ठगों से परेशान इंडियन आइडल फेम सवाई:सिंगर के नाम सोशल मीडिया पर 50 से ज्यादा फर्जी अकाउंट

ठगों से परेशान इंडियन आइडल फेम सवाई:सिंगर के नाम सोशल मीडिया पर 50 से ज्यादा फर्जी अकाउंट

इंडियन आइडल फेम सवाई भाट ऑनलाइन ठगों से परेशान हैं। इन ठगों ने बड़े शातिराना अंदाज से सवाई के नाम से पचासों फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बना लिए हैं। इनके जरिए सवाई की भावुक कहानी और उसके फेम के सहारे लोगों से ऑनलाइन रुपए ट्रांसफर करवाकर ठगी की जा रही है। इन सब में सवाई के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ये खुलासा खुद सवाई भाट ने दैनिक भास्कर को फोन कर किया है। उन्होंने बताया कि उनके नाम से सोशल मीडिया पर कई फेक अकाउंट चलाए जा रहे हैं। उन्हें सोशल मीडिया की ज्यादा जानकारी नहीं होने से पहले तो इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और इग्नोर करते रहे। अब उन्हें पता चला है कि इन फेक अकाउंट के जरिए लोगों को ठगा जा रहा है। उनकी छवि बिगाड़ी जा रही है। बता दें कि सवाई भाट ने हाल ही में हिमेश रेशमिया के नए म्यूजिक एल्बम से गायकी की दुनिया में डेब्यू किया है।

रिश्तेदार बन झूठी कहानियां सुना कर करते हैं ठगी

सवाई भाट ने दैनिक भास्कर को बताया कि ये ठग उनके सोशल मीडिया अकाउंट के क्लोन के जरिए लोगों को मैसेज भेजते हैं। बाद में उनके रिश्तेदार बनकर झूठी कहानियां सुनाते हैं। लोगों को उनके संघर्ष, गरीबी और इंडियन आइडल से एलिमिनेशन की बातें बोलकर भावुकता के जरिए अपने चंगुल में फांस लेते हैं। फिर उनसे सवाई की मदद करने के नाम पर रुपए मंगवाते हैं। सवाई ने बताया कि ठगी के ऐसे कई मामलों की उन्हें जानकारी मिली है।

संघर्षों से भरा रहा है सवाई का अब तक का सफर

गायकी से देशभर में लाखों लोगों को अपना दीवाना बना चुके सवाई के जीवन की अब तक की कहानी संघर्षों से भरी रही है। शो में जाने से पहले तक राजस्थान के नागौर जिले के गच्छीपुरा गांव निवासी 20 साल के सवाई भाट को अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए गांव-गांव कठपुतली का खेल दिखाना व देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के सामने गाने-बजाने का काम करना पड़ रहा था।

बहुत छोटी उम्र में ही सवाई अपने दादा खैराती भाट व पिता रमेश भाट के साथ कठपुतली का खेल दिखाने के दौरान गांव-गांव घूमते थे। गांव के स्कूल से तीसरी कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अपने पिता के साथ जोधपुर चले गए। उन्हाेंने गांव-गांव घूमकर कठपुतली का खेल दिखा कर अपने पिता रमेश व माता सुशीला का घर चलाने में साथ दिया। सवाई ने बताया कि कठपुतली का खेल दिखाने के दौरान वो शादी-ब्याह की महफिलों और आस-पड़ोस में होने वाले माता के जगरातों व भजन संध्या कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों के साथ कमाई की आस लिए हारमोनियम और तबला बजाने के लिए भी जाने लगे। मांगणियार और लंगा गायकों के साथ गाने-बजाने का काम भी किया।

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