भारत-अमेरिका के बीच इंडस-एक्स पहल रक्षा क्षेत्र में अहम क्यों, PM मोदी की यात्रा से इसका क्या संबंध? - Khulasa Online भारत-अमेरिका के बीच इंडस-एक्स पहल रक्षा क्षेत्र में अहम क्यों, PM मोदी की यात्रा से इसका क्या संबंध? - Khulasa Online

भारत-अमेरिका के बीच इंडस-एक्स पहल रक्षा क्षेत्र में अहम क्यों, PM मोदी की यात्रा से इसका क्या संबंध?

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन चार और पांच जून को भारत में थे। इस दौरान उन्होंने अपने समकक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कई द्विपक्षीय और वैश्विक विषयों पर वार्ता की। इस दौरान दोनों देशों के बीच एक नई रक्षा पहल इंडस-एक्स शुरू करने की घोषणा की गई। अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत यात्रा इसलिए भी अहम रही क्योंकि इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा होना है। भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में कौन से नई पहल है? नई दिल्ली में बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस चर्चा में औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने के तरीकों की पहचान करने पर विशेष रूप से विमर्श किया गया। इस दौरान दोनों पक्षों ने नई रक्षा पहल यूएस-इंडिया डिफेंस इंडस्ट्रियल कोऑपरेशन (इंडस-एक्स) पर सहमति बनाई।
इंडस-एक्स क्या है? इंडस-एक्स भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक और रक्षा साझेदारी को बढ़ाने के लिए प्रस्तावित एक रक्षा पहल है। यह पहल इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) के तहत आती है। जानकारी के मुताबिक, इंडस-एक्स के शुभारंभ के संबंध में प्रारंभिक चर्चा जून 2021 में हुई थी। अब अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने जानकारी दी है कि इसका औपचारिक शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान किया जाएगा। यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी), अमेरिकी रक्षा विभाग और भारत के रक्षा मंत्रालय के साथ साझेदारी में यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स में 20-21 जून को पहले इंडस-एक्स सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह जानकारी यूएसआईबीसी के अध्यक्ष अतुल केशप ने मंलवार को दी। बता दें कि यह यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल की ही एक पहल थी, जिसका फोकस अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने पर है।

इंडस-एक्स के उद्देश्य क्या हैं? इंडस-एक्स का उद्देश्य अमेरिका और भारतीय रक्षा नवाचार क्षेत्रों के बीच साझेदारी को गहरा करना है। इंडस-एक्स हाई-टेक सहयोग को आगे बढ़ाने और रक्षा क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन के अवसरों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा। पहल का उद्देश्य सह-उत्पादन जेट इंजन, लंबी दूरी की तोपखाने और पैदल सेना के वाहनों के लिए संभावनाओं का पता लगाना है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने एक बयान में कहा, 'हम न केवल प्रौद्योगिकी साझा कर रहे हैं, बल्कि हम एक दूसरे के साथ पहले से कहीं अधिक सहयोग भी कर रहे हैं।' इसके महत्व पर अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक बयान में कहा, 'इस पहल का उद्देश्य अमेरिका और भारतीय रक्षा क्षेत्रों के बीच सहयोग के परिप्रेक्ष्य को बदलना है।'
इस पहल के मायने क्या हैं? भारत-अमेरिकी गठबंधन की यह पहल चीन के प्रभाव के खिलाफ एक अहम रणनीति साबित हो सकती है। वहीं, दूसरी ओर भारत रूस पर अपनी सुरक्षा निर्भरता को कम करने के लिए, अमेरिका के साथ अपने रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ कर रहा है। अभी भी रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना है। हालांकि, भारत के हथियारों के बाजार में रूस की हिस्सेदारी 2017 में 62 प्रतिशत से घटकर 2022 में मात्र 45 प्रतिशत रह गई है। 11 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ फ्रांस के बाद अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। इंडस-एक्स अब भारत को अपने रक्षा पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद करेगा, जो मेक-इन-इंडिया अभियान को भी बढ़ावा देगा। भारत रक्षा निर्यात पर अपनी निर्भरता कम करने और इसके बजाय स्थानीय विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहा है।
भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए इंडस-एक्स पहल क्यों जरूरी?  मोदी सरकार ने खासकर दूसरे कार्यकाल में रक्षा निर्यात बढ़ाने पर विशेष जोर दिया है। यही कारण है कि भारत ने मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में रक्षा निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का कुल रक्षा निर्यात 1.95 बिलियन डॉलर आंका गया था, जो एक रिकॉर्ड है। दरअसल, भारत कई तरह के रक्षा उपकरणों का निर्यात करता रहा है, जिनमें हेलीकॉप्टर, नौसैनिक जहाज, विमान, मिसाइल और बख्तरबंद वाहन शामिल हैं। सरकार ने 2025 तक रक्षा निर्यात में पांच अरब डॉलर हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसलिए, इंडस-एक्स पहल के तहत भारत और अमेरिका के एक साथ आने से, भारत आगामी दो वर्षों में पांच अरब डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की बेहतर स्थिति में होगा। यह अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करने और एक रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। भारत पहले ही रूस के साथ ऐसी रक्षा साझेदारी कर चुका है।
रक्षा क्षेत्र के नजरिए से अहम होगी पीएम की अमेरिका यात्रा  जून के अंत में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा दोनों देशों के बीच गहरे होते संबंधों को और मजबूत करेगी। इससे पहले राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन ने भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए निमंत्रण दिया था। यात्रा के दौरान, नेताओं के पास प्रौद्योगिकी, व्यापार, उद्योग और लोगों से लोगों के बीच संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने और उसे मजबूत करने का अवसर होगा।
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