जिले के विधायक के सम्मान में कलेक्टर व एसपी खड़े नही होने पर विधायक साहब का चढ़ गया पारा, दे डाली चेतावनी

जिले के विधायक के सम्मान में कलेक्टर व एसपी खड़े नही होने पर विधायक साहब का चढ़ गया पारा, दे डाली चेतावनी

श्रीगंगानगर. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल का आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को प्रोटोकॉल की पालना करने के निर्देश देने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वायरल हो रहे इस वीडियो में खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर रुक्मणि रियार और पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा को विधायक प्रोटोकॉल की पालना करने के निर्देश देते हुए दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह वीडियो श्रीगंगानगर के घड़साना का है.
जानकारी के अनुसार घड़साना के अधिवक्ता विजय सिंह झोरड़ आत्महत्या मामले में 30 अगस्त को जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच समझौता वार्ता हुई थी. बताया जा रहा है कि समझौता वार्ता के दौरान जब खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल घड़साना उपखंड कार्यालय में पहुंचे तो श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक उनके सम्मान में खड़े नहीं हुए. इससे खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल गुस्सा गये.
पुलिस अधीक्षक ने कहा अन्य लोगों से वार्ता में व्यस्त थे ध्यान नहीं रहा
उन्होंने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को प्रोटोकॉल की पालना के निर्देशों का हवाला दिया. इस पर पहले श्रीगंगानगर एसपी आनंद शर्मा और फिर जिला कलेक्टर रुक्मणि रियार अपनी सीट पर खड़ी हुईं. पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने अन्य लोगों से मामले को लेकर बातचीत में व्यस्त रहने के कारण विधायक के आने का ध्यान नहीं रहने की बात कही. इस दौरान वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने इसका वीडियो बना लिया. बाद में यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया.
घड़साना मामले में सात पुलिसकर्मी किये गये हैं सस्पेंड
उल्लेखनीय है कि हाल ही में घड़साना मंडी में अधिवक्ता विजय सिंह झोरड़ ने अपने घर सुसाइड कर लिया था. सिंह के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस की प्रताडऩा से तंग आकर सुसाइड किया है. पुलिस उनकी ओर से दर्ज कराये गये एक मामले को वापस लेने का दबाव बना रही थी. अधिवक्ता के सुसाइड केस के बाद प्रदेश में वकीलों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था. मामले को तूल पकड़ते देखकर पुलिस ने घड़साना थानाप्रभारी समेत सात पुलिसकर्मियों को इस मामले में सस्पेंड कर दिया था. जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की वार्ता में पीडि़त परिवार को 30 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने पर सहमति बनी थी.

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