पापी पेट के लिये क्या कोरोना और क्या प्राकृतिक आपदा!देखे विडियो

पापी पेट के लिये क्या कोरोना और क्या प्राकृतिक आपदा!देखे विडियो

बीकानेर। कहते है पापी पेट के लिये इंसान क्या नहीं करता। उसे अपने लालन पालन के लिये न तो कोई प्राकृतिक आपदा दिखती है और न ही कोई त्रासदी। अब भला कोरोना जैसी महामारी भी क्यों ने हो। बस पेट पालने के लिये केवल एक ही चीज दिखाई देती है और वो है आज का श्रम। बीकानेर सहित पूरे भारत में ऐसे नजारे प्रतिदिन देखने को मिलते है। जैसा नजारा शुक्रवार को बीकानेर के जिला कलक्टर परिसर में देखने को मिला। हालांकि ये रोजमर्रा की बात है। परन्तु इन दिनों यह इसलिये गंभीर है,क्योंकि आज पूरा विश्व एक महामारी से लड़ रहा है। ऐसे में जिले के आलाधिकारी प्रदेश के मुखिया से इसे निपटने के लिये भावी रणनीति बना रहे है। वहीं दूसरी ओर उन्हीं की बैठक के चंद कदम दूर अपनी पेट की भूख मिटाने के लिये रवि नाम का एक लड़का कचरा बिनकर शाम की रोटी के जुगाड़ में लगा है। गंगाथियेटर के पास पड़े कचरे के ढेर में यह लड़का खाली बोतलें,प्लास्टिक और कबाड़ की वह हर चीज खोज रहा है। जिसे बेच में शाम को अपने परिवार के लिये आटा ले जाएगा। खुलासा टीम के कैमरामेन सूरज पारीक ने जब इस बालक को यह कार्य करने से रोका तो उसका कहना था कि साहब मेरी मजबूरी है,मुझे तो पेट पालने के लिये रोजाना ऐसा काम तो करना ही पड़ेगा। उसकी इस वेदना को सूरज पारीक ने समझ कर सरकार व जिला प्रशासन तक इस बात को पहुंचाने का मानस बनाया। ताकि रवि जैसे अनेक बालकों को ऐसी महामारी से बचाने का सरकार कोई जतन तो करें।

https://youtu.be/vhraqmQOpFQ

वाक्ये गंभीर विषय है ये
जब पूरा स्वास्थ्य महकमा कोरोना के बचाव के जतन के लिये तरह तरह के संचार माध्यमों व प्रचार प्रसार कर आमजन को साफ सफाई रखने की हिदायतें दे रहा है। वहीं दूसरी ओर शहर भर में कचरा बिनने वाले ऐसे बाल श्रमिकों की ओर ध्यान देकर उन्हें किसी भी प्रकार के गंभीर संक्रमण को बचाने का जिम्मा भी उठाएं। सरकार को इस गंभीर विषय पर चिंतन कर कचरा बिनने वालों के लिये कम से कम 31 मार्च तक तो कोई प्रबंध करें।

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