मन की आंतरिक शांति व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण- स्वामी सुधानंद - Khulasa Online मन की आंतरिक शांति व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण- स्वामी सुधानंद - Khulasa Online

मन की आंतरिक शांति व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण- स्वामी सुधानंद

बीकानेर. आरएसवी ग्रुप ऑफ स्कूलस के जय नारायण व्यास कॉलोनी स्थित आरएसवी हायर सेकेंडरी स्कूल , करणी नगर स्थित आरएनआरएसवी हायर सेकेंडरी स्कूल, कमला कॉलोनी स्थित राष्ट्रीय पब्लिक स्कूल तथा मरुधर नगर स्थित एनएनआरएसवी उच्च माध्यमिक विद्यालय में नूरटूरिंग इनर हेल्थ विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के प्रथम भाग में आरएसवी तथा आरएनआरएसवी के कक्षा 7 से 12 तक के विद्यार्थियों ने तथा दूसरे भाग में एनएन आरएसवी और राष्ट्रीय पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाला को स्वामी सुधानंद जी (लाइफ स्किल ट्रेनर तथा क्लब मेंटोर) जयपुर ने मूर्त रूप प्रदान किया। कार्यशाला में विद्यार्थियों एवं अध्यापकों को संबोधित करते हुए स्वामी सुधानंद जी ने कहा कि व्यक्ति को अपने बाहरी स्वास्थ्य एवं वातावरण के साथ-साथ आंतरिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना अत्यंत आवश्यक होता है। हम भौतिक सुख-सुविधाओं पर विशेष ध्यान देते हैं जबकि मन की आंतरिक शांति व्यक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। आपने विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए विभिन्न माध्यमों से किस प्रकार से आंतरिक शक्ति एवं मानसिक शांति को प्राप्त किया जा सकता है इसे समझाया । विद्यार्थियों एवं अध्यापकों ने इस कार्यशाला में बढ़ चढ़कर भाग लिया तथा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। स्वामी जी ने भी सभी की शंकाओं को बड़े ही सहज रूप से सुना और उनका समाधान प्रस्तुत किया। आपने समझाया कि बाहर की सुख सुविधा प्राप्त करना अत्यंत आसान है किंतु जब तक मन की शांति एवं संतोष को प्राप्त नहीं किया जाता तब तक व्यक्ति को असली आनंद की प्राप्ति नहीं होती। आर एस वी ग्रुप ऑफ स्कूल के सीईओ आदित्य स्वामी ने स्वामी जी को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कहा कि आपने बड़े ही सहज रूप से विद्यार्थियों को प्रेरित किया निश्चित रूप से विद्यार्थी आपके द्वारा प्रदान की गई शिक्षा का उपयोग अपने भावी जीवन में कर मानसिक शांति अवश्य प्राप्त करेंगे। ऑनलाइन कार्यशाला में एन एन आर एस वी की प्रधानाचाय पूनम चौधरी तथा आरएनआरएसवी की प्रधानाचार्य बिंदु बिश्नोई ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला का संचालन नीरज श्रीवास्तव ने किया। स्वामी जी को विक्रम सिंह राजवी ने स्मृति चिन्ह भेंट स्वरूप प्रदान किया।

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