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भारतीय रेलवे महिलाओं को देता है 9 स्पेशल फायदे, कभी नहीं लिए तो अगली बार न चूकें

महिला रेल यात्री कृपया जरूरी जानकारी से खुद को लैस रखें ताकि कभी वक्त बेवक्त अकेले यात्रा करनी हो तो आपको अपने अधिकार व भारतीय रेलवे द्वारा आपको मिली हुई सुविधाओं के बारे में पूर्ण जानकारी हो. हजारों किलोमीटर की यात्रा को आरामदायक, परेशानी से मुक्त बनाने के लिए भारत सरकार में महिलाओं को कई प्रकार की खास फैसिलिटी दी हुई हैं जिनके बारे में अक्सर उन्हें जानकारी नहीं होती. यदि आप अकेले सफर नहीं करती हैं, बच्चों, दोस्तों, परिवार के साथ हैं तो भी कुछ बेनिफिट्स आपको भी मिलते हैं. सुरक्षा को लेकर सरकार के कड़े नियम हैं इनकी भी जानकारी आज हम अपने इस लेख में लेकर आए हैं. पढ़ें सिलसिलेवार…

1- यदि किसी कारणवश कोई महिला देर रात ट्रेन में सफर कर रही है और उसने टिकट नहीं ली है, गुम हो गई है, या उसके पास टिकट नहीं है तो उसे टीटीई ट्रेन से नीचे नहीं उतार सकता है. ट्रेन से उतारने की जिद यदि की जाती है तो महिला रेलवे अथॉरिटी से शिकायत कर सकती है. वैसे बिना टिकट रेल में सफर करना गैरकानूनी है. अगर उतारा जाता है तो महिला को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का जिम्मा आरपीएफ या जीआरपी का होगा. सिक्यॉरिटी पर्सनल यह सुनिश्चित करेंगे कि जहां पर महिला को छोड़ा गया है वहां वह पूरी तरह से सेफ है

2- स्लीपर क्लास में हर कोच में छह से सात लोअर बर्थ का कोटा, वातानुकूलित 3 टियर (3एसी) में प्रत्येक कोच में चार से पांच निचली बर्थ और वातानुकूलित 2 टियर (2एसी) क्लास में प्रति कोच तीन से चार निचली बर्थ का कोटा मिलता है. ये ऐसा कोटा है जो गर्भवती महिलाओं, सीनियर सिटीजनों, 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिला यात्रियों के लिए तय किया गया है.

3- रेलवे का यह सिस्टम क्योंकि ऑटोमेटेड है इसलिए इसमें वरिष्ठ नागरिकों, 45 वर्ष की महिला यात्रियों को निचली बर्थ देने का सरकारी प्रावधान डिफॉल्ट तो है और भले ही कोई विकल्प न दिया गया हो तब भी यह लागू हो जाता है. हालांकि यह सीट की उपलब्धता पर निर्भर करता है.

4- ऑनलाइन बुकिंग से इतर बात करें तो जिन रिजर्वेशन ऑफिसों में कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम नहीं हुआ है और जहां महिला यात्रियों के लिए अलग से काउंटर भी नहीं हैं, महिला यात्रियों को सामान्य कतारों में लगने की जरूरत नहीं है. सामान्य लाइन से इतर, एक ही काउंटर पर अलग से लाइन लगा सकती हैं महिलाएं.

5- मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के कोचों में महिला यात्रियों को अनारक्षित श्रेणी में भी अकमोडेशेन मिलेगा. साथ ही उपनगरीय रेलों में सेपरेट कंपार्टमेंट/कोच मिलेंगे. उपनगरीय ट्रेनें यात्री ट्रेनें हैं जो 150 किमी तक की छोटी दूरी तय करती हैं.

6-जहां भी आवश्यकता और संभव हो वहां पर भारतीय रेलवे द्वारा महिला विशेष ट्रेनें भी चलाई जाती हैं, इस बारे में आप रेल ऑफिस से पता कर सकती हैं.

7-कई महत्वपूर्ण स्टेशों पर महिला यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय/हॉल खासतौर पर बनाए गए हैं. साथ ही, नियमों के मुताबिक, अलग से सेपरेट टॉयलेट (यानी महिला पुरुष कॉमन टॉयलेट नहीं) भी होना ही चाहिए.

 

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