शिक्षकों की समस्याओं के निस्तारण के प्रति सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण: आचार्य - Khulasa Online शिक्षकों की समस्याओं के निस्तारण के प्रति सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण: आचार्य - Khulasa Online

शिक्षकों की समस्याओं के निस्तारण के प्रति सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण: आचार्य

बीकानेर। विभिन्न वितीय व गैर वीतीय शिक्षक समस्याओं के निराकरण के प्रति राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के विरोध में राजस्थान शिक्षक संघ ( राष्ट्रीय ) द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन के अन्तर्गत दिनांक 12 मार्च 2023 रविवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर पत्रकार वार्ता का आयोजन की श्रखंला में बीकानेर जिला मुख्यालय पर प्रेस वार्ता रखी गयी। पत्रकार वालों को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अतिरिक्त महामंत्री रवि आचार्य ने बताया कि संगठन द्वारा बार – बार आग्रह करने व लोकतान्त्रिक तरीके से विरोध प्रकट करने के उपरान्त भी सरकार ने संगठन से न तो कोई संवाद स्थापित किया और ना ही अपने स्तर पर कोई कार्यवाही की है । निरन्तर राज्य सरकार के समक्ष सभी स्तरों एवं माध्यमों द्वारा सम्पर्क कर हेतु आग्रह किया किन्तु संवादहीनता अपनाते हुए समस्याओं को हल करने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया । नगर विधायक एवं शिक्षमंत्री को व्यक्तिगत स्तर पर भी संगठन द्वारा समस्याओं के निस्तारण एवं संवाद करते हुए समस्याओं पर वार्ता करने का आग्रह किया गया लेकिन स्थिति ज्यो की त्यो बनी हुयी है । आचार्य ने बताया कि काफी समस्याओं का निस्तारण संवाद से सम्भव है लेकिन मुख्यमंत्री जी को भी कई बार बिन्दुबार वार्ता हेतु ज्ञापन दिये गये लेकिन संवादहीनता आज भी बनी हुयी है । सरकार द्वारा शिक्षकों की समस्याओं को लेकर अपनायी जा रही संवादहीनता तथा समस्याओं के निस्तारण को लेकर चर्चा नही होने से व्यथित और आकोषित होकर राज्य के शिक्षक अब आन्दोलन की राह अपनाने को विवश हैं ।
जिलाध्यक्ष मोहनलाल भादू ने बताया कि अन्तिम प्रयास के रूप में संगठन से दिनांक 23 फरवारी से 05 मार्च 2023 के मध्य जनप्रतिनिधि के नात राज्य के माननीय विधायकों को संगठन द्वारा मांगों के ज्ञापन प्रेषित कर आग्रह किया है कि शिक्षकों की न्यायोचित मांगों के निराकरण हेतु अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए उच्च स्तर पर ज्ञापन अंग्रेषित कर सरकार से उचित निराकरण कराने में अपना सहयोग प्रदान करें लेकिन सरकार ने अभी तक सवादहीनता बनाये रखी है एक ही विभाग में अलग अलग नीतियों बनाकर शिक्षकों को गुमराह कर रही है । सरकार द्वारा मांगे जाने विषयों पर तत्थ्यात्मक टिप्पणी तक विभाग द्वारा नहीं भेजी जा रही है जिससे शिक्षकों में असन्तोष व्याप्त है ।
माँगों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए जिला मन्त्री नरेन्द्र आचार्य ने कहा कि संगठन ने शिक्षक हित की वाजिब समस्याओं का समाधान करने के लिए आन्दोलन की राह अपनाई है । उन्होने बताया कि वेतन विसंगतियों के निराकरण हेतु गठित सावंत एव खेमराज कमेटी की रिपोर्टों को तत्काल सार्वजनिक कर लागू किया जावे एवं विभिन्न वेतन विसंगतियों को तत्काल निवारण किया जाए । समस्त राज्य कर्मचारियों को 8-16-24-32 वर्ष पर एसीपी का लोन देकर पदोन्नति पद का वेतनमान प्रदान किया जाए । हृक्कस् कार्मिकों के लिए लागू हुई पुरानी पेंशन योजना वृद्ध की समस्त तकनीकी खानिया को दुरुस्त करते हुए हृक्कस् फण्ड की जमा राशि शिक्षकों को देने के साथ – साथ जीपीएफ 2004 2004 के खाता नम्बर तत्काल जारी किये जाए । संपूर्ण सेवाकाल में परिवीक्षा अवधि केवल एक बार एक वर्ष के लिए हो तथा नियमित चेतन श्रृंखला में फिक्सेशन के समय परिवीक्षा अवधि को भी जोड़ा जाए । उपप्राचार्य पद पर 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से पद भरे जाय तथा हिन्दी व अंग्रेजी अनिवार्य विषय व्याख्याता के पद दिये जाय , शिक्षा विभाग की ऑनलाइन निर्भरता को दृष्टिगोचर रखते हुए राज्य के समस्त शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों को मासिक इंटरनेट भत्ता तथा एंड्राइड फोन उपलब्ध कराया जाए ।
