
मंत्री, सांसद और विधायकों की परेशानी सुनेंगे आई॰ए॰एस॰, जिलों में जाने के दिए आदेश , बीकानेर जिले IAS गुप्ता को बनाया प्रभारी सचिव






खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । राजस्थान में डेढ़ महीने से जारी राजनीतिक अस्थिरता के माहौल, ब्यूरोक्रेट्स पर राजनेताओं के जुबानी हमलों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी को कसना शुरू कर दिया है। गहलोत ने हिमाचल प्रदेश के चुनावी दौरे पर जाने से पहले प्रदेश के सभी जिलों के प्रभारी सचिवों (आईएएस अफसर) को तीन दिन के लिए जिलों में रवाना होने के आदेश दिए थे। अब सभी प्रभारी सचिव बुधवार शाम को जिलों के लिए रवाना होंगे। 11 से 18 नवंबर तक जिलों में रहकर प्रशासनिक मशीनरी को दुरुस्त करेंगे। वे इस दौरान किन्हीं भी तीन दिन वहां रहेंगे। वे जिले के सांसदों, मंत्रियों, विधायकों से भी मिलेंगे। उनकी समस्याओं-शिकायतों की रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री को पेश करेंगे।
मुख्यमंत्री 19 से 21 नवंबर के बीच सचिवालय में उनसे व्यक्तिगत (एक-एक सचिव से अलग-अलग) मुलाकात करेंगे। प्रभारी सचिवों का यह विशेष दौरा करीब 5 महीने बाद हो रहा है। यूं उन्हें महीने में एक बार जाना होता है, लेकिन राजस्थान में लगातार चल रहे राजनीतिक उठा-पटक के माहौल का असर सूबे की नौकरशाही पर भी पड़ा है।
गहलोत अब चुनावी साल की तैयारी में जुटे हैं, ऐसे में वे जिलों का सटीक फीडबैक चाहते हैं। यह फीडबैक जब राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलता है, तो वो एक बायस्ड एप्रोच होती है। ऐसे में गहलोत ने जिलों के राजनीतिक-प्रशासनिक तापमान को मापने के लिए ब्यूरोक्रेसी के थर्मामीटर का उपयोग करना बेहतर समझा है।
गहलोत व मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने सभी प्रभारी सचिवों को केवल ऑफिस में मीटिंग लेकर दौरों को करने की रस्म अदायगी से बचने की सलाह भी दी है। सचिवों को कहा गया है कि वे मीटिंग तो करें, लेकिन साथ ही जिलों में फील्ड में जाकर भी विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं को देखें और स्थानीय लोगों से सरकार व प्रशासन का फीडबैक भी लें। केवल कलेक्टरों द्वारा दिखाए जाने वाले पावर पॉइंट प्रजेन्टेशन, रिपोर्ट, वीडियो, फोटो आदि पर ही निर्भर ना रहें। गहलोत प्रभारी सचिवों से चाहते हैं कि वे असली और जमीनी हकीकत सामने लाएं।


