Gold Silver

इस वर्ष गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटेंगे, फरवरी में ही 34 डिग्री पहुंचा तापमान

हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड के पहाड़ों में बर्फबारी शुरू हो गई है। इधर, जलवायु परिवर्तन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है पिछले साल की तरह इस बार भी देश में लू और बेहिसाब गर्मी पड़ सकती है। खासकर उत्तर भारत में दिल्ली समेत अन्य गर्म रहने वाले इलाकों में बेतहाशा गर्मी हो सकती है। पिछली बार दिल्ली में 25 अप्रैल को पारा 122 साल के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, वैसे ही इस बार भी रिकॉर्ड टूट सकता है। दूसरी ओर, राजस्थान के 17 शहरों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री से ऊपर रहा। बाड़मेर में तापमान 34.5 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। यह संकेत हैं कि इस बार गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
क्लाइमेट ट्रेंड्स की फाउंडर-डायरेक्टर आरती खोसला का कहना है इंसान गर्मी और आद्र्रता बर्दाश्त करने की हद पार कर रहा है। यह 50-60 साल में मौसम में आए बदलाव का परिणाम है। इसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं, जो 50 साल में बदलाव आता है। 50 साल में जितने भी इन्फ्रास्ट्रक्चर हैं जिनमें हाई एमिशन पावर प्लांट हैंं, यह ग्लोबल वार्मिंग केे नतीजे हैं। छत्तीसगढ़, हिमाचल और पंजाब में बारिश-बर्फबारी पश्चिमी विक्षोभ का परिणाम है।
ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हर महाद्वीप में अलग पड़ा
क्लाइमेट चेंज विशेषज्ञ आरती खोसला का कहना है ग्लोबल वार्मिंग का इम्पैक्ट इतना व्यापक है कि हर महाद्वीप में इसका अलग असर पड़ा। इंग्लैंड में सर्दियां बेहद गर्म थीं। नॉर्थ अमेरिका में बर्फीले तूफान आए और अब भारत में भी गर्मी जल्द आ रही है। क्लाइमेंट चेंज के प्रभाव-असर का अनुमान लगाना मुश्किल रहेगा। बीते 5-6 को ट्रिपल ला-नीना ईयर कहा जा रहा है। ट्रिपल ला-नीना में वािर्मंग इतनी है कि इस दशक में सबसे गर्म साल देखे गए हैं। 2020 पांचवां सबसे गर्म साल रहा।
कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी शुरू
कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गुरुवार को बर्फबारी शुरू हो गई। कुल्लू और लाहौल स्पीति समेत अटल टनल के दक्षिण और उत्तरी छोर में 5 इंच बर्फ गिरी। गुलमर्ग और ऊपरी इलाकों में बर्फ की चादर बिछ गई। उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब के साथ ही जोशीमठ की चोटियों पर बर्फबारी हुई।
च्ट्रिपल डिपज् ला नीना से मानसून प्रभावित होता है
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, मानसून में भारत में कहीं ज्यादा और कहीं कम लेकिन सामान्य से ज्यादा बारिश ट्रिपल डिप ला नीना से हुई। सर्दी का मौसम देर से शुरू होकर तेजी से ठंड बढऩा और जल्द से खत्म होना भी इसी का असर है। यह लंबी अवधि के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग नहीं रोक सकता। 2014 में अल नीनो साल था और जून से सितंबर तक 12त्न कम वर्षा हुई। ला नीनाज् से दुनिया के कुछ हिस्सों में बदलाव की संभावना है।

Join Whatsapp 26