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न्यायिक पचड़ों में बढ़ते मामले बने सिरदर्द, पेंडिंग केस दो लाख के आसपास

जयपुर: सरकारी विभागों के कामकाज में न्यायिक पचड़ों के बढ़ते मामले सिरदर्द बने हुए हैं. आलम यह है कि 50 से ज्यादा विभागों में ये पेंडिंग केसेस 1 लाख 80 हजार की संख्या को पार कर गए हैं. इन केसेस के निपटारे में जहां सरकारी वकीलों की फीस और अन्य खर्चे मिलाकर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर नीतिगत निर्णयों को अमल में लाने और सरकारी मशीनरी का फंक्शन ठीक तरह से करने में खलल पैदा हो गया है. सीएस निरंजन आर्य के लगातार निर्देशों के बावजूद 50 से ज्यादा विभागों में लिटिगेशन के केसेस में कमी नहीं आ रही है. आलम यह है कि 52 विभागों में पेंडिंग केसेस की संख्या एक लाख 80 हजार 26 तक पहुंच गई है. इनमें 16736 केसेस के साथ ऊर्जा विभाग टॉप पर है तो यूडीएच,एलएसजी और जेडीए जैसी शहरी विकास की संस्थाओं में यह आंकड़ा 10000 से लेकर 15725 तक है. सरकारी विभागों के यह आंकड़े समुचित मॉनिटरिंग के अभाव विभागों की उदासीनता और लचर केस ऑफिसर सिस्टम की दास्तां बयां कर रहे हैं.

ऊर्जा विभाग के हालात सबसे बदतर पाए गए हैं:
कुल पेंडिंग केस-16736
इनमें लगभग आधे यानि 7841 केसेस तो 1 अगस्त 2017 के बाद रजिस्टर्ड हुए हैं.
डॉक्यूमेंट अपलोडिंग में 141 यानि 0.98% केस हैं और 350 केसेस यानि 2.09% मामलों में तो जवाब तक पेश नहीं किये गए हैं.
विभाग के कुल 16736 पेंडिंग केसेस में 4776 यानि 28.53% केसेस का निर्णय विभाग के खिलाफ गया.
विभाग की 0.04% केसेस में अपील पेंडिंग है और 38 आदेशों की कार्यपालना बाकी है जो कि 0.8% है.
-विभाग के खिलाफ अवमानना के 128 केसेस हैं जिनका पेंडेंसी प्रतिशत 0.76 है.

दूसरे स्थान पर LSG है जहां कुल 15725 पेंडिंग केसेस में 6079 तो 1 अगस्त 2017 के बाद के हैं. विभाग में 1269 यानि 20.88% डॉक्यूमेंट अपलोडिंग वाले केसेस हैं और 1995 यानि 12.69% केसेस में तो जवाब ही नहीं दिया गया है. 1591 यानि 10 % केसेस में फैसला विभाग के खिलाफ गया है जबकि 104 यानि 6.54% मामलों में आदेश की कार्यपालना बाकी है. विभाग में 1.28% यानि 201 अवमानना के मामले हैं.

राजस्व विभाग:
इस विभाग के हालात बेहद खराब हैं. इसके 13681 पेंडिंग केसेस में 5986 केसेस 1 अगस्त 2017 के बाद के हैं. 793 केसेस में तो विभाग ने जवाब ही नहीं दिया है तो 3744 यानि 27.36% केसेस में फैसला विभाग के खिलाफ गया है . 215 आदेशों की कार्यपालना बाकी है और 262 विभाग के खिलाफ न्यायिक अवमानना के मामले हैं. स्कूल शिक्षा के 13708 पेंडिंग केसेस में 12122 तो 1 अगस्त 2017 के बाद रजिस्टर्ड हैं. 315 यानि 2.6% में डॉक्यूमेंट अपलोड होने बाकी हैं और 2359 यानि 17.21% में जवाब तक नहीं दिया गया है और 8015 में निर्णय विभाग के खिलाफ गया है और 1173 यानि 14.73% निर्णयों की कार्यपालना बाकी है जबकि 701 न्यायिक अवमानना के केसेस हैं.

वित्त विभाग:
12369 पेंडिंग केसेस में से 7841 यानि 63.39 % तो 1 अगस्त 2017 के बाद के हैं. 125 केसेस में डॉक्यूमेंट पेंडिंग हैं तो 201 केसेस में जवाब ही पेश नहीं किया गया है और 9221  यानि 74.54% केसेस में फैसला विभाग के खिलाफ गया है  जो अन्य विभागों से सबसे ज्यादा है. 2 केसेस में अपील पेंडिंग है तो 13 मामलों में आदेश की कार्यपालना बाकी है वहीं 44 न्यायिक अवमानना के मामले हैं. इस तरह पेंडेंसी में टॉप थ्री में न होने पर भी इस विभाग की परफॉर्मेंस कई मापदंडों में बेहद खराब है.

3 बड़ी संस्थाओं का आकलन:

शहरी विकास की बुनियादी 3 बड़ी संस्थाओं का आकलन करें तो UDH,LSG और JDA के कुल मिलाकर 39244 केसेस पेंडिंग हैं जो कुल विभागों के पेंडिंग केसेस का 21.79% है जिसमें जेडीए के 10494 और UDH के 13025 केसेस पेंडिंग हैं. इनमें 14% यानि 5644 केसेस में तो इन संस्थाओं ने जवाब ही नहीं दिया है और 8 प्रतिशत यानि 3257 केसेस में निर्णय इन संस्थाओं के खिलाफ गए हैं जबकि 340 मामलों में इन संस्थाओं ने आदेश की कार्यपालना तक नहीं की है और 2.57% यानि कुल 957 इन संस्थाओं के अवमानना के केसेस हैं.- आरपीएससी, खान व पेट्रोलियम विभाग, पंचायती राज, गृह,मेडिकल सहित 1 दर्जन विभागों में 4000 या उससे ज्यादा के केसेस पेंडिंग हैं. तमाम विभागों संस्थाओं में जेडीए जयपुर की ज्यादा उदासीनता नजर आ रही है जिसमें कुल उड़के 10494 पेंडिंग केसेस में 1 अगस्त 2017 के बाद 7994 केसेस हैं और 44.56% यानि 3562 में तो उसकी डॉक्यूमेंट अपलोडिंग की ही पेंडेंसी है और 27.11% यानि 2845 केसेस में तो जवाब ही पेश नहीं किया गया है. उसके खिलाफ 430 निर्णय हुए हैं और 211 में आदेश की कार्यपालना नहीं हुई है जबकि 534 अवमानना के मामले हैं.

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