
अगर आपके पासवर्ड है एबीसी, 123, आईलवयू तो हो जाए अलर्ट






पिछले कुछ दिनों से डार्क वेब चर्चा में है। इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) की एक रिपोर्ट में पता चला है कि भारत और दक्षिण एशिया में डार्क वेब के जरिए नशीली पदार्थों की तस्करी खूब हो रही है। INCB को इसके पुख्ता सुबूत मिले हैं।
अब आप कहेंगे कि डार्क वेब पर कई दिनों से चर्चा हो रही है तो आज इसमें नया क्या हो गया?
दरअसल अब डार्क वेब की नजर लोगों के पासवर्ड पर बनी हुई है। सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि डार्क वेब पर लाखों लोगों की पसर्नल डिटेल, उनकी ईमेल आईडी और पासवर्ड लीक हुए हैं। डार्क वेब पर लीक हुई 20 कॉमन पासवर्ड की डिटेल भी लुकआउट ने जारी की है।
अगर आप भी उन ज्यादातर लोगों में से एक हैं जो अपने सिक्योरिटी पासवर्ड को हल्के में लेते हैं तो इस लिस्ट को फौरन चेक करें और देखें कि कहीं आपने भी तो ऐसा ही कुछ पासवर्ड नहीं रखा। अगर हां, तो सावधान हो जाएं क्योंकि इस वजह से आपकी प्राइवेसी का उल्लंघन हो सकता है। जिससे आपके मोबाइल और लैपटॉप की सारी तस्वीरें या डेटा किसी हैकर के हाथ में आसानी से पहुंच जाएंगी।
जो लोग डार्क वेब के बारे में ज्यादा नहीं जानते उनके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे। जैसे आखिर यह डार्क वेब क्या है? अगर यह इतना खतरनाक है तो पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? आखिर वो 20 कॉमन पासवर्ड क्या हैं? इन सारे सवालों का जवाब हम आपको देंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि क्या है डार्क वेब?
डार्क वेब को ही डार्क नेट कहते हैं। इसे आप इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड कह सकते हैं। इस पर सारे गलत काम होते हैं जिनका समाज पर बुरा असर होता है। जैसे आतंकी गतिविधियां, असलहों व नशीले पदार्थ की तस्करी, पोर्नोग्राफी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, सेक्सटॉर्शन और ब्लैकमेलिंग होती है। यहां लोगों के क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड के डीटेल्स, ई-मेल एड्रेस आसानी से मिल जाती हैं।
दरअसल हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल रोजाना करते हैं वह तो एक छोटा-सा हिस्सा है। इसके बड़े हिस्से तक आम लोग पहुंच ही नहीं पाते। यह आम लोगों की नजर से दूर अंधेरे में है और इसे ही डार्क वेब कहते हैं।
डार्क वेब से कैसे जुड़ जाते हैं हम?
डार्क वेब का इस्तेमाल आम आदमी भले ही ना करे, लेकिन इसके द्वारा होने वाले अपराध से बच नहीं पाता है। डार्क वेब का एक्सेस हर कोई नहीं कर पाता है। डार्क वेब पर नो कंटेंट रेगुलेशन पॉलिसी चलती है। जो लोग डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं ज्यादातर वहीं लोग दूसरे की निजी जिंदगी की जानकारी जुटाकर ब्लैकमेल करने का भी काम करते हैं।
आपको याद होगा कि दो-तीन साल पहले साइबर सिक्यॉरिटी फर्म Kaspersky Lab ने खुलासा किया था कि आपके पर्सनल डीटेल्स डार्क वेब में सिर्फ 3,500 रुपए में मिल रहे हैं। इनमें सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड, बैंक डिटेल्स और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी थी।


