क्या आमजन के लिये ये प्रशासनिक व्यवस्था है कलक्टर साहब! बार अध्यक्ष ने पत्र में खोली अव्यवस्थाओं की पोल

क्या आमजन के लिये ये प्रशासनिक व्यवस्था है कलक्टर साहब! बार अध्यक्ष ने पत्र में खोली अव्यवस्थाओं की पोल

खुलासा न्यूज,बीकानेर। कोविड को लेकर जिला प्रशासन कितना गंभीर है। इसकी बानगी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार पुरोहित की ओर जिला कलक्टर नमित मेहता को लिखे उस पत्र में दिखाई दे रही है। जिसमें उन्होनें कोविड संक्रमित के लिये प्रशासनिक दावों को खोखला बताया है। पुरोहित ने कलक्टर को लिखे पत्र में बयां किया है कि किस तरह एक पॉजिटिव रोगी की हालत है और प्रशासन- चिकित्सा महकमा किस तरह रोगियों के साथ व्यवहार कर रहा है। उसकी हकीकत से रूबरू करवाया है।

मैं, अजय कुमार पुरोहित, बार अध्यक्ष बीकानेर में पुलिस लाइन के पास 26, अमर सिंह पुरा, सिटी डिस्पेंसरी न. 4 के पास, मय परिवार निवास करता हूँ।
यह पत्र बीकानेर में फैली कोविड-19 के अनियंत्रित चलते दौर में प्रशासन की अनदेखी, लापरवाही व अंसुनवाई से संबंधित हैं।

मेरे को 23 अक्टूबर की शाम को ज़ुखाम की शिकायत हुई तो 24 अक्टूबर को 4 न. डिस्पेंसरी मेरे छोटे भाई को भेजा तो मालूम हुआ कि 24 तारीख को वहाँ छुट्टी हैं, तो टेस्ट नहीं होगा। 24 तारीख को ही ज़ुखाम के साथ बुखार हो गया, तो 25 तारीख की सुबह डिस्पेंसरी में जाने पर रविवार व दशहरा की छुट्टी के आधार पर मना कर दिया गया। साथ ही वहाँ यह भी इत्तला देदी गयी कि यहाँ 26 तारीख को भी क ोविड टेस्ट नहीं होगा, आप कही और टेस्ट करवा लेना। जिसपर 26 तारीख को 3 न. डिस्पेंसरी में टेस्ट करवाने गए, तो वहाँ पर मौजूद स्टाफ ने पहले तो साफ मना कर दिया कि यहाँ डॉक्टर साहब का ट्रांसफ र हो गया हैं, यहाँ टेस्ट नहीं होगा। इसके बावजूद अन्य स्टाफ के सदस्य के सहयोग से टेस्ट किया गया जो 26 तारीख की सूची में शामिल होने के बाद, टेस्ट के आई. डी का मैसेज 26 को फ़ोन पर आ गया।
27.अक्टूबर को दोपहर बाद जारी की गई 121 कि पॉजिटिव सूची में मेरे सहित मेरे परिवार के 5 सदस्यों का नाम पॉजिटिव सूची में आ गया। मेरी उम्र जहा 65 से अधिक व भतीजी की उम्र 10 वर्ष होने से, मेरे परिवार वाले कुछ ज़्यादा ही डरे हुए, सहमे हुए थे। उनके दिमाग में पूर्व की भांति किसी डॉक्टर का फ़ोन आएगा, एम्बुलेंस के साथ पुलिस आएगी, मुझे व बच्ची को हॉस्पिटल भेजेंगे, ऐसे में सब घर बैठे इ ंतज़ार करते रहे।
27 तारीख की रात को 10 बजे तक इंतज़ार करने के बाद हम सो गये, मगर रात को जैसे ही कोई तेज़ हॉर्न बोलता तो यही लगता कि कोई लेने आ गया। इसी सोच विचारी में अगला दिन यानी 28 का भी पूरा दिन निकल गया परंतु कोई नहीं आया।

