हार्ट अटैक से मौत का बढ़ रहा आंकड़ा, डॉ. नाहटा बोले- जीवनशैली में बदलाव हृदय के बचाव मेंक्रांतिकारी कदम

हार्ट अटैक से मौत का बढ़ रहा आंकड़ा, डॉ. नाहटा बोले- जीवनशैली में बदलाव हृदय के बचाव मेंक्रांतिकारी कदम

बीकानेर। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पिंटू नाहटा ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को साइलेंट हार्ट अटैक होता है तो उसे सीने में किसी प्रकार का दर्द हो यह जरूरी नहीं हैं। मरीज को पता ही नहीं चलता की क्या हुआ। मरीज सामान्य रूप से अपने काम को अंजाम देता है। इसलिए इसके संकेत और लक्षण को पहचनना काफी मुश्किल हो जाता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। साइलेंट अटैक के 99 फीसदी लोग तुरंत इलाज के लिए चिकित्सक के  पास नहीं पहुंचते और मौत हो जाती है। डॉ. नाहटा ने बताया कि दर्द एक अहसास है। दिमाग को इसका संकेत कुछ खास नसों के जरिए मिलता है। आमतौर पर लंबे समय से डायबिटीज से पीडि़त व्यक्तियों या फिर बुजुर्गों के शरीर की इन नसों में खराबी हो जाती है। इसे ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी कहते हैं। इसके कारण सीने में जलन और दर्द का एहसास नहीं होता। जिस वजह से व्यक्ति साइलेंट हार्ट अटैक को महसूस नहीं कर पाता। डॉ. नाहटा के मुताबिक एक जनवरी से अब तक हार्ट अटैक से 59 मौतें हुई हैं, जिनमें से 22 लोग साइलेंट हार्ट अटैक के शिकार हुए। यानि 31 प्रतिशत लोग साइलेंट अटैक के शिकार हो रहे हैं। इसी तरह पिछले साल 128 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 37 लोग साइलेंट अटैक के शिकार बने। यह कुल मौत का 27 प्रतिशत रहा।

डॉ. नाहटा का कहना है कि जीवनशैली में बदलाव ही हृदय के बचाव में क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने बतायाकि हमारे आहार में बहुत से पोषक तत्व होते है। इनमे कुछ तत्व रक्त में कैलोस्ट्रोल की मात्रा में तेजी से बढ़ाते है जिससे संतृप्त वसा मुख्य होती है तथा असंतृप्त वसा, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट केलोस्ट्रोल को कंट्रोल करती है। प्रतिदिनि आहार में साबुत अनाज, दालें, वसा रहित दूध उससे बने खाद्य पदार्थ, ताजा हरी सब्जिया व फल, अंडे का सफेद भाग, बादाम, अखरोट आदि शामिल करने चाहिए।

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