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संभव हॉस्पिटल के सेवा के स्वर्णीम चार साल पूर्ण, इन चार सालों में किए पांच सौ से अधिक बच्चेदानी के ऑपरेशन

खुलासा न्यूज, बीकानेर। प्रेग्नैंसी काल में अगर सबसे ज्यादा जरूरत किसी की पड़ती है तो वह उचित देखभाल और परामर्श की होती है। इस पर अगर कोई खरा ना उतरे तो भविष्य के साथ खिलवाड़ तय हो जाता है। लेकिन बीकानेर का प्रेग्नैंसी पीरियड में सेवा देने का जो कार्य पिछले चार सालों में संभव हॉस्पिटल द्वारा किया गया है, वह संभव ने तो संभव कर दिखाया लेकिन, हर किसी के लिए असंभव कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ती नहीं कही जानी चाहिए।

ए1स-रे गली स्थित तुलसी सर्किल,सेल टै1स ऑफिस के पास बना संभव हॉस्पिटल आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। महिलाओं में अस्पताल की संचालक स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष सुथार सिद्धहस्त के चलते लोकप्रियता के शिखर पर हैं। उनकी कार्य के प्रति लगन और निष्ठा तथा अस्पताल में आने वाले हर मरीज के साथ स्नेह और प्रेमपूर्ण व्यवहार जादू का सा कार्य करता है। इसके चलते अस्पताल में आने वाले हर जच्चा को लगता है कि वह जैसे घर में ही हो और आत्मविश्वास से भर उठने के साथ उसे यकीन हो जाता है कि अब बच्चा भी सुरक्षित जगह पर है। हॉस्पिटल की विशेषताएं जितनी भी बताई जाए कम है। जहां 24 घण्टे सात दिन की लगातार सेवाएं दी जाती है। जांच के लिए एडवांस टे1नोलॉजी का लेप्रोस्कोपिक सेंटर बना है। सोनोग्राफी की सुविधा के साथ, पूर्ण सुविधाओं सहित एनआईसीयू व आईसीयू की संपूर्ण सुविधा शामिल है। इसके अतिरि1त आई यू आई की सुविधा, नि:संतानता का ईलाज, बच्चादानी एवं अण्डदानी के ऑपरेशन एवं सभी प्रकार के दूरबीन से ऑपरेशन की सुविधा विषय विशेषज्ञों द्वारा की जाती है। संभव हॉस्पिटल की संचालक डॉ. संतोष सुथार की मानें तो उनका प्रथम ध्येय है कि अस्पताल में जो भी जच्चा बच्चे के लिए आती है तो हमारा कर्तव्य है कि उसे वह तमाम सुविधाएं उपल4ध हो जिसकी उसे जरूरत है।

 

इस विश्वास पर मैं स्वयं संतुष्ट हूं और पूर्ण निष्ठा की अपेक्षा भी अपने सहयोगियों से करती हूं। इसका परिणाम यह रहा कि गत चार सालों में अस्पताल में दूरबीन से बच्चेदानी के पांच सौ से अधिक ऑपरेशन किए जा चुके हैं। दो किस्से तो ऐसे भी आए जो रेयर कहे जा सकते हैं। जब बच्चेदानी ही पेट में फट जाती है। ऐसे में डॉ. हाथ खड़ा कर देते हैं। लेकिन, हमने इसे एक चैलेंज लिया और गर्व की बात यह रही कि सफल ऑपरेशन कर हमने उनकी जान बचाई। इसके अलावा भी कम उम्र के बच्चे जो हाई रिस्क जोन में होते हैं। जिनके बचने की संभावना ना के बराबर होती है। ऐसे बच्चों को भी भगवान की कृपा कहें कि हमारे हाथों से उनको जीवनदान मिला है। इन घटनाओं से हमें गर्व की अनुभूति होती है और बल भी मिलता है कि हम जो कर रहे हैं, वह परमात्मा और अस्पताल में आशा और उम्मीद से आने वालों का विश्वास है, जिस पर हम खरा उतरने का पूरा प्रयास करते हैं।

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