
मैं अकेला ही चला था और कारवां जुड़ता गया……!





बीकानेर। मैं अकेला ही चला था और कारवां जुड़ता चला गया……! बस इसी उद्देश्य से जनता कफ्र्यू से तय किया सफर अब तक अनवरत जारी है। जी यहां बात कर रहे है पूर्व उपमहापौर अशोक आचार्य की। जिन्होंने नर सेवा नारायण सेवा को परम धर्म मानते हुए शुरू किया सेवा कार्य आज भी अनवरत रूप से जारी है। उनके इन नि:स्वार्थ प्रयासों के लिये दिनों दिन सेवाभावी उनके साथ जुड़ते चले गये और आज वे अपने सैकड़ों सेवा भावी कार्यकर्ताओं के साथ लोगों की मदद कर रहे है।
आचार्य ने लॉक डाउन शुरू होने के बाद विभिन्न मोहल्लों में मास्क, सेनेटाइजर वितरण शुरू कर समकालीन युवा नेताओं को इस कोरोना काल में एक्टिव होने का एक नया मार्ग दिखा दिया। आमतौर पर प्रचार माध्यमो से दूरी बनाए रखने वाले आचार्य ने मजबूर परिवारों को लगभग 138 राशन किट व्यक्तिगत स्तर पर वितरित कर जो सिलसिला शुरू किया उसे बाद में अन्य युवा नेताओ ने लपक लिया । आज तो प्रत्येक पार्टी का छोटा बड़ा नेता इस कोरोना महायज्ञ में अपनी सामर्थ्य आ अनुसार आहूति दे रहा है।
आचार्य व्यक्तिगत स्तर पर 400 मास्क एवं 251 सेनेटाइजर विभिन्न मोहल्लों में वितरण कर चुके है । इस अवसर पर पूर्व उपमहापौर ने इन मोहल्लों की सफाई व्यवस्था का भी जायजा लिया। धरणीधर ट्रस्ट एवं पूर्व उपमहापौर अपने स्तर पर इन मोहल्लों में रोजाना सांयकाल 5 बजे से 7 बजे तक जरूरतमंद निवासियों को खाने के पैकेट लॉक डाउन के बाद से लगातार वितरित कर रहे हैं। लोगो मे जागरूकता लाने के लिए आचार्य एवम् उनकी टीम ने लगातार शहर के भीतरी मोहल्लों में, कच्ची बस्तियों, झुग्गी झोपडिय़ों के बीच जाकर जनता में कोराना बीमारी से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा घर में ही रहने, अति आवश्यक काम के लिए ही घर से बाहर मास्क पहन कर निकलने की अपील कर रहे है।
परिवार से मिली है सेवा की सीख
आचार्य को जनसेवा की सीख अपने परिवार से मिली है। वे बताते है कि उनके दादा और उसके बाद पिता,काका व अन्य भाईयों को सेवा कार्य करता देख उनके मन में भी सेवा के भाव जागे और इसके लिये राजनीति को मार्ग चुनकर जनसेवा कर रहे है।

