
अगर विद्यार्थियों के 40 प्रतिशत के कम अंक आए तो शिक्षकों पर गिरेगी गाज, शिक्षा निदेशक का सख्त आदेश





अगर विद्यार्थियों के 40 प्रतिशत के कम अंक आए तो शिक्षकों पर गिरेगी गाज, शिक्षा निदेशक का सख्त आदेश
बीकानेर। हाल ही में शिक्षा निदेशक की ओर से जारी किए गए एक आदेश ने शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है। विभाग की ओर से जारी किए गए नए आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अब शिक्षकों को शाला दर्पण पोर्टल पर बोर्ड परीक्षा मॉड्यूल में वर्ष 2025 की परीक्षा में प्रायोगिक परीक्षा एवं सत्रांक को छोडक़र लिखित मुख्य वार्षिक परीक्षा में विषयवार 40 फीसदी से कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या इंद्राज करनी होगी।
शिक्षा मंत्री के निर्देश पर शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारियों एवं संस्था प्रधानों को यह आदेश जारी किया है। शिक्षा विभाग के आदेश में बताया कि वैसे भी बोर्ड परीक्षा में अमूमन विद्यार्थियों के सत्रांक व प्रायोगिक में शत-प्रतिशत ही अंक दिए जाते हैं। जबकि, सैद्धांतिक में कम अंक प्राप्त हो रहे। इससे शिक्षकों में इस बात का डर बना हुआ कि बोर्ड पोर्टल में बोर्ड अंक इंद्राज के बाद कहीं कार्रवाई नहीं हो जाए, जिसे लेकर शिक्षकों में भी असमंज है।
शिक्षकों के जिम्मे यह हैं काम
शिक्षकों के जिम्मे कई सारे कार्य हैं, जिसमें डिजिटल प्रवेशोत्सव, पौधरोपण, पौधों की जिओ टैगिंग, इंस्पायर अवॉर्ड, नि:शुल्क पुस्तक वितरण, हाउस होल्ड सर्वे, शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम, आधार एवं जन आधार ऑर्थेटिकेशन, गुड टच-बैड टच, साइकिल वितरण, बाल गोपाल दूध वितरण, नवभारत साक्षरता कार्यक्रम, छात्रवृत्ति योजना, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, स्वीप कार्यक्रम, मतदाता जागरूकता करना एसएमसी, एसडीएमसी बैठक, खेलकूद प्रतियोगिता आदि कई अधिक कामों का बोझ शिक्षकों के पास है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण परिणाम पर विपरित प्रभाव पडऩा तय है।
बोर्ड परीक्षा में कक्षा 10 एवं 12 में उत्तीर्ण होने के लिए लिखित परीक्षा के साथ सत्रांक के 20 अंक भी जुड़ते हैं। विद्यार्थियों को सबंधित विषय में सत्रांक 20 में से 20 दिए जाते हैं, जिससे विद्यार्थी लिखित परीक्षा में मात्र 13 अंक लाकर न्यूनतम अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण हो जाता है। इसके बाद शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी किए हैं।
एक और आदेश ने बढ़ाई परेशानी
शिक्षा विभाग के नए आदेश से शिक्षकों का परेशान होना लाजमी है। वहीं, शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि एक तरफ स्कूलों में शिक्षकों को कई सारे गैर शैक्षणिक कार्य सौंप रखे हैं। इससे शिक्षक अपने मूल अध्यापन कार्य के स्थान पर गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझा रहता है। पहले ही रिक्त पद चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में एक और नए आदेश ने परेशानी बढ़ा दी है।

