
एएनएम के पद पर अनुसूचित जाति को महिला को नियुक्ति देने का उच्च न्यायालय का आदेश





जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति दिनेश मेहता ने ए एन एम भर्ती 2018 की नियुक्ति मामले में जाति प्रमाण पत्र पिता के स्थान पर पति के नाम का लगा देने पर नियुक्ति रद्द करने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रार्थिनी को 6 सप्ताह में नियुक्ति देने का आदेश पारित किया।याचिकाकर्ता कृष्णा मेघवाल के अधिवक्ता निमेष सुथार ने बताया कि याचिकाकर्ता का चयन ए एन एम भर्ती 2018 में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर हुआ था । डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद चिकित्सा विभाग ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति इस आधार पर रद्द कर दी कि उसके जाति प्रमाण पत्र में पिता के स्थान पर पति का नाम दर्ज था। जिसे याचिकाकर्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के समक्ष यह तर्क देते हुए चुनौती दी कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने का कार्य राज्य सरकार के सक्षम अधिकारी का है यदि उसकी ओर से पिता के स्थान पर पति का नाम का प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है तो उसके लिए प्रार्थी दोषी नहीं है । उसके अतिरिक्त भी प्रार्थिनी ने पिता के नाम का दूसरा प्रमाण पत्र भी जारी करवा कर प्रस्तुत कर दिया है जिसे स्वीकार कर उसे नियुक्ति दी जाए ।जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधिपति ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करते हुए राज्य सरकार व चिकित्सा विभाग को 31 अक्टूबर 2020 तक याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने का आदेश दिया और साथ ही राज्य सरकार पर टिपण्णी करते हुए कहा कि गरीब व अनुसूचित जाति के प्रत्यार्थियो को सिर्फ इस कारण नियुक्ति नहीं देना सोचनीय विषय है जबकि जाति प्रमाण पत्र जारी करने का दायित्व तहसीलदार का है जो सरकार का सक्षम अधिकारी है जिसकी गलती की सजा निर्दोष प्रार्थिनी जो कि गरीब तबके व अनुसूचित जाति से आती है, को नहीं दी सकती।


