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अस्पतालों की आरजीएचएस बंद करने की तैयारी,आरजीएचएस के एमओयू में पेनल्टी का जिक्र नहीं: अस्पताल

अस्पतालों की आरजीएचएस बंद करने की तैयारी,आरजीएचएस के एमओयू में पेनल्टी का जिक्र नहीं: अस्पताल
जयपुर आरजीएचएस में सरकार की सख्ती के चलते विभाग द्वारा लगातार की जा रही जांच, पेनल्टी और योजना से अस्पतालों को हटाने की कवायद को लेकर अस्पताल लामबंद हो गए हैं। विभिन्न एसोसिएशन के डॉक्टर्स ने बैठक में तय किया कि 1-2 दिन में सरकार और चिकित्सा विभाग के आला अधिकारियों के सामने अस्पतालों की परेशानी के मुख्य बिंदु रखे जाएंगे, यदि सरकार जल्द विचार नहीं करती है तो अस्पताल खुद को योजना से बाहर कर लेंगे।
मालूम हो कि 3 माह से अस्पतालों के बिलों की सख्ती से जांच की जा रही है और जरा सी भी गड़बड़ी होने पर भारी पेनल्टी लगाई जा रही है। इससे अस्पताल संचालकों में रोष है। उनका कहना है कि केवल एआई के भरोसे जांच की जा रही है। मालूम हो कि प्रदेश में आरजीएचएस में हो रही गड़बडिय़ों को पहली बार इतने बड़े स्तर पर पकड़ा है और डेढ़ महीने में डॉक्टर्स प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 5 से अधिक बैठक कर चुके हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि सभी एक साथ बैठे हैं।
एक जांच के कई बिल, डॉक्टर्स- जांच कई बार होती है तो बिल लगेगा ही
एसोसिएशन ऑफ हैल्थ प्रोवाइडर सोसायटी (एएचपीआई), आईएमए, पीएचएनएस, उपचार, जेएमए के अलावा कॉर्पोरेट हॉस्पिटल के पदाधिकारी व डॉक्टर्स बैठक में शामिल हुए। इसमें कहा गया कि तीन-तीन साल पुराने मामलों की जांच की जा रही है और दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। सही केस में भी पेनल्टी लगाई जा रही है। आरएफटी रिपोर्ट में यूरिया, क्रिएटिनिन और इलेक्ट्रोलाइट आते हैं, लेकिन इलेक्ट्रोलाइट का अलग से बिल लगाया जाता है, क्योंकि उसकी जांच बार-बार होती है।
विभाग इसे गलत बता रहा है। बैठक में सामने आया कि पहली बार बड़े और कॉर्पोरेट निजी अस्पतालों पर पेनल्टी लगाई जा रही है। बैठक में डॉ. अशोक खंडाका, प्रेसीडेंट, सर्वेश अग्रवाल, डॉ. रजनीश शर्मा, डॉ. कमल सैनी, डॉ. अनुराग तोमर सहित एमजीएच, बीएमसीएचआरसी सहित अनेक अस्पतालों के प्रतिनिधि शामिल थे।
अस्पतालों को पुराना पेमेंट नहीं किया
डॉक्टर्स ने कहा कि अस्पतालों को पुराना पेमेंट किया नहीं गया, जो 100 करोड़ रुपए से भी अधिक है। उसके अलावा अब पेनल्टी लगाई जा रही है। ऐसे में काम करना मुश्किल हो गया है। सरकार के साथ हुए एमओयू में पेनल्टी का कोई प्रावधान ही नहीं है। यह भी सरकार को बताएंगे।
विभाग का कहना है- यदि धांधली की जाएगी तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
विभागीय का कहना है- इलेक्ट्रोलाइट का अलग से बिल नहीं लगाने का नियम है तो भी उसके पांच-छह बिल लगाए गए। ऐसे कई मामले हैं।

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