राज्य कार्मिकों को सेवानिवृत्ति के समय तीन सौ उपार्जित अवकाशों की सीमा को समाप्त किया जाए सेवानिवृत्ति के पश्चात 65.70 एवं 75 वर्ष की आयु पूर्ण पर क्रमष 5 10 व 15 प्रतिषत पेन्सन वृद्धि की जाए । शिक्षा विभाग में की जा रही सविदा आधारित नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जा कर नियमित भर्ती से ही पद भरे जाने की कार्रवाई की जाए । अध्यापक संवर्ग के स्थानान्तरण पर तत्काल प्रतिबन्ध हटाया जाए एवं राज्य के शिक्षकों के स्पष्ट स्थानान्तरण नियम बनाये जाए और समस्त पदों पर नियमित वर्षवार और नियमानुसार डीपीसी आयोजित की जाकर समय पर पदस्थापन किया जाए । क्चरुह्र सहित समस्त प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से मुक्त किया जाए । वर्तमान में जारी जनाधार अधिप्रमाणीकरण एवं डीबीटी योजना के लिए शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों को जारी हो रहे अनावश्यक कारण बताओ नोटिस तत्काल प्रभाव से बन्द हो एवं जारी नोटिस वापस लिए जाए । तीन संतान होने पर राज्य कर्मचारियों को पर्दान्नति में एक बार पीछे रखने के बाद उनकी मूल चरिष्ठता पुन: बहाल की जाए एवं तीन संतान वाले कार्मिकों को केंद्र सरकार के नियमानुसार राहत प्रदान की जाए । माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न तत्काल लागू कर पदों का सृजन किया जाए तथा विद्यालयों में पद आवंटन में हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम का विभेद समाप्त कर समान रूप से पद आवटन प्रक्रिया अपनाई जाए । शिक्षा निदेशालय स्तर की समस्याओं का समाधान विभाग स्तर पर लम्बित है उनमें प्राचार्य व उपप्राचार्य द्वितीय श्रेणी में पदोन्नत शिक्षकों के पदस्थापन करवाने तथा सभी वर्गों की रिव्यु डीपीसी के प्रस्ताव भिजवाने , द्वितीय श्रेणी से व्याख्याता हेतु पदोन्नति प्रक्रिया प्रारम्भ करने , अन्य विद्यालय से वेतन आहरण की स्थिति में उपार्जित अवकाश का भुगतान करवाने काउन्सिलिंग के समय रिक्त पदों की सूची को न्यूनतम 72 घण्टे पूर्व प्रकाशित करने , 2005 से 2008 के बीच नियुक्त शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने , नोशनल लाभ में एकरूपता रखने तथा बकाया नोशनल लाभ प्रकरणों का निस्तारण करने , न्यून परीक्षा परिणामों के लिए शिक्षक को उत्तरदायी मानने के नियमों का पुनरावलोकन कर संशोधित नियम बनाने , विभागीय जाँच प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण , माध्यमिक शिक्षा के समस्त उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक प्रथम श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी के पद आवंटन करने के सम्बन्ध में राज्य के विद्यालयों में सहायक कर्मचारी के पदो पर मनरेगा श्रमिकों को लगाने ,मैरिट के आधार पर नियुक्त तृतीय व द्वितीय श्रेणी शिक्षकों को ग्रीष्मवकाश का वेतन एवं सेवा परिलाभ दिलवाने, 1992 से कृषि,गृहविज्ञान , संगीत , वाणिज्य एवं सामाजिक विज्ञान के पदोन्नति से वंचित अध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक पद पर अथवा हैड टीचर के पद सृजन कर पदोन्नति देने . बकाया एसीपी प्रकरणों का शिविर लगाकर न्यून स्थिति में लाने आदि सम्मिलित है । संगठन के जिलाध्यक्ष मोहनलाल भादू ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए बताया कि राज्य के समस्त शिक्षक संवर्ग की उक्त न्यायोचित माँगों का तत्काल निराकरण किया जाए । राज्य सरकार द्वारा इन मांगों पर कोई निर्णय नहीं किये जाने की स्थिति में संगठन को उग्र आन्दोलन के लिए विवश होना पड़ेगा । राज्य का शिक्षक जब – जब आन्दोलन के लिए सडक़ों पर उत्तरा है तब – तब सत्ताधीषों को शिक्षक शक्ति के आगे झुकना ही पड़ा है ।

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