आखिर 28 तारीख को जिला कलेक्टर को कई बार फोन किया पर फोन नहीं उठाया। कई मीडिया वालों से भी बात की। कोर्ट के न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं से भी बात की। जिससे उनमें भी गुस्सा व रोष था।
आखिर में रात्रि को सीएमएचओ बी.एल. मीणा से बात हुईं। उन्होंने स्थिति को समझ कर कहा कि ज़्यादा जरूरत हो तो अभी आदमी भेज दूँ। मैने उनसे कहा कि ऐसी आपत्तिजनक स्थिति नहीं है अत: ऐसे में आप उन्हें सुबह भेज दें। परंतु 29 को भी इंतज़ार करते रहे, कोई नहीं आया और बीकानेर जिला कलक्टर को 8-10 बार फोन किया, फोन उठाया तक नहीं। जबकि फोन चालू था, समय समय पर अन्य लोगो पर बातें भी हो रही थी। फिर हार कर वापस से सीएमएचओ को फोन किया। पुन: स्थिति से अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि सुबह तक पहुँच जाएगा। मेरे अन्य मिलने वालों व रिश्तेदारों ने डिस्पेंसरी पर फोन किया तो ज्ञात हुआ कि उनके स्टाफ ने कहा है कि उनके पास आई सूची में आप लोगो के नाम नहीं है।

30 को भी सुबह डिस्पेंसरी से बताया अनुसार किसी के नहीं आने पर पुन: सीएमएचओ को फोन किया व सूची में नाम होना बताया और एक सूची डिस्पेंसरी भी भिजवाई। करीब 30 तारीख की सुबह 11:30-12 बजे डिस्पेंसरी के 2 कंपाउंडर आए, डॉक्टर कोई उनके साथ नहीं आया। आने के बाद उन्होंने अपनी गलती मानी और यह गलती दुर्भावना से नहीं की गयी होनी प्रतीत हुई, ऐसे में मैंने उनको मेरी तरफ से माफ कर दिया।
श्रीमान जी मैं आपसे कम से कम 4-5 बार वकीलो के डेलिगेशन के साथ मिला हूँ, आपका व्यवहार भी हमारे प्रति हमेशा सम्मानजनक रहा हैं और हम अपने दिल और दिमाग में आपकी एक अच्छे जिला क लक्टर की मूर्त सजाए हुए थे, उसे खंडित होते देख ज़्यादा दुख हुआ।

यहाँ मुद्दा इस महामारी के संक्रमण के अनियंत्रित दौर में 65 वर्ष से अधिक के मरीज़, 10 वर्षीय बच्ची व उनके परिवार के अन्य सदस्य पॉजिटिव में यानी पूरा परिवार पॉजिटिव, ऐसी स्थिति में किसी डॉक्टर की कोई एडवाइस नहीं, कोई फ़ोन नहीं, प्रशासन की और से कोई सुनवाई नहीं।
हालांकि 30 तारीख के अखबार में ही जिला कलक्टर की खूब तस्वीरें छपी हुई थीं व पूरा दिन कोरोना को समर्पित जैसी खबरें छपी थीं, ऐसे मीडिया पर भी……
जिला कलक्टर चंद व्यापारियों, चंद नेताओं, चंद निम्न अधिकारियों व रसूल वाले लोगो के ही जिलाधीश नहीं हैं। आप पूरे बीकानेर की जनता के साथ-साथ गरीबो व मजदूरों के भी जिलाधीश हैं। आप बड़े अधिकारी बनते ही यह क्यों भूल जाते हैं कि आप अधिकारी होने के साथ-साथ एक पब्लिक सर्वेंट हैं और हम पब्लिक हैं।
पिछले 3-4 दिनों से बार-बार आपको फ़ोन पर, आपका फ़ोन चालू होने के बावजूद आप मेरा फ़ोन नहीं उठा रहे हैं, इसका कोई विशेष कारण हो तो बतावे। आप पब्लिक सर्वेंट हैं आपको पब्लिक का फ़ोन उठाना चाहीये, आप उनके संरक्षक हैं। इस पूरे क्रम में सिर्फ आपके द्वारा ऐसी स्थिति में भी फ़ोन नहीं उठाना निंदनीय हैं व अशोभनीय हैं तथा जिसे किसी भी रूप में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता और यह एक अच्छे जिलाधीश की निशानी भी नहीं हैं। मेरे यह वक्त तोआपके फ़ोन उठाए बिना भी चल गया, मगर किसी गरीब का फ़ोन उठा लेना वरना उसकी हाय बड़ी बुरी लगती हैं साहब।

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