लगातार बढ़ती चुनौती को कैसे स्वीकार करेगी जिले की ये दो मातृशक्ति - Khulasa Online लगातार बढ़ती चुनौती को कैसे स्वीकार करेगी जिले की ये दो मातृशक्ति - Khulasa Online

लगातार बढ़ती चुनौती को कैसे स्वीकार करेगी जिले की ये दो मातृशक्ति

जयनारायण बिस्सा
खुलासा न्यूज,बीकानेर। किसी ने ठीक ही कहा है कि इंसान के जहन में कुछ कर गुजरने का आत्मविश्वास हो तो उसकी उड़ान को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामामुकिन होता है। कुछ ऐसा ही जज्ज्बा इन दिनों बीकानेर में देखने को मिल रहा है। बीकानेर स्थापना से लेकर आज तक शहर के दो महत्वपूर्ण विभाग जिम्मेदारी महिलाओं पर है। इसमें एक जिले की कानून व्यवस्था और दूसरी शहर के विकास। हम बात कर रहे है बीकानेर में पहली बार ऐसे दो पदों पर आसीन महिलाओं की,जिनका काम किसी चुनौती से कम नहीं है। घर के चुल्हा चौकी से लेकर विभाग के कार्यों का निस्तारण बखूबी कर रही इन महिलाओं से आपको रूबरू करवाते है। जी हां ये दो महिलाएं है बीकानेर की पहली पुलिस अधीक्षक प्रीति चन्द्रा और बीकानेर की पहली महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित। ये दोनों ऐसे पदों पर आसीन है जो कांटों भरे ताज से कम नहीं है। किन्तु दृढ़ इच्छा शक्ति के दम पर दोनों ने ही हौसलों की उड़ान भर रखी है।
हमेशा रखा खाकी का मान,दिखाई काम के प्रति निष्ठा
बात करें बीकानेर की पहली महिला अधीक्षक प्रीति चन्द्रा की तो उन्होंने पुलिस विभाग में ज्वाईनिंग के साथ ही न केवल अपने फर्ज का बखूबी निर्वहन किया। बल्कि समय समय पर खाकी के मान को भी बढ़ाया। पत्रकारिता से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली प्रीति चन्द्रा ने अपने अब तक के कार्याकाल में अपनी ड्यूटी के साथ सामाजिक सरोकार के भी अनेक अनूठी मिशाल पेश की है। वैसे तो नई एसपी ने अनेक जिलों में पदस्थापित रहते हुए अपराधों पर काबू करने के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये है। किन्तु बीकानेर जैसे विरले जिले में कानून व्यवस्था को कायम रखना और आमजन से कानूनों की पालना करवाना चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। यहां पदभार करने के बाद ही एक छ:वर्षीय बालिका के दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया। जिसे एसपी ने 24 घंटे के अंदर निस्तारित करवाकर अपनी कार्यशैली का अहसास विभाग और आमजन को करवा दिया। लेकिन बीकानेर में लगातार बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगा पाना चन्द्रा के लिये किसी चुनौती से कम नहीं है। नये एसपी के कार्यग्रहण के बाद जिस तरह लूट व चोरियों की घटनाएं बढ़ रही है।
इन वारदातों की नहीं सुलझी गुत्थी
हालात यह है कि केवल नयाशहर थाने में लूट की चार बड़ी वारदातें हो चुकी है। जिसमें एक डाकघर,मरूधरा ग्रामीण बैंक और एक क्रांकरी व्यवसायी से लूट शामिल है। यहीं नहीं बुधवार देर रात फिर एक लूट नयाशहर थाना इलाके में हुई है। जिसमें एक व्यापारी से एक लाख से ज्यादा की राशि लूट ले जाने का मामला दर्ज हुआ है। इसी थाना क्षेत्र में 13 चोरी की वारदातों को अंजाम देकर अपराधियों ने पुलिस को खुला चैलेंज दे रखा है। मंजर यह है कि इन बड़ी वारदातों में केवल एक चोरी की घटना का ही खुलासा हो पाया है। शेष वारदातों में पुलिस के हाथ बिल्कुल खाली है। अगर केवल इस थाने के अपराध लिस्ट को देखा जाएं तो पिछले एक साल में इसका ग्राफ इतना बढ़ गया है कि शेष थानों को बौना साबित कर दिया। इसके अलावा गंगाशहर थानान्तर्गत सुजानदेसर में एक साथ सात घर,मंदिर,दुकानों में चोरी कर लाखों का माल चोरी,जेएनवीसी थाना इलाके मरुधरा कॉलोनी में महिला थाने के सामने ज्वैलर्स दुकान से करीब सात लाख के जेवरात की चोरी,इसी थाना क्षेत्र में पिछले सप्ताह सुदर्शना नगर में बंद मकान से पांच लाख के जेवर और 20-25 हजार कैश ले जाने की चोरी,कोटगेट थाना क्षेत्र धोबीतलाई में बंद मकान से लाखों के नकदी-जेवरात चोरी की वारदातों का अब तक खुलासा नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं ग्रामीण इलाकों नापासर के हेमेरा गांव में दो दुकानों से लाखों के नकदी-जेवरात चोरी कर ले गए। इसी तरह जामसर में महंत के यहां 50 लाख की चोरी का भी अब तक खुलासा नहीं हुआ।जो नये एसपी के लिये चैलेंज है।
अपनों के साथ शहर के विकास की चुनौती
बीकानेर में पहली महापौर के रूप में कार्य कर रही सुशीला कंवर के लिये भी मेयर की कुर्सी कांटों से भरी है। उन्हें अपने पार्षदों के साथ साथ विपक्ष दल के पार्षदों और सरकार के असहयोग का सामना लगातार करना पड़ रहा है। लेकिन अपने एक वर्ष के कार्यकाल के लेखे जोखे में अपनी सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त कर सुशीला कंवर ने अपने दृढ़संकल्पित काम करने की इच्छा को प्रतिपादित किया है।
ये है बड़ी चुनौती
नगर निगम में पदभार ग्रहण के साथ ही महापौर ने पॉश बाजार में महिलाओं के लिये शौचालय का निर्माण करवाने की बात कही थी। जो अब तक अधरझूल में पड़ी है। वहीं पिछले नौ महिनों से गौशाला के हालात जस के तस बने है। इनमें करोड़ों रूपये खर्च कर आवारा पशुओं को रखे जाने की व्यवस्था की गई थी। किन्तु न तो आवारा पशु पकड़े जा रहे है और न ही यहां आवारा पशुओं को रखा जा रहा है। महापौर के सामने ऑटो टीपर के संचालन की भी बड़ी चुनौती है। आज दिनांक तक यह भी नहीं चल पाएं। हालांकि इसके प्रयास जरूर हुए है। परन्तु धरातलीय हालात अभी शून्य है। वहीं पिछले एक वर्ष होने को है,निगम की ओर से स्ट्रीट लाईट खरीद तक नहीं की गई है। जिसके चलते शहर के अनेक वार्ड अंधेरों में डूबे हुए है। निगम की कार्य संचालन के लिये बनाई जाने वाली कमेटियों का गठन अब तक नहीं हो पाया है। हालांकि यह डीएलबी से विवाद के चलते जरूर उलझा है।

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