कडक़ड़ाती ठंड में निजी स्कूलें वार्षिकउत्सवों के बहाने मासूम बच्चों को बुला रहे हे स्कूल, प्रशासन सो रहा है कुंभकरण की नींद

कडक़ड़ाती ठंड में निजी स्कूलें वार्षिकउत्सवों के बहाने मासूम बच्चों को बुला रहे हे स्कूल, प्रशासन सो रहा है कुंभकरण की नींद

कडक़ड़ाती ठंड में निजी स्कूलें वार्षिकउत्सवों के बहाने मासूम बच्चों को बुला रहे हे स्कूल, प्रशासन सो रहा है कुंभकरण की नींद
बीकानेर। एक तरफ मौसम विभाग की चेतावनी की बीकानेर मे ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है बच्चे व बुजुर्ग ठंड के मोसम में बाहर नहीं निकलें और शिक्षा विभाग का आदेश की कोई भी सरकारी व निजी स्कूलें शीतकालीन अवकाश में नहीं खुले अगर खुली मिली तो होगी कार्यवाही। लेकिन मजे की बात तो ये है कि बीकानेर शहर की कई नामी स्कूलों के संचालक ने शिक्षा विभाग के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाते हुए अपनी स्कूलें में कार्यक्रम आयोजित कर किसी तरह बच्चों व स्टाफ को बुलाने के लिए बाध्य किया। बच्चे बेचारे इस तेज ठंड में भी स्कूल गये। कई स्कूल संचालकों ने तो धार्मिक कार्य का कार्यक्रम किया तो कुछ न तो इन अवकाशों में अपनी स्कूल का वार्षिकउत्सव मनाया गया जिसकी तैयारी के लिए बच्चे सुबह से दोपहर तक स्कूलों में ही रहते थे। दबी आवाज में जब हमारे रिपोर्टर ने पूछा तो उन्होंने बताया कि हमारी मजबूरी है अगर बच्चा नहीं जाता है कि स्कूल से फोन आ जाता है कि आपके बच्चें को भेजना पड़ेगा नहीं तो आगे की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है। इस तरह से बच्चों के अभिभावकों में दबाब बनाया जाता है। शनिवार व रविवार को शहर में स्कूलों का वार्षिक उत्सव देर रात तक मनाया गया जहां ऊपर आने वाली ठंड में बच्चें धूज रहे थे। पुष्करणा स्टेडियम के पास रहने वाले श्याम ने बताया कि रविवार शाम को पुष्करणा स्टेडियम में एक निजी स्कूल का वार्षिकत्सव चल रहा था जिसमें तेज आवाज में स्पीकर बजने से आस पास रहने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा इसकी शिकायत शिक्षा विभाग व पुलिस को भी दी गई है। बताया जा रहा है आस पास इलाके में कई बुजुर्ग रहते है जो इस शोर से काफी परेशान हुए। वहीं रविवार शाम को ठंड का प्रकोप तेज था करीब 500 से ज्यादा बच्चे एक जगह बैठकर ठंड में धूज रहे थे लेकिन संचालक अपने कार्यक्रम में व्यस्त थे। उनको बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता नही थी। क्या शिक्षा विभाग इस पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित रहा। उसके आदेशों की धज्जिया किस तरह से निजी संचालक उड़ा रहे है।
स्टाफ भी पीडि़त
मजे की बात है बात रोजगार करते है हम शोषण नहीं करते है लेकिन इस भयंकर ठंड में भी स्कूल संचालक सुबह 7 बजे से दोपहर दो तीन बजे तक अपने स्टाफ को अवकाश के दिनों में प्राय बुलाते है स्टाफ सरकारी अवकाश कम ही दिये जाते है। ऐसे में व अपने परिवार के साथ कही नही जा सकते है अगर चले गये तो उनकी सैलरी काट ली जाती है। बेचारे मजबूरी में क्या करें।

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