राजद्रोह केस से पीछे हटी सरकार, दोनों खेमों के बीच पिघल रही है बर्फ

राजद्रोह केस से पीछे हटी सरकार, दोनों खेमों के बीच पिघल रही है बर्फ

जयपुर: कांग्रेस के बागी विधायकों के खिलाफ विधायक खरीद फरोख्त और सरकार को गिराने की साजिश में एसओजी के तहत दर्ज किया गया राजद्रोह का केस सरकार वापस लेने जा रही है.मामले के आरोपी संजय जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एसओजी ने सीजेएम कोर्ट में कहा कि इस मामले में उनकी जांच में राजद्रोह का केस नहीं बनता है.केवल भष्ट्राचार निवारण अधिनियम की धारा 8-12 का ही अपराध बनता है ऐसे में एसओजी में दर्ज तीनों एफआईआर को एसीबी कोर्ट को भेज दिया जाये.इसके साथ ही एसओजी ने मामले की जांच के लिए भंवरलाल शर्मा और गजेन्द्रसिंह की आवाज के नमूनों की जांच की जरूरत से भी इनकार किया है.

विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए बागी विधायक भंवर लाल शर्मा पर दर्ज राजद्रोह के मुकदमे को वापस लेना तय किया है.इसके साथ ही सीजेएम कोर्ट में सरकार ने यह भी कहा है कि वह कांग्रेस से निलंबित विधायक भंवरलाल शर्मा, विश्वेंद्र सिंह और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज की जांच नहीं करना चाहती है.गौरतलब है पहले एसओजी ने आडियो टेप के आधार पर इनके वॉयस सैंपल की मांग की थी.

हाईकोर्ट में भी सरकार ने कहा नहीं बनता राजद्रोह का केस:
निचली अदालत के साथ राजस्थान हाई कोर्ट में भी सरकार ने भवंरलाल शर्मा की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि अब इस मामले में राजद्रोह का केस नहीं बनता है इसलिए मामले को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप से लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी को सौपना चाहते है.चुकि अब इस मामले को लेकर दायर याचिकाए सारहीन हो गई है इसलिए विधायक भवंरलाल शर्मा की याचिकाओं को खारिज किया जाये.

दो याचिकाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई:
कांग्रेस से निलंबित विधायक भंवरलाल शर्मा की ओर से दायर दो याचिकाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.सुनवाई के दौरान शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और एस एस होरा ने पैरवी करते हुए कहा कि.राजस्थान सरकार ने गलत तरीके से उन्हें फंसा कर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है, लिहाजा इस मामले की जांच एनआईए से कराई जाए.वहीं राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लुथरा और एडवोकेट अनिल उपमन ने अदालत को बताया कि विधायक भवंरलाल शर्मा की याचिकाए सारहीन हो गई है क्योंकि इस मामले में एसओजी की जाचं में राजद्रोह का केस बनना नही पाया है और निचली अदालत में सभी पत्रावली को एसओजी से एसीबी में ट्रांसफर के लिए प्रार्थना कि गई है.सरकार ने कहा कि हम राजद्रोह का मुकदमा आगे नहीं चलाना चाहते हैं.बहस सुनने के बाद जस्टिस सतीश शर्मा की एकलपीठ ने विधायक भवंरलाल शर्मा की ओर से हाईकोर्ट में दायर सभी चार याचिकाओं को एक साथ टैग कर 11 अगस्त को सुनवाई के लिए रखा है.

क्या सता रहा है एनआईए का डर:
सरकार के राजद्रोह केस में यु टर्न के बाद माना जा रहा है कि सरकार को मामले में एनआईए की एन्ट्री का डर है.राजस्थान सरकार नही चाहती कि टेप कांड की जांच एसओजी से निकलकर एनआईए के पास चली जाए.क्योंकि राजद्रोह के केस में एनआईए भी जांच शुरू कर सकती है.ऐसे में पुरा मामला राज्य सरकार के हाथ से निकलकर केन्द्र सरकार के अधीन जा सकता है जिसके बाद स्थिती बदल सकती है. ऐसे में समय रहते सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए राजद्रोह के केस में बैकफुट आना ही उचित समझा.

या पिघल रही है बर्फ:
वहीं राजनैतिक हलकों में ये भी माना जा रहा है कि पिछले दो दिनों में कांग्रेस हाईकमान से मिले निर्देशों के बाद ही दोनों खेमों के बीच की जमी बर्फ पिघलने लगी है.इसे गहलोत खेमे और पायलट खेमे के बीच की दूरिया कम होने की ओर से शुरूआत माना जा रहा है.रविवार को दिये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.जब मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर बागी विधायक हाईकमान से माफी मांगते है तो मैं गले लगाने को तैयार हूं. उसके बाद सोमवार को मानेसर गई हुई एसओजी की तीनों टीमे भी वापस राजस्थान लौट आयी.इसके अगले ही दिन यानी आज सुबह निचली अदालत में एसओजी ने राजद्रोह का केस वापस लेने और वॉयस सैंपल की जरूरत नहीं होने की बात कहते हुए पुरा मामला एसीबी को ट्रांसफर करने की मांग की.दोपहर होते होते सरकार ने हाईकोर्ट में भी राजद्रोह केस नही बनने की बात कबूल की.कहा तो ये तक जा रहा है कि राजद्रोह का केस वापस लेने के बाद ही पायलट खेमे के कुछ विधायकों द्वारा गहलोत को सकारात्मक संदेश मिला है लेकिन बातचीत में मुख्य पेच राजद्रोह केस था.पायलट खेमे के विधायकों से संकेत मिलने के बाद बाद ही आनन फानन में एसओजी की टीम को वापस बुलाने के साथ ही अदालत से भी राजद्रोह का केस वापस लेने की बात कही गई. इस पूरे मामले में एक अधिवक्ता की भी अहम भूमिका समझी जा रही है.

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