
भूख से तो अच्छा कोरोना से मर जाएं ,आखिर ऐसा क्यों कहा ईसीबी कार्मिकों ने





बीकानेर। एक ओर पूरा देश कोरोना संक्रमण को लेकर संकट के दौर से गुजर रहा है और लोगों को राहत देने के लिये केन्द्र व राज्य सरकार सहायता प्रदान कर रही है। तो सामाजिक व स्वयंसेवी स ंस्थाएं जरूरतमंदों की मदद कर रही है। वहीं दूसरी ओर तीन महीनों से अपने वेतन की आस लगाएं बैठे ईसीबी कार्मिकों को महज आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है। जिससे परेशान होकर ईसीबी कार्मिकों ने चुनिन्दा पदाधिकारियों की बैठक कर तय किया कि अगर एक दो दिन में अगर क ोई फैसला नहीं होता तो ईसीबी कार्मिक सड़कों पर उतरेंगे। वहीं एक कार्मिक ने तो ईसीबी अशैक्षणिक कर्मचारी संघ अध्यक्ष संतोष पुरोहित को यहां तक कह दिया कि भूख से मरने से अच्छा सड़कों पर उतर कर कोरोना से ही मर जाएं। इस पर अध्यक्ष पुरोहित ने कहा कि वे शुक्रवार तक इसका इंतजार करेंगे,अगर समस्या का समाधान नहीं निकला तो शनिवार से सड़कों पर उतर सोशल डिस्टेंस बनाते हुए अपनी मांगों के लिये गांधीवादी तरीके से आन्दोलन करेंगे। अध्यक्ष पुरोहित ने पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि खुलासा की खबर में जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम ने रिपोर्टर को वर्जन दिया था कि वे बात कर इसको हल करवाएंगे। जिला कलक्टर समस्या का हल करने की बजाय हमसे बात करना भी मुनासिब नहीं समझा।
मंत्री तक पहुंचे प्रकरण,पर मिला आश्वासन
्रपुरोहित ने कहा कि खुलासा की खबर के बाद यह मामला स्थानीय मंत्रियों तक पहुंचा जरूर। जिसके बाद उर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने जल्द ही ईसीबी कर्मचारियों को वेतन दिलाने की बात कर समाचार भी प्रसारित करवाएं। किन्तु दो दिन बीत जाने के बाद भी ईसीबी कर्मचारियों को किसी प्रक ार की कोई राहत नहीं मिल पाई। जब प्राचार्य से बात की तो उनका भी जबाब संतोषप्रद नहीं है।


