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H3N2 वायरस का प्रकोप : विशेषज्ञों का मानना- गर्मी बढऩे के साथ ही कम हो जाएगा वायरस का असर, सतर्क रहने की जरूरत

खुलासा न्यूज, बीकानेर/जयपुर। राजस्थान समेत देश के अन्य शहरों में इन दिनों खांसी-बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके पीछे विशेषज्ञ H3N2 वायरस का प्रकोप मान रहे हैं। हैल्थ सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में मौसम में जो उतार-चढ़ाव हो रहा है। उसकी वजह से ये बढ़ रहा है, लेकिन 12-15 दिन बाद जब उतार-चढा़व की स्थिति कंट्रोल हो जाएगी। गर्मी बढ़ेगी उसके साथ ही ये वायरस भी कमजोर होने लगेंगे। चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी से गर्मी और गर्मी से सर्दी की तरफ जब मौसम जाता है तो अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शनस (URI), कॉमन कोड के केस बढ़ जाते हैं। इस वक्त जिस तरह का मौसम चल रहा है। कभी बारिश से तापमान गिर रहा है, कभी तेज गर्मी हो रही है। उसमें ये वायरस तेजी से एक्टिव होते है। यूआरआई में कई तरह के वायरस होते हैं, इसमें सबसे कॉमन इन्फ्लुएंजा होता है। H3N2 भी इसी का एक हिस्सा है। इन्हीं मौसम में एलर्जी के केस भी बढ़ते हैं। इससे अस्थमा-एजर्ली के मरीजों को भी परेशानी बढ़ती है। ये सब कुछ समय के लिए चलता है, जब तक मौसम स्टेबल नहीं हो जाता।

गंभीर मरीजों की करवाते है जांच

चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह के कॉमन केस आने पर मरीज को देखकर डॉक्टर उसका ट्रीटमेंट तय करता है। 90 फीसदी से ज्यादा मरीज माइल्ड सिम्टम्स (कम लक्षण) वाले होते हैं। जिन्हें बिना जांच के लिए ही दवाईयां देते हैं। ठीक होते हैं। हालांकि जिन मरीजों की स्थिति गंभीर होती है और वो कोमोर्बिड (अन्य दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रसित) है तो उनकी जांच करवाई जाती है। ताकि ये डिटेक्ट हो सके कि वे किस वायरस या बेक्टिरिया की चपेट में आए है। इन तरह के वायरस की जांच भी स्वाब टेस्ट के जरिए की जाती है, क्योंकि ये वायरस ब्लड टेस्ट से ट्रेक नहीं होते।

ज्यादा स्थिति खराब होने पर हो सकता है निमोनिया

चिकित्सकों का मानना है कि अमूमन मरीज दो-तीन खांसी-बुखार में खुद के स्तर पर ट्रीटमेंट लेते हैं। ठीक होने का प्रयास करते हैं। ऐसे में मौसम में बीमार होने के दूसरे दिन ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए, ताकि सही दवाईयां मिल सके। क्योंकि अगर किसी मरीज की इम्युनिटी कम हो या उस पर वायरस का असर ज्यादा होता है तो उसके निमोनिया होने की भी कंडिशन बन जाती है। लंग्स में ज्यादा इंफेक्शन फैलने से मरीज को भर्ती भी करना पड़ता है।

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