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पंचायतों में प्रशासक नियुक्त करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, पंचायतीराज विभाग और चुनाव आयोग को नोटिस

खुलासा न्यूज नेटवर्क। प्रदेश में करीब 6,759 पंचायतों में चुनाव टालते हुए इनमें मौजूदा सरपंचो को ही प्रशासक नियुक्त करने के मामले में हाई कोर्ट से सरकार से जवाब मांगा हैं। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की अदालत ने गिरिराज सिंह देवंदा व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचायतीराज विभाग, राज्य चुनाव आयोग व अन्य को नोटिस जारी किए।

जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार ने संविधान के प्रावधानों के खिलाफ जाकर अवैध और मनमाने तरीके से इन पंचायतों के चुनावों को स्थगित किया हैं। सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई जानी चाहिए। वहीं राज्य चुनाव आयोग को निर्देशित किया जाए कि वह तुरंत इन पंचायतों के चुनाव कराए। सरकार की ओर से कोर्ट में जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया।
इस पर अदालत ने कहा कि यह अति आवश्यक प्रकृति का मामला हैं और सरकार समय मांग रही हैं। हम 4 फरवरी को मामले को रख रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने 16 जनवरी 2025 को अधिसूचना जारी करके इन पंचायतों के चुनावों को स्थगित कर दिया। जो संविधान के अनुच्छेद 243ई, 243के और राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 17 का उल्लंखन हैं। सरकार ने प्रजातंत्र की सबसे छोटी इकाई और ग्रामीण संस्थाओं को अस्थिर करते हुए राज्य की तकऱीबन 6759 पंचायतों के आम चुनाव पर रोक लगाई है। जबकि संविधान एवं पंचायत राज के प्रावधानों के अनुसार पंचायत का 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो जाने पर चुनाव एक दिन भी स्थगित नहीं किया जा सकता है। साथ ही जिन निवर्तमान सरपंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे अब जनप्रतिनिधि नहीं हैं, केवल प्राइवेट व्यक्ति हैं। इसलिए प्राइवेट व्यक्ति को नियमानुसार पंचायतों में प्रशासक नहीं लगाया जा सकता है।

सरकार ने लगाए थे प्रशासक

राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतों में जनवरी में चुनाव कराने की जगह सरकार ने मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया था। सरपंचों की सहायता के लिए हर ग्राम पंचायत लेवल पर एक प्रशासकीय कमेटी भी बनेगी। इसमें उप सरपंच और वार्ड पंच मेंबर होंगे। पंचायती राज विभाग ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासनिक समिति बनाने का नोटिफिकेशन 16 जनवरी को जारी किया था।

राजस्थान सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल पर यह फैसला किया है। पहले मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्य भी इसी तरह सरपंचों को प्रशासक बना चुके हैं। प्रदेश की सभी पंचायती राज संस्थाओं के एक साथ चुनाव करवाने के लिए इसे काफी अहम माना जा रहा है।

राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायत का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है। इन पंचायतों के चुनाव 31 जनवरी से पहले करवाने जरूरी थे। सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन के लिए उनके चुनाव नहीं करवा रही। पिछले दिनों सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का फैसला किया था, जब तक पुनर्गठन नहीं होता तब तक चुनाव नहीं होंगे।

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