
क्या आपके बच्चों को भी लग गई है मोबाइल की लत, तो यह खबर है महत्वपूर्ण






जयपुर। दुनियाभर के बच्चे मोबाइल और इंटरनेट के जाल में फंसे नजर आते हैं। माता-पिता बच्चों की इस लत से परेशान हैं। वहीं कोरोना काल में लॉकडाउन ने बच्चों में मोबाइल की लत को कई गुणा बढ़ा दिया है। ऐसे में चीन की सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। चीनी सरकार ने बच्चों के रात दस बजे के बाद वीडियो गेम्स खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध सुबह आठ बजे तक रहेगा। इसे मिड नाइट पेट्रोलिंग नाम दिया गया है। हालांकि चीनी प्रशासन ने दो साल पहले भी ऐसे ही नियम बनाए थे, लेकिन इसे माना नहीं जा रहा था। इसलिए इस बार तकनीक का सहारा भी लिया गया है।
यूं निकाला बच्चों की चाल का तोड़
इस पहल में सरकार का साथ दे रही है दिग्गज गेमिंग कंपनी टेनसेंट। गेमर्स को ऑनलाइन गेम खेलने से पहले अपनी आधिकारिक आईडी के साथ पंजीकरण करना होता है, जो एक राष्ट्रीय डेटाबेस से जुड़ी होती है। लेकिन अकसर बच्चे अपने माता-पिता या वयस्क भाई-बहनों की आईडी से लॉगिन कर इसका तोड़ निकाल लेते हैं। ऐसे में अब चीनी वीडियो गेमर्स को रात 10 बजे के बाद गेम खेलते समय अपने चेहरे को स्कैन करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वयस्क हैं या बच्चे। इतना ही नहीं युवा गेमर्स इन गेम के लेन-देन पर कितना खर्च कर सकते हैं, इसी सीमा भी तय की जा रही है। कंपनी 2018 से इस प्रोजेक्ट को पुख्ता बनाने के लिए तकनीक विकसित करने में जुटी है।
टॉपअप की सीमा भी होगी तय
मोबाइल पर गेम खेलने पर कफ्र्यू लगाने के साथ चीन गेम्स के टॉपअप्स पर भी रोक लगाने की तैयारी में है। पहले भी चीन ने इसपर रोक लगाई थी, जिसके अनुसार आठ से 16 वर्ष की आयु के लोगों के लिए 200 युआन की मासिक टॉप-अप कैप और 50 युआन की एकल लेनदेन सीमा भी निर्धारित की गई थी। वहीं वयस्क खिलाड़ी एक ही खेल पर एक महीने में 400 युआन या हर बार 100 युआन खर्च कर सकता है।
500 मिलियन चीनियों की आंखें कमजोर
गौरतलब है कि चीन में 800 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। उनमें से 29 मिलियन 10 वर्ष से कम उम्र के हैं। देश में लगभग 70 प्रतिशत बच्चों के पास अपने स्मार्टफोन हैं और सात से नौ वर्ष की आयु के लगभग आधे बच्चों को इंटरनेट की सुविधा दी जाती है। ऐसे में बच्चों में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी पैदा होने लगी हैं। साल 2015 में एक राष्ट्रीय दृष्टि रिपोर्ट के अनुसार लगभग 500 मिलियन चीनी आंखों की समस्या से ग्रसित हैं, जिनमें आधी संख्या पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों की थी। उनमें से, 450 मिलियन की पास की नजर कमजोर है। यह दर लगातार बढ़ रही है। जिसका कारण मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना है।


