Gold Silver

अगर करवा रखी है एफडी तो हो जाये सावधान, क्योंकि बैंक में नहीं है सुरक्षित एफडी, पढ़े पूरी खबर

जबलपुर। जिन बैंक कर्मियों पर थी, ग्राहकों के पैसों की रखवाली की जिम्मेदारी वे ही उनकी एफडी खातों की रकम उड़ा ली. ये गजब कारनामा अधारताल स्थित देना बैंक का है. यहाँ ग्राहकों की जमा राशि का घपला करने वाले बैंक अधिकारियों ने कुछ खाता धारकों को 10 प्रतिशत कमीशन भी दिया था। इसके एवज में इन खाता धारकों के खाते में घपले वाली रकम ट्रांसफर कर उसे चेक और नकदी आदि के माध्यम से अधिकारियों ने प्राप्त किया था। अभी तक की जांच में 32 लाख से अधिक की हेराफेरी सामने आयी है। आरोपियों में एक खाता धारक ऐसा है कि जिसकी केवाईसी तक पूरी नहीं है। उसका पता ही नहीं मिल पा रहा है। जानकारी के अनुसार खाता धारक निधि तिवारी के खाते से 17 लाख 23 हजार 491 रुपए, दशोदा बाई के खाते से 1.50 लाख रुपए, कलाबाई के खाते से 10 लाख 53 हजार 991 रुपए, मुन्नीलाल कन्नौजिया के खाते से 50 हजार 482 रुपए, पीडब्ल्यूडी के नाम की टीडीआर खाते से दो लाख रुपए, एमएस ट्रेडर्स के खाते से 50 हजार रुपए, देना बैंक के जीएल खाते से 51 हजार 84 रुपए ट्रांसफर किए गए थे। इन अधिकारियों की मिलीभगत देना बैंक अधारताल में छह जुलाई 2018 से पहले तत्कालीन अधिकारी मीनाक्षी काछी, प्रदीप साहू, तत्कालीन सीनियर मैनेजर आरएन दास, विमला तिर्की, अनामिका आस्तिक, शानेंद्र कुड़ापे ने अपनी गोपनीय आईडी व पासवर्ड का प्रयोग कर उक्त धनराशि संदेही खाताधारक धनीराम अहिरवार, शेख जाहिद, प्रदीप साहू और अन्य के खाते में ट्रांसफर कर फिर चेक और नकदी के माध्यम से स्वयं प्राप्त किया। इसके एवज में इनको 10 प्रतिशत कमीशन दिया गया था। खाता धारक शेख जाहिद की केवाईसी तक पूरी नहीं है। ये पूरा घोटाला जनवरी 2013 से 2018 के बीच किया गया। मामले में ईओडब्ल्यू ने धारा-409, 420, 467, 468, 471, 120 बी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 सी, 13 (1) (ए) का प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया है।

Join Whatsapp 26