जिस जमीन संबंधी लोन विवाद में भतीजे को मारा, अब उम्र भर नहीं जोत पाएगा उस जमीन को

जिस जमीन संबंधी लोन विवाद में भतीजे को मारा, अब उम्र भर नहीं जोत पाएगा उस जमीन को

हनुमानगढ़। जिस जमीन लोन विवाद में भतीजे को मारा, अब उम्र भर उस जमीन को वह नहीं जोत पाएगा। केसीसी लोन की राशि के भुगतान के विवाद में ट्रैक्टर चढ़ाकर भतीजे की हत्या करने के मामले में एडीजे द्वितीय ने एक जने को दोषी करार दिया। न्यायाधीश श्यामकुमार व्यास ने बुधवार को दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। राज्य की ओर से लोक अभियोजक नरेंद्र कुमार ने पैरवी की।
प्रकरण के अनुसार गोलूवाला थाने में 10 अगस्त 2018 को रवि सिंह पुत्र जगतार सिंह निवासी आयलकी ने मामला दर्ज कराया था कि उसके दादा गुरजंट सिंह के पास 50 बीघा जमीन है। दादा ने इसका घरू बंटवारा कर रखा है तथा वे उनके साथ रहते हैं। उसके पिता व दादा 25 बीघा कृषि भूमि पर काश्त करते हैं। जबकि उसके दो चाचा नारायण सिंह एवं सुखदेव ङ्क्षसह शेष जमीन पर अलग-अलग काश्त करते हैं। जमीन के केसीसी कर्ज को लेकर बैंक का कुर्की आदेश आया तो दादा ने तीनों भाइयों को कर्ज की राशि अदा करने को कहा। इस पर चाचा सुखदेव सिंह ने राशि का भुगतान करने से यह कहकर इनकार कर दिया कि तुम्हारे पास अधिक जमीन है। तुम्हीं राशि का भुगतान करो। इस बात को लेकर आरोपी उनसे रंजिश रखने लगा। वह निरंतर उसके पिता व परिवार को धमकियां दे रहा था। आरोप है कि दस अगस्त की सुबह जब वे खेत में थे तो वहां चाचा सुखदेव सिंह ट्रैक्टर लेकर आया। उसका भाई जगविन्द्र सिंह बाइक पर चाय लेकर आ रहा था। आरोपी सुखदेव सिंह ने उसको टक्कर मारकर बाइक से नीचे गिरा दिया और उसके बाद ट्रैक्टर ऊपर चढ़ाने लगा। जब वे बीच-बचाव को गए तो आरोपी ने उसके पिता को भी जख्मी कर दिया तथा मौके से फरार हो गया। पिता तथा भाई जगविन्द्र को जिला अस्पताल ले गए। इसके बाद भाई का बठिंडा में उपचार चला। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपों के आधार पर मामला दर्ज जांच की। अनुसंधान कर आरोपी के खिलाफ हत्या एवं हत्या के प्रयास के आरोप में चालान पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने दस गवाह परिक्षित करवाए और 29 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी सुखदेव सिंह को दोषी करार देकर आईपीसी की धारा 302 में आजीवन कारावास एवं 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि धारा 307 में सात साल की सजा एवं पांच हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया।
काउंसलिंग बेहद जरूरी
अपर लोक अभियोजक नरेन्द्र कुमार कहते हैं कि जिले में पारिवारिक विवाद बढ़ रहे हैं जो कई बार गंभीर अपराधों में तब्दील हो जाते हैं। इसलिए इस तरह के प्रकरणों में काउंसलिंग बेहद जरूरी है ताकि गंभीर अपराध ना हो। क्योंकि उससे कई परिवार पीड़ा झेलते हैं। न्यायालय के फैसलों से नि:संदेह आमजन का न्यायपालिका में विश्वास बढ़ता है। साथ ही कड़ा संदेश भी समाज में जाता है।

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