड़े अहम तथ्य हैं, जिनकी व्याख्या कांग्रेस, भाजपा और जदएस अपने-अपने हिसाब से कर रहे हैं। पहला, इस बार बीते सभी चुनावों के मुकाबले अधिक मतदान हुआ है। दूसरा, शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण और कम आय वाले क्षेत्रों में अधिक लोग मतदान केंद्रों पर पहुंचे। कर्नाटक में मतदान प्रतिशत का बढ़ना हमेशा सत्ता परिवर्तन की ओर इशारा करता रहा है। राज्य में अब तक 14 चुनाव हुए हैं। इनमें आठ बार बीते चुनाव के मुकाबले ज्यादा मत पड़े। मत प्रतिशत बढ़ने पर आठ में से सात बार सत्ता परिवर्तन हुआ। इस बार के चुनाव में सबसे अधिक मतदान हुआ है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार पार्टी को सत्ता विरोधी लहर, जदएस के कमजोर प्रदर्शन, अपनी पुरानी पैठ बनाए रखने का लाभ मिलने वाला है। रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि शहरी के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मतदान ने भी उनकी जीत की संभावनाओं को मजबूती दी है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि कर्नाटक के शहरी क्षेत्र में कम मतदान प्रतिशत नई बात नहीं है। एग्जिट पोल में भी ग्रेटर बंगलूरू, सेंट्रल बंगलूरू, तटीय कर्नाटक और बॉम्बे कर्नाटक में भाजपा की मजबूत पकड़ की बात स्वीकार की गई है। पार्टी को हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र और पुराना मैसूर (दक्षिण कर्नाटक) में जदएस-कांग्रेस के मुकाबले न्यूनतम सीटें (करीब सौ में महज 13 सीटें) दी गई हैं। यहीं तस्वीर बदलेगी।

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