
बीकानेर में किडनी रोगियों के लिए ऐतिहासिक पहल, पेंशन, आरक्षण और चिकित्सा सुविधाओं की मांग






बीकानेर । बीकानेर में किडनी रोगियों और उनके परिवारों की पीड़ा को आवाज देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। किडनी डायलिसिस एंड ट्रांसप्लांट फाउंडेशन के संस्थापक महेश देवानी के नेतृत्व में किडनी रोगियों और उनके परिजनों ने संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा को 10 सूत्री मांग पत्र सौंपा। इस अवसर पर किडनी ट्रांसप्लांट मरीज लीलाधर, विजय शर्मा, रामअवतार,विनोद जनागल, डायलिसिस मरीज गणेश बिस्सा तथा किडनी मरीज के घरवाले मोनिका सोनी,आनंदसिंह , देवेंद्र विग सहित कई प्रभावित परिवार के सदस्य मौजूद रहे। ज्ञापन के माध्यम से किडनी रोगियों, विशेषकर युवाओं की आर्थिक, सामाजिक और चिकित्सीय चुनौतियों को उजागर करते हुए सरकार से त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की मांग की गई।
किडनी रोग : एक असाध्य चुनौती
किडनी रोग न केवल मरीज के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ देता है। डायलिसिस की लंबी प्रक्रिया, इसके बाद ट्रांसप्लांट का खर्च, और फिर जीवनभर दवाइयों और जांच का बोझ परिवार को गहरे संकट में डाल देता है। मरीज के साथ एक परिजन को भी डायलिसिस के दौरान समय देना पड़ता है, जिससे परिवार की आय पर गहरा असर पड़ता है। ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को इंफेक्शन से बचने के लिए लंबे समय तक घर पर रहना पड़ता है, जिससे आर्थिक तंगी और बढ़ जाती है। मरीजों ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा कि यह बीमारी न केवल शारीरिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी परिवार को कमजोर कर देती है।
मांगें
ज्ञापन में किडनी रोगियों और उनके परिवारों के लिए निम्नलिखित मांगें उठाई गईं, जो उनके जीवन को बेहतर बनाने और सम्मानजनक जीविकोपार्जन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं:
1. मासिक पेंशन सहायता राशि: किडनी रोग का इलाज लंबा और खर्चीला होने के कारण परिवार आर्थिक संकट से जूझता है। आंध्र प्रदेश सरकार की तर्ज पर राजस्थान सरकार को किडनी रोगियों, ट्रांसप्लांट मरीजों और जिनका क्रिएटिनिन स्तर 5 से अधिक है, उन्हें ₹10,000 मासिक पेंशन प्रदान करनी चाहिए। यह राशि परिवारों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करेगी और उनके जीवन स्तर को सुधारेगी।
2. सरकारी नौकरी में आरक्षण: किडनी ट्रांसप्लांट के बाद युवा अपनी शारीरिक स्थिति के कारण रोजगार के अवसरों से वंचित रह जाते हैं। सरकार को इन युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में विशेष आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने सपनों को साकार कर सकें।
3. निःशुल्क यात्रा पास: डायलिसिस और ट्रांसप्लांट मरीजों को नियमित रूप से अस्पताल जाना पड़ता है। इसके लिए उन्हें निःशुल्क यात्रा पास प्रदान किया जाए, ताकि चिकित्सा यात्राओं का आर्थिक बोझ कम हो।
4. बीपीएल कार्ड: डायलिसिस शुरू होते ही मरीज के परिवार को तुरंत बीपीएल कार्ड जारी किया जाए। मरीज की देखभाल के लिए परिवार के एक अन्य सदस्य का काम प्रभावित होता है, जिससे मध्यम वर्गीय परिवार भी आर्थिक तंगी में आ जाते हैं। कई परिवारों को गहने और बर्तन तक बेचने पड़ते हैं। बीपीएल कार्ड से उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा और इलाज के खर्च में सहायता
5. आयुष्मान कार्ड से निःशुल्क दवाएं और जांच: ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को जीवनभर दवाइयों और नियमित जांच की आवश्यकता होती है। इन खर्चों को आयुष्मान कार्ड के तहत कवर किया जाए, ताकि मरीजों को आर्थिक और चिकित्सीय राहत मिले।
6. सिंगल यूज़ डायलाइजर की अनिवार्यता – आयुष्मान चिरंजीवी योजना में संशोधन की माँग
डायलिसिस के दौरान “डायलाइजर” का एक से अधिक बार उपयोग रोगियों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। वर्तमान में कई डायलिसिस केंद्रों पर आयुष्मान चिरंजीवी योजना के तहत एक ही डायलाइजर को कई बार उपयोग में लाया जा रहा है, जिससे इन्फेक्शन और सेप्सिस जैसी जानलेवा जटिलताओं का खतरा बना रहता है।
यह एक गंभीर स्वास्थ्य और नैतिक मुद्दा है, क्योंकि: डायलाइजर को दोबारा उपयोग करने से मरीज को हिपेटाइटिस, बैक्टीरियल संक्रमण और अन्य जटिल बीमारियाँ होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। कई बार संक्रमण देर से पकड़ में आता है, जिससे रोगी की स्थिति और खराब हो जाती है।
सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान भारत के तहत सिंगल यूज़ डायलाइजर का ही उपयोग अनिवार्य है, तो यह सुविधा सभी पंजीकृत डायलिसिस केंद्रों पर भी लागू होनी चाहिए।
हमारी स्पष्ट मांग है कि आयुष्मान भारत – चिरंजीवी योजना के तहत डायलिसिस करवाने वाले सभी रोगियों के लिए “सिंगल यूज़ डायलाइजर” का उपयोग अनिवार्य किया जाए, ताकि रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और इलाज के नाम पर किसी प्रकार का जोखिम न उठाना पड़े।
इस नियम में जल्द से जल्द सुधार लाया जाए और सभी पैनल पर इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
7. ट्रांसप्लांट एनओसी प्रक्रिया में सरलीकरण: ट्रांसप्लांट के लिए एनओसी प्रक्रिया में अत्यधिक समय लगता है, जिससे मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है। निकट संबंधियों (भाई-बहन, पति-पत्नी, माता-पिता) के लिए पुलिस सत्यापन हटाकर आधार, राशन कार्ड, जन आधार, वोटर आईडी या सरपंच/पार्षद के माध्यम से सत्यापन की प्रक्रिया लागू हो। इससे प्रक्रिया तेज और सुगम होगी।
8. किडनी रोगी का इंश्योरेंस: किडनी रोगी के परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए ₹1 करोड़ की सरकारी बीमा योजना लागू की जाए। यह परिवारों को भविष्य में आर्थिक स्थिरता प्रदान करेगा।
9. अंगदाता का सम्मान: ब्रेन डेथ के बाद अंगदान करने वालों की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान से हो और जीवित अंगदाताओं को 26 जनवरी या 15 अगस्त को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाए। इससे अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा।
10. मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना का विस्तार*: यह योजना वर्तमान में केवल राजस्थान में लागू है, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के आयुष्मान कार्ड देशभर में मान्य हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इसे पूरे देश में लागू करने का वादा किया था, लेकिन नवंबर 2024 की घोषित तारीख के बावजूद यह पूरा नहीं हुआ। राजस्थान के मरीजों को अन्य राज्यों में इलाज में परेशानी हो रही है। इस योजना को शीघ्र देशव्यापी लागू किया जाए।
संभागीय आयुक्त का आश्वासन
संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा ने मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे इन मांगों को राज्य सरकार के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा, “किडनी रोगियों की समस्याएं गंभीर हैं, और हम इनके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।” उनके इस आश्वासन ने मरीजों और उनके परिवारों में नई उम्मीद जगाई है।
मरीजों और परिजनों की भावनाएं
ज्ञापन सौंपने आए मरीजों और उनके परिजनों ने अपनी आपबीती साझा की। देवेंद्र विग ने बताया उनकी वाइफ को भयंकर संक्रमण हुआ और लाखो रुपए इलाज करने में खर्च हो गया, लीलाधर जिनका ट्रांसप्लांट 22 साल पहले हुआ उन्होंने कहा, “ट्रांसप्लांट के बाद भी दवाइयों और जांच के लिए हर महीने हजारों रुपये खर्च होते हैं। बिना सरकारी सहायता के यह बोझ उठाना मुश्किल है।” गणेश बिस्सा ने बताया, “डायलिसिस की प्रक्रिया इतनी समय लेने वाली है कि परिवार की पूरी दिनचर्या प्रभावित हो जाती है।” मोनिका सोनी ने भावुक होकर कहा, “हमारे जैसे मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह बीमारी किसी अभिशाप से कम नहीं सरकार की मदद के बिना हम अपने प्रियजनों को बचा नहीं पाएंगे।”
फाउंडेशन की अपील
किडनी डायलिसिस एंड ट्रांसप्लांट फाउंडेशन के संस्थापक महेश देवानी, जो कई वर्षों से किडनी रोगियों के लिए समर्पित रूप से कार्य कर रहे हैं, ने कहा, “यह ज्ञापन केवल मांगों का दस्तावेज नहीं, बल्कि किडनी रोगियों और उनके परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवन की पुकार है। राजस्थान के मरीजों को आयुष्मान भारत योजना के तहत अन्य राज्यों में इलाज की सुविधा न मिलना एक बड़ा अन्याय है। हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इन मांगों पर तत्काल कार्रवाई करे और मरीजों को राहत प्रदान करे।” उन्होंने सामाजिक संगठनों, मीडिया और आम नागरिकों से भी अपील की कि वे इस मुहिम को समर्थन दें, ताकि किडनी रोगियों की आवाज राष्ट्रीय स्तर पर गूंजे।
एक नई शुरुआत
यह पहल बीकानेर के किडनी रोगियों के लिए एक नई शुरुआत है। यह न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे राजस्थान और देशभर के किडनी रोगियों के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। मरीजों और उनके परिवारों की यह मांग न केवल उनकी पीड़ा को कम करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि समाज में अंगदान और स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक प्रयास है